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रबी मौसम की फसलें जैसे गेहूं, चना, सरसों, मटर और जौ किसानों की आमदनी का मुख्य आधार होती हैं। इन फसलों की अच्छी बढ़वार, मजबूत पौधे और ज्यादा पैदावार के लिए मिट्टी में पोषक तत्वों का संतुलन बहुत जरूरी होता है। पौधे अपनी जड़ों के माध्यम से मिट्टी से पानी और आवश्यक तत्व लेते हैं, हवा से कार्बन डाइऑक्साइड और सूर्य के प्रकाश से ऊर्जा प्राप्त कर अपना विकास करते हैं। यदि इन आवश्यक तत्वों में से किसी एक की भी कमी हो जाए, तो पौधे उसका असर तुरंत अपने पत्तों, तनों और वृद्धि में दिखाने लगते हैं।
वैज्ञानिक रूप से पौधों को
सामान्य वृद्धि और उत्पादन के लिए कुल 17 आवश्यक पोषक तत्वों की जरूरत होती है। इन
तत्वों की कमी होने पर फसल कमजोर हो जाती है, रोगों का प्रकोप बढ़ जाता है और अंत में
पैदावार में भारी गिरावट आ सकती है। इसलिए किसानों के लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि
किस पोषक तत्व की कमी से पौधे में कौन-से लक्षण दिखाई देते हैं, ताकि समय रहते सही
उपचार किया जा सके।
1. नाइट्रोजन (Nitrogen – N)
नाइट्रोजन की कमी रबी फसलों
में सबसे अधिक देखने को मिलती है। इसकी कमी होने पर पौधे हल्के हरे या पीले रंग के
दिखाई देने लगते हैं और उनकी बढ़वार रुक जाती है। सबसे पहले पुरानी पत्तियाँ पीली पड़ती
हैं और धीरे-धीरे पूरा पौधा कमजोर हो जाता है। गेहूं और मक्का जैसी फसलों में पत्तियों
का पीलापन आमतौर पर सिरे से शुरू होकर मध्य भाग तक फैलता है, जिससे पौधे बौने रह जाते
हैं।
2. फास्फोरस (Phosphorus – P)
फास्फोरस की कमी से पौधों की
जड़ें कमजोर रह जाती हैं और पौधा पूरी तरह विकसित नहीं हो पाता। ऐसे पौधों की पत्तियाँ
छोटी रह जाती हैं और रंग गहरा हरा या हल्का बैंगनी दिखाई देने लगता है। इस कमी के कारण
फूल और दाना बनने की प्रक्रिया प्रभावित होती है, जिससे फसल का उत्पादन कम हो जाता
है।
3. पोटाश (Potassium – K)
पोटाश की कमी पौधों की मजबूती
और रोग प्रतिरोधक क्षमता को प्रभावित करती है। इसकी कमी होने पर सबसे पहले पुरानी पत्तियों
के किनारे पीले या भूरे पड़ने लगते हैं और बाद में वे सूखकर फटने लगते हैं। मक्का और
ज्वार जैसी फसलों में यह समस्या पत्तियों के अग्रभाग से शुरू होती है, जिससे पौधा कमजोर
दिखाई देता है।
4. गंधक (Sulphur – S)
गंधक की कमी आमतौर पर नई पत्तियों
में दिखाई देती है। ऐसी स्थिति में पत्तियाँ हल्की पीली पड़ने लगती हैं और धीरे-धीरे
उनका रंग सफेद जैसा हो जाता है। गंधक की कमी से पौधों की वृद्धि रुक जाती है और तिलहन
व दलहनी फसलों में उत्पादन पर सीधा असर पड़ता है।
5. मैग्नीशियम (Magnesium – Mg)
मैग्नीशियम की कमी होने पर
पत्तियों की शिराओं के बीच का भाग पीला पड़ने लगता है, जबकि शिराएँ हरी बनी रहती हैं।
समय के साथ पत्तियों के किनारों पर लाल या बैंगनी रंग के धब्बे दिखाई देने लगते हैं।
यह समस्या अधिकतर पुरानी पत्तियों में देखी जाती है और धीरे-धीरे पत्तियाँ सूखने लगती
हैं।
6. कैल्शियम (Calcium – Ca)
कैल्शियम की कमी से पौधों की
नई पत्तियाँ और शीर्ष कलियाँ सबसे अधिक प्रभावित होती हैं। ऐसी स्थिति में नई पत्तियाँ
ठीक से नहीं निकलतीं और पौधे की बढ़वार रुक जाती है। मक्का की फसल में भुट्टे की नोक
आपस में चिपकी हुई दिखाई देना कैल्शियम की कमी का प्रमुख संकेत माना जाता है।
7. जिंक (Zinc – Zn)
जिंक की कमी रबी फसलों में
आम समस्या है, खासकर हल्की और क्षारीय मिट्टियों में। इसकी कमी होने पर पत्तियों की
शिराओं के बीच पीलापन दिखाई देता है और पत्तियाँ छोटी व संकरी हो जाती हैं। कई बार
पत्तियों का रंग तांबे जैसा दिखाई देने लगता है, जिससे पौधे कमजोर दिखते हैं।
8. आयरन (Iron – Fe)
आयरन की कमी सबसे पहले नई पत्तियों
में दिखाई देती है। इस स्थिति में शिराएँ हरी रहती हैं, लेकिन पत्तियों का बाकी भाग
पीला पड़ जाता है। गंभीर अवस्था में पत्तियों पर भूरे रंग के सूखे धब्बे बन सकते हैं,
जिससे प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभावित होती है।
9. बोरान (Boron – B)
बोरान की कमी से पौधों की कलियाँ
और नई पत्तियाँ प्रभावित होती हैं। इस स्थिति में पत्तियाँ पीली पड़ जाती हैं और कलियाँ
सूखकर गिरने लगती हैं। फूल और दाना बनने की प्रक्रिया पर इसका सीधा असर पड़ता है, जिससे
फसल का उत्पादन घट जाता है।
10. मैंगनीज (Manganese – Mn)
मैंगनीज की कमी में पत्तियों
का रंग पीला-धूसर या हल्का लाल हो जाता है, जबकि शिराएँ हरी बनी रहती हैं। इस कमी में
पत्तियों का आकार सामान्य रहता है, लेकिन रंग बदलने से पौधा कमजोर दिखाई देता है।
11. तांबा (Copper – Cu)
तांबे की कमी से नई पत्तियाँ
पीली होकर सूखने लगती हैं और अनाज वाली फसलों में दाने सही ढंग से नहीं बनते।
12. मोलिब्डेनम (Molybdenum – Mo)
मोलिब्डेनम की कमी से नई पत्तियाँ
हल्की हरी होकर सूख जाती हैं और नाइट्रोजन का सही उपयोग नहीं हो पाता, जिससे पुरानी
पत्तियाँ पीली पड़ने लगती हैं।
13. सोडियम (Sodium – Na)
सोडियम की कमी सामान्य कृषि
भूमि में बहुत ही दुर्लभ होती है, इसलिए इसकी अलग से पूर्ति आमतौर पर आवश्यक नहीं होती।
14. कोबाल्ट (Cobalt – Co)
कोबाल्ट की कमी से पौधों की
बढ़वार धीमी हो जाती है और नई पत्तियों का रंग फीका पड़ने लगता है।
15. निकेल (Nickel – Ni)
निकेल की कमी से पौधों की वृद्धि
धीमी हो जाती है और सामान्य कमजोरी दिखाई देती है
16. क्लोरीन (Chlorine – Cl)
क्लोरीन की कमी से प्रकाश संश्लेषण
प्रभावित होता है, जिससे पौधों की ऊर्जा उत्पादन क्षमता कम हो जाती है।
17. सिलिकॉन (Silicon – Si)
सिलिकॉन की कमी के लक्षण आमतौर
पर स्पष्ट रूप से दिखाई नहीं देते, लेकिन यह पौधों को मजबूती देने और रोगों से बचाने
में सहायक होता है।
किसी भी पोषक तत्व की सही पहचान के लिए मिट्टी परीक्षण और पौधों के ऊतक परीक्षण को सबसे भरोसेमंद तरीका माना जाता है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि फसल में किस तत्व की कमी है और कितनी मात्रा में खाद देना उचित रहेगा। समय पर सही पोषक तत्वों की पूर्ति करके किसान अपनी रबी फसलों की पैदावार और गुणवत्ता दोनों में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकते हैं।
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