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कोटा। लहसुन की कीमतों को लेकर किसानों के लिए बड़ी खबर सामने आई है। कोटा की भामाशाह कृषि उपज मंडी में केवल 10 दिनों के भीतर लहसुन के भाव में जबरदस्त तेजी दर्ज की गई है। जहां दिसंबर की शुरुआत में लहसुन के दाम 5,000 से 7,500 रुपये प्रति क्विंटल के बीच थे, वहीं अब भाव बढ़कर 12,000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए हैं। अच्छी क्वालिटी का लहसुन इससे भी ज्यादा दाम में बिक रहा है।
साल की शुरुआत में लहसुन उत्पादक किसानों को उम्मीद के मुताबिक दाम नहीं मिले थे। कई किसानों ने लागत निकलने भर पर लहसुन बेच दिया, जबकि कुछ को नुकसान भी उठाना पड़ा। बाजार में लगातार कमजोरी के चलते अधिकांश किसानों ने अपना माल जल्दी बेच दिया या फिर बीज के रूप में उपयोग कर लिया।
मंडी सूत्रों के अनुसार, 8 दिसंबर तक लहसुन के मॉडल दाम करीब 6,500 रुपये प्रति क्विंटल थे। उस समय मंडी में आवक भी अच्छी बनी हुई थी। लेकिन इसके बाद अचानक लहसुन की मांग बढ़ी और सप्लाई घटने लगी। इसके चलते 10 दिनों के भीतर दाम तेजी से बढ़े और अब मॉडल दाम 12,000 रुपये प्रति क्विंटल के आसपास चल रहे हैं।
जहां पहले मंडी में रोजाना करीब 5,000 क्विंटल लहसुन की आवक होती थी, वहीं अब यह घटकर लगभग 4,000 क्विंटल रह गई है। वर्तमान स्थिति यह है कि मंडी में किसानों का माल कम और व्यापारियों का स्टॉक ज्यादा आ रहा है। जैसे-जैसे यह स्टॉक खत्म होगा, दाम में और तेजी आने की संभावना जताई जा रही है।
लहसुन व्यापार से जुड़े जानकारों का कहना है कि आने वाले दिनों में लहसुन की आवक और घट सकती है। किसानों के पास फिलहाल लहसुन का स्टॉक सीमित है। ऐसे में बाजार की मौजूदा स्थिति बनी रही तो भाव में 1,000 से 2,000 रुपये प्रति क्विंटल तक और बढ़ोतरी हो सकती है।
बारां जिले के किसान चंद्रप्रकाश नागर ने बताया कि इस बार किसानों ने अच्छे दाम की उम्मीद छोड़ दी थी। उन्होंने कुछ समय पहले अच्छी क्वालिटी का लहसुन 9,000 रुपये प्रति क्विंटल में बेच दिया था। बाद में अचानक बाजार में तेजी आई और जो थोड़ा माल बचा था, वह 17,000 रुपये प्रति क्विंटल तक बिक गया। फिलहाल मंडी में किसानों का माल बहुत कम बचा है।
लहसुन के दाम बढ़ने के पीछे मुख्य कारण ये हैं:
मध्यप्रदेश से लहसुन की आवक में कमी
नई फसल की बुवाई देर से होना, जिससे आवक अप्रैल तक टलना
पिछले साल नुकसान के चलते किसानों द्वारा जल्दी बिक्री
कई किसानों द्वारा लहसुन को बीज के रूप में उपयोग करना
मौजूदा हालात को देखते हुए लहसुन बाजार में आगे भी उतार-चढ़ाव बना रह सकता है। जिन किसानों के पास अभी लहसुन बचा हुआ है, वे स्थानीय मंडी भाव पर नजर रखते हुए ही बिक्री का फैसला करें।
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