सफेद मूसली की खेती से लाखों की कमाई: जानिए खेती का तरीका और फायदे

सफेद मूसली की खेती से लाखों की कमाई: जानिए खेती का तरीका और फायदे
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Kisaan Helpline

Crops Aug 07, 2025

Agriculture Tips: देश में परंपरागत खेती के साथ-साथ अब औषधीय फसलों की ओर भी किसानों का रुझान बढ़ता जा रहा है। इन्हीं औषधीय फसलों में एक है सफेद मूसली, जिसे ‘धोली मूसली’ या अंग्रेजी में Chlorophytum borivilianum भी कहा जाता है। यह एक बहुउपयोगी पौधा है, जिसकी जड़ों (कंद) का इस्तेमाल दवाइयां बनाने में किया जाता है। इसकी खेती से किसान एक साल में दो से ढाई लाख रुपये प्रति हेक्टेयर तक की अतिरिक्त आमदनी कमा सकते हैं।

 

सफेद मूसली कहां होती है?

यह पौधा प्राकृतिक रूप से मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के जंगलों में पाया जाता है। लेकिन अब इसकी व्यावसायिक खेती हिमाचल, पंजाब, राजस्थान, गुजरात, बिहार, ओडिशा, तमिलनाडु, केरल और बंगाल जैसे राज्यों में भी सफलतापूर्वक की जा रही है। ज्यादा ठंड वाले इलाकों को छोड़कर इसे देश के अधिकतर हिस्सों में उगाया जा सकता है।

 

औषधीय महत्व

सफेद मूसली को आयुर्वेद में ‘दिव्य औषधि’ कहा जाता है। यह शरीर की कमजोरी दूर करने, ताकत बढ़ाने, मधुमेह, गठिया, खांसी, अस्थमा, बवासीर, और चर्म रोग जैसी कई बीमारियों में फायदेमंद होती है। इसकी सबसे ज्यादा मांग आयुर्वेदिक कंपनियों और दवा उद्योग में होती है।

 

मूसली की खेती कैसे करें?

मिट्टी और जलवायु

सफेद मूसली के लिए हल्की रेतीली मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है, जिसमें पानी का निकास अच्छा हो। काली या भारी चिकनी मिट्टी में इसकी खेती नहीं करनी चाहिए। ज्यादा पानी से जड़ें सड़ सकती हैं।

 

खेत की तैयारी

खेत को 2-3 बार गहराई से जोतकर, 8-10 टन गोबर की खाद मिलाएं। यह जरूरी है कि खेत समतल हो और पानी जमा न हो।

 

पौध तैयार करना

सफेद मूसली की खेती बीज या कंद (गांठ) से की जाती है, लेकिन कंद से खेती ज्यादा सफल होती है। एक एकड़ में लगभग 5 से 5.5 क्विंटल कंद की जरूरत होती है। पहले इन्हें नर्सरी में लगाकर पौधे तैयार करें।

 

रोपण का समय

सबसे अच्छा समय जून का पहला सप्ताह या हल्की बारिश के बाद का होता है। रोपण करते समय पौधों की कतार से कतार और पौधे से पौधे की दूरी लगभग 10 इंच रखें।

 

सिंचाई और देखभाल

साधारणतया वर्षा के मौसम में इसकी सिंचाई की जरूरत नहीं होती। लेकिन यदि बारिश ना हो, तो 15 दिन में एक बार सिंचाई करें। अगस्त और अक्टूबर में हल्की गुड़ाई करने से फसल बेहतर होती है।

 

फसल कब और कैसे निकालें?

नवंबर से फरवरी के बीच जब पत्ते सूखने लगें, तब फसल खुदाई के लिए तैयार होती है। एक पौधे से 10-12 कंद निकलते हैं। इन्हें जमीन में 1-2 महीने छोड़ देने से अच्छे परिणाम मिलते हैं। फिर हल्की सिंचाई करके नमी बनाए रखें और कंदों को निकालकर पानी से धो लें। अच्छे से सुखाकर इसे बाजार में बेचा जा सकता है।

 

उत्पादन और कमाई

·        1 बीघा खेत से लगभग 20-24 क्विंटल गीली मूसली निकलती है।

·        सूखने के बाद यह 4 क्विंटल के आसपास रह जाती है।

·        बाजार में सूखी मूसली की कीमत लगभग ₹1 लाख प्रति क्विंटल तक है।

·        इस तरह 1 हेक्टेयर में सालाना दो से ढाई लाख रुपये की कमाई संभव है।

 

फायदे

·        ज्यादा पानी की जरूरत नहीं

·        कम लागत में अधिक मुनाफा

·        औषधीय उपयोग होने से हमेशा डिमांड में

·        सागौन या अन्य पेड़ों के बीच भी हो सकती है खेती

 

अगर आप किसान हैं और कम जगह में ज्यादा मुनाफा कमाने की सोच रहे हैं, तो सफेद मूसली की खेती आपके लिए एक शानदार विकल्प हो सकती है। इसकी देखभाल आसान है, लागत कम है और मांग अधिक। एक बार ट्राय जरूर करें, हो सकता है ये खेती आपकी आर्थिक स्थिति बदल दे।

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