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Jackfruit (कटहल)

Basic Info

कटहल बांग्लादेश और श्रीलंका का राष्ट्रीय फल है, जबकि भारतीय राज्यों केरल और तमिलनाडु में भी इसे राज्य फल का दर्जा दिया गया है। कटहल के फल को कच्चे तथा पक्के दोनों प्रकार से उपयोग करते हैं लेकिन सब्जी में इसका महत्व ज्यादा है। कटहल का फल का उपयोग आचार के लिए भी किया जाता है। कटहल का पौधा एक सदाबहार, 8-15 मी. ऊँचा बढ़ने वाला, फैलावदार एवं घने क्षेत्र के युक्त होता है। कटहल की उन्नत किस्में त फल वृक्ष होने तथा प्रमुखत: बीज द्वारा प्रसारित होता है।

Seed Specification

प्रसिद्ध किस्में
खजवा, स्वर्ण मनोहर, एन.जे.-1, एन.जे.-2, एन.जे.-15
स्वर्ण पूर्ति (सब्जी के लिए) ये है, किस्म भारत मे मुख्यतः सब्जी के लिए उपयोग होती है।

बुवाई का सम
भारत मे कटहल के पौधों की रोपाई की उपयुक्त समय जुलाई से सितम्बर है। जुलाई मे लेने बाले किस्मे ऐ न. 1 , मनोहर किस्मों को जुलाई मे लगाते है। कटहल की खेती के लिए बारिश का समय सबसे अच्छा माना जाता है।

बुवाई का तरीका
कटहल की पौधों की रोपाई करते समय कटहल से बीज निकालकर पहले पौधा तैयार कर लेते है। उसके बाद सामतल भूमि पर 10 से 12 मीटर की दुरी पर 1 मीटर व्यास एवं 1 मीटर गहराई के गड्ढे तैयार करें। इन सभी गड्ढों में 20 से 25 किलोग्राम गोबर की साड़ी खाद अथवा कम्पोस्ट, 250 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट, 500 म्युरियेट आफ पोटाश, 1 किलोग्राम नीम की खल्ली तथा 10 ग्राम थाइमेट को मिट्टी में अच्छी प्रकार मिलाकर भर देना चाहिए।

Land Preparation & Soil Health

जलवायु 
कटहल उष्ण कटिबन्धीय फल है, इसलिए इसको शुष्क और नम, दोनों प्रकार की जलवायु में उगाया जा सकता है। और इसकी बागवानी शुष्क तथा शीतोष्ण दोनों जलवायु में बागवानी सफलता पूर्वक किया जाता है।

भूमि
कटहल खेती के लिए किसी भी प्रकार की मिट्टी उपयुक्त होती है, लेकिन प्राय: दोमट और बलुई दोमट में इसका उत्पादन ज्यादा अच्छा होता है, इसलिए इसी मिट्टी में इसकी खेती की जाती है।

खेत की तैयारी
कटहल की खेती के लिए भूमि का समतल और भुरभुरा होना चाहिए। खेत को इस तरह से तैयार करे की खेत में कही भी पानी का रुकाव और जमाव नहीं हो पाये।

Crop Spray & fertilizer Specification

खाद एवं रासायनिक उर्वरक
अच्छी पैदावार के लिए पौधे को खाद एवं उर्वरक पर्याप्त मात्रा में देना चाहिए। प्रत्येक पौधे को 20-25 कि.ग्रा. गोबर की सड़ी हुई खाद, 100 ग्रा. यूरिया, 200 ग्रा. सिंगल सुपर फास्फेट तथा 100 ग्रा. म्यूरेट ऑफ़ पोटाश प्रति वर्ष की दर से जुलाई माह में देना चाहिए। तत्पश्चात पौधे की बढ़वार के साथ खाद की मात्रा में वृद्धि करते रहना चाहिए। जब पौधे 10 वर्ष के हो जाये तब उसमें 80-100 कि.ग्रा. गोबर की खाद, 1 कि.ग्रा. यूरिया, 2 कि.ग्रा. सिंगल सुपर फास्फेट तथा 1 कि.ग्रा. म्यूरेट ऑफ़ पोटाश प्रति वर्ष देते रहना चाहिए।

Weeding & Irrigation

खरपतवार नियंत्रण
कटहल की खेती में खरपतवार की रोकथाम निराई गुड़ाई और जड़ो पर मिट्टी लगाए। तथा आम की खेत में मिश्रित खेती कर सकते है। मिश्रित खेती फसल में से खरपतवार को रोकने में मदद करती है। दालों वाली फसलें जैसे कि मूंगी, उड़द, मसूर और चना आदि की खेती मिश्रित खेती के तौर पर की जा सकती है। प्याज, टमाटर, मूली, फलियां , फूल गोभी और बंद गोभी जैसी फसलें भी मिश्रित खेती के लिए प्रयोग की जा सकती हैं। बाजरा, मक्की और गन्ने की फसल को मिश्रित खेती के लिए प्रयोग ना करें।

सिंचाई 
कटहल की खेती में ज्यादा पानी की ज़रूरत नहीं पड़ती है, इसलिए अगर बारिश का मौसम है, तो पौधे को पानी न दें। बारिश न हो, तो पौधों को ज़रूरत के हिसाब से पानी देना चाहिए। शुरुआत में पौधो को पानी देते रहना होगा। शुरुआत के कुछ वर्ष तक गर्मी के मौसम में प्रति सप्ताह तथा सर्दी के मौसम में 15 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करते रहना चाहिए।

Harvesting & Storage

फसल अवधि
कटहल के वृक्ष को सदाबहार वृक्ष माना जाता है। लेकिन एक वृक्ष तैयार होने में ही 5 से 6 साल का समय लगता है।

कटाई समय
कटहल  हमारे भारत मे मुख्यतः जनवरी से मार्च के महीने मे टुडाई करने लगते हे। फल जनवरी-फरवरी से जून-जुलाई तक विकसित होते रहते हैं। इसी समय में फल के अंदर बीज, कोया इत्यादि का विकास होता है और अंतत: जून-जुलाई में फल पकने लगते हैं।

उत्पादन क्षमता
कटहल के बीजू पौधे में 7-8 वर्ष में फलन प्रारम्भ होता है जबकि कमली पौधों में 4-5 वर्ष में ही फल मिलने लगते है। रोपण के 15 वर्ष बाद पौधा पूर्ण विकसित हो जाता है एक पूर्ण विकसित वृक्ष से लगभग 150 से 250 कि.ग्रा. फल प्रति वर्ष प्राप्त होता है। कटहल के पौधे में शुरुआत में फल कम लगता है तथा फल लगने के बाद गिर जाता है।

सफाई और सुखाने
कटहल के पौधों को निदाई – गुडाई करके साफ रखना चाहिए। बड़े पेड़ों के बागों की वर्ष में दो बार जुताई करनी चाहिए। कटहल के बाग़ में बरसात आदि पानी बिलकुल नहीं जमना चाहिए। पौधा लगाने के बाद से एक वर्ष तक पौधों की अच्छी देख-रेख करनी चाहिए। पौधों के थालों में समय-समय पर खरपतवार निकाल कर निराई-गुड़ाई करते रहना चाहियें।


Crop Related Disease

Description:
विभिन्न आकार और रंग के धब्बे के साथ पत्ती के लक्षणों की विविधता। स्पॉटिंग पैटर्न पौधे की सभी पत्तियों पर मौजूद होता है, जो पत्तों की नसों द्वारा सीमित होता है और आमतौर पर तेज किनारों (बनाम) के साथ होता है। पुरानी पत्तियों तक सीमित है और कवक के साथ फैलता है)।
Organic Solution:
डीप बरी, बर्न (जहां स्थानीय अध्यादेश द्वारा अनुमति दी गई है) या इस सामग्री का गर्म खाद (hot कम्पोस्ट) करे |
Chemical Solution:
यदि बीमारी का जल्द पता चल जाता है, तो फंगिसाइड के उपयोग से इसका विकास धीमा हो सकता है। हालांकि, ध्यान रखें कि आम पत्ती वाला स्थान अक्सर एक कॉस्मेटिक मुद्दा होता है और कवकनाशी का उपयोग वारंट नहीं किया जा सकता है। यदि आप यह तय करते हैं कि फफूंदनाशक उपचार की आवश्यकता है, तो एक ऐसे उत्पाद का चयन करें जो स्ट्रॉबेरी पर उपयोग के लिए लेबल किया गया हो और जिसमें कैप्टान, मायक्लोबुटानिल या तांबा सक्रिय तत्व के रूप में हो। फूल लगाने से पहले तांबे युक्त फफूंदनाशकों का प्रयोग करें।
Description:
फलों की सड़न की संभावना बढ़ जाती है| परिपक्वता के अंतिम चरणों के दौरान, आमतौर पर फसल के 2 से 3 सप्ताह पहले। प्रारंभ में, त्वचा पर टैन-ब्राउन, परिपत्र धब्बे दिखाई देते हैं।
Organic Solution:
फल-संरक्षण विधि जिसे हाइड्रो-कूलिंग के रूप में जाना जाता है, जिससे ताजे कटे हुए फलों और सब्जियों से गर्मी को हटा दिया जाता है बर्फ के पानी में उन्हें स्नान करने से भंडारण या परिवहन के दौरान फंगल विकास को रोका जा सकता है।
Chemical Solution:
समय पर और दोहराया डाइकारबॉक्सिमाइड्स, बेन्ज़िमिडाज़ोल्स, ट्राइफोराइन, क्लोरोथालोनिल, माइकोबुटानिल, फेनब्यूकोनाज़ोल पर आधारित फफूंदनाशकों का उपयोग रोग के इलाज के लिए प्रोपोकोनाज़ोल, फेनहेक्सिडाम और एनलिनोपाइरीमिडीन प्रभावी हैं।
Description:
ब्राउन रस्ट फंगस प्यूकिनिया हेलियनथि श्व (Puccinia helianthi Schw) के कारण होता है। जंग के साथ गंभीर संक्रमण बीज के आकार, सिर के आकार, तेल सामग्री और उपज में कमी का कारण बनता है। बढ़ते मौसम के दौरान कभी भी जंग लग सकती है जब तक कि पर्यावरण की स्थिति इसके लिए अनुकूल होती है।
Organic Solution:
सहिष्णु और प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग | फसल चक्रण का पालन किया जाना चाहिए। पिछली फसल अवशेष नष्ट हो जाना चाहिए। • फसल अवशेषों को निकालना।
Chemical Solution:
2 किलो / हेक्टेयर पर मैनकोजेब का छिड़काव करें।

Jackfruit (कटहल) Crop Types

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Frequently Asked Questions

Q1: कटहल के पेड़ को फल लगने में कितना समय लगता है?

Ans:

आप जानते है कटहल के पेड़ पौधे लगाने के तीन से चार साल के भीतर फल देने लगते हैं। वे अपने 100 साल के जीवनकाल के दौरान 80 फीट की ऊंचाई तक पहुंच सकते हैं, लेकिन फसल को अधिकतम करने के लिए इसे 15 फीट पर छंटनी चाहिए।

Q3: कटहल स्वास्थ्य के लिए किस प्रकार फायदेमंद है?

Ans:

आप जानते है कटहल विटामिन सी, पोटेशियम, आहार फाइबर, और अन्य महत्वपूर्ण विटामिन और खनिजों का एक अच्छा स्रोत है। इसके अलावा, शोध से पता चलता है कि कटहल, कटहल के बीज और पौधे के अन्य भागों में यौगिकों में कई स्वास्थ्य स्थितियों का इलाज या रोकथाम करने की क्षमता हो सकती है।

Q2: कटहल के लिए कौन सी जलवायु अनुकूल होती है?

Ans:

आप जानते है कटहल के पेड़ के लिए केवल नम उष्णकटिबंधीय और निकट-उष्णकटिबंधीय जलवायु के लिए अनुकूलित है। यह अपने प्रारंभिक जीवन में ठंड के प्रति संवेदनशील है और सूखे को सहन नहीं कर सकता है। यदि वर्षा कम होती है, तो पेड़ की सिंचाई करनी चाहिए। भारत में, यह हिमालय की तलहटी में और समुद्र-तल से दक्षिण में 5,000 फीट (1,500 मीटर) की ऊँचाई तक फैला है।

Q4: कटहल के साथ क्या नहीं खाना चाहिए?

Ans:

आयुर्वेद के अनुसार, कटहल और दूध को एक हानिकारक संयोजन माना जाता है। सदियों से कटहल और किसी भी डेयरी उत्पाद के संयोजन को मना किया गया है और यह अपच और त्वचा रोगों का कारण बनता है।