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दक्षिण भारत में परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) की वजह से ऑर्गेनिक खेती तेज़ी से बढ़ रही है. यह सरकारी योजना किसानों को बिना कीटनाशकों या केमिकल्स के केमिकल-फ्री खेती अपनाने में मदद करती है. नए डेटा से बड़ी प्रगति दिखती है, खासकर केरल और तेलंगाना में.
PKVY की प्रगति पर ताज़ा डेटा
आज जारी किए गए नए आंकड़ों में PKVY के तहत ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देने पर ज़ोर दिया गया है.
केरल सबसे आगे:
अब 94,000 हेक्टेयर से ज़्यादा ज़मीन पर ऑर्गेनिक खेती हो रही है – जो दक्षिण भारत में सबसे ज़्यादा है.
तेलंगाना का बड़ा कदम:
2025-26 के लिए, उन्हें केमिकल-फ्री खेती को बढ़ाने के लिए बजट में ₹1,989 लाख मिले हैं. तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे दूसरे राज्य भी इसमें शामिल हो रहे हैं, लेकिन केरल और तेलंगाना सबसे आगे हैं.
इसका मतलब है कि ज़्यादा किसान मिट्टी या स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाए बिना चावल, सब्ज़ियां और मसाले जैसी सुरक्षित फसलें उगा सकते हैं.
किसानों के लिए PKVY क्यों ज़रूरी है?
PKVY
50 किसानों के ग्रुप को पैसे, ट्रेनिंग और बीज देता है. यह ऑर्गेनिक खेती को बढ़ावा देता है ताकि बाज़ार में बेहतर कीमतों पर बेचा जा सके.
फायदे:
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स्वस्थ मिट्टी और फसलें.
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महंगे केमिकल्स का इस्तेमाल नहीं.
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ऑर्गेनिक लेबल से ज़्यादा इनकम.
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बड़े बाज़ारों में एक्सपोर्ट के मौके.
दक्षिण भारत की गर्म जलवायु इस प्राकृतिक तरीके के लिए एकदम सही है.
PKVY से कैसे जुड़ें?
किसान ग्रुप में ऑनलाइन या स्थानीय कृषि कार्यालयों में अप्लाई कर सकते हैं.
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50 किसानों का एक ग्रुप बनाएं.
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ऑर्गेनिक तरीकों पर मुफ्त ट्रेनिंग पाएं.
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3 साल में मदद के लिए प्रति हेक्टेयर ₹50,000 पाएं.
जानकारी के लिए अपने आस-पास के कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) से संपर्क करें.
Frequently Asked
Questions (FAQ):
Q1. PKVY क्या है?
परंपरागत कृषि विकास योजना सरकारी सहायता के साथ क्लस्टर-आधारित ऑर्गेनिक खेती के लिए एक योजना है.
Q2. केरल में PKVY के तहत कितनी ज़मीन है?
94,000 हेक्टेयर से ज़्यादा – दक्षिण भारत में सबसे आगे.
Q3. तेलंगाना को 2025-26 के लिए कितना बजट मिला?
केमिकल-फ्री खेती को बढ़ावा देने के लिए ₹1,989 लाख.
Q4. क्या छोटे किसान जुड़ सकते हैं?
हां, 50 के ग्रुप में. बड़ी ज़मीन की ज़रूरत नहीं है.
Q5. कौन सी फसलें सबसे अच्छी काम करती हैं?
चावल, बाजरा, सब्जियां, फल और मसाले.
PKVY
ऑर्गेनिक खेती का अभियान दक्षिण भारतीय किसानों के लिए एक सुनहरा मौका है. केरल में 94,000+ हेक्टेयर और तेलंगाना के बड़े बजट के साथ, केमिकल-फ्री खेती और बढ़ेगी. स्वस्थ मिट्टी, सुरक्षित भोजन और बेहतर मुनाफे के लिए अभी जुड़ें - यह आपके और आपके परिवार के लिए फायदेमंद है.
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