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गेहूं की फसल में जड़ माहू का बढ़ता प्रकोप, किसानों के लिए अलर्ट
बदलते मौसम के कारण इस समय गेहूं की फसल में कीट-रोगों का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। मध्यप्रदेश कृषि विभाग ने किसानों को सतर्क रहने की सलाह दी है, क्योंकि कई क्षेत्रों में गेहूं की फसल में जड़ माहू (Aphid) का प्रकोप देखने को मिल रहा है। विभाग के अधिकारियों द्वारा गांव-गांव जाकर खेतों का निरीक्षण किया गया, जिसमें जड़ माहू की उपस्थिति स्पष्ट रूप से पाई गई।
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, यदि समय रहते इस कीट पर नियंत्रण नहीं किया गया तो गेहूं की पैदावार और गुणवत्ता दोनों पर गंभीर असर पड़ सकता है।
जड़ माहू क्या है और यह कैसे नुकसान पहुंचाता है?
जड़ माहू एक छोटा लेकिन बेहद नुकसानदायक कीट है, जो गेहूं के पौधों की जड़ों और निचले हिस्सों से रस चूसता है। इससे पौधा धीरे-धीरे कमजोर हो जाता है और अंत में सूख सकता है।
इस कीट का रंग आमतौर पर हल्का पीला या काला होता है और इसका जीवन चक्र केवल 7 से 10 दिन का होता है। यही कारण है कि यह बहुत तेजी से बढ़ता और पूरे खेत में फैल जाता है।
जड़ माहू के प्रमुख लक्षण
किसान भाई नीचे दिए गए लक्षणों से जड़ माहू की पहचान कर सकते हैं:
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गेहूं की पत्तियों में पीला पड़ना
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पत्तियों का ऊपर से नीचे की ओर सूखना
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पौधे का विकास रुक जाना
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अधिक प्रकोप होने पर पूरा पौधा सूख जाना
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शुरुआत में खेत में छोटे-छोटे पैच, जो बाद में पूरे खेत में फैल जाते हैं
माहू के बढ़ने के लिए अनुकूल परिस्थितियां
विशेषज्ञों के अनुसार जड़ माहू निम्न परिस्थितियों में तेजी से फैलता है:
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तापमान 18°C से 29°C के बीच
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शुष्क मौसम या नमी की कमी
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कमजोर और पोषक तत्वों की कमी वाली फसल
गेहूं की पैदावार पर असर
अगर जड़ माहू को समय पर नियंत्रित नहीं किया गया तो किसान को भारी नुकसान हो सकता है:
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30–40% तक उत्पादन
में
गिरावट
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दानों का आकार छोटा और गुणवत्ता खराब
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फसल में वायरस व अन्य रोगों का खतरा
उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान जैसे प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में यह समस्या विशेष चिंता का विषय बन रही है।
कृषि विभाग की सलाह: जड़ माहू से बचाव के उपाय
कृषि विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि वे हर 7–10 दिन में खेत की निगरानी जरूर करें। जड़ माहू दिखाई देने पर तुरंत निम्न में से किसी एक दवा का छिड़काव करें:
अनुशंसित कीटनाशक (प्रति एकड़)
एसिटामाप्रिड 20% SP – 60 ग्राम
या
इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL – 50 मिली
या
थायोमेथोक्साम 25% WG – 50 ग्राम
या
फिप्रोनिल 4% + थायोमेथोक्साम 4% SC – 350 मिली
इन दवाओं के साथ
एनपीके 19:19:19 – 1 किलो प्रति एकड़ को 150–200 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।
किसानों के लिए जरूरी सलाह
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सुबह या शाम के समय ही छिड़काव करें
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दवा की मात्रा निर्धारित मात्रा से अधिक न लें
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एक ही दवा का बार-बार प्रयोग न करें
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खेत को साफ-सुथरा रखें और पौधों को मजबूत बनाएं
जड़ माहू एक छोटा कीट जरूर है, लेकिन समय पर ध्यान न दिया जाए तो यह गेहूं की पूरी फसल को भारी नुकसान पहुंचा सकता है। नियमित निगरानी, सही समय पर पहचान और कृषि विभाग द्वारा सुझाए गए उपाय अपनाकर किसान इस समस्या से आसानी से बच सकते हैं।
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