चिया की फसल 120 दिन में कटाई के लिए हो जाती है तैयार, और इसकी खेती करके कमाएं अच्छा मुनाफा
चिया की फसल 120 दिन में कटाई के लिए हो जाती है तैयार, और इसकी खेती करके कमाएं अच्छा मुनाफा
Android-app-on-Google-Play

चिया की उन्नत खेती : भारत में न केवल सुपर फूड्स की मांग और खपत अधिक है, बल्कि विदेशी बाजारों की मांग भी भारत के किसानों द्वारा पूरी की जा रही है। हम बात कर रहे हैं चिया सीड्स की खेती की, जिसे नए जमाने का सुपर फूड कहा जाता है।
चिया बीज एक प्रकार का पौधा है जो पोषक तत्वों से भरपूर और उच्च गुणवत्ता वाला होता है। इसी वजह से इस पौधे को सुपर फूड भी कहा जाता है। अगर इसकी खेती की बात करें तो भारत में इसकी खेती तेजी से की जा रही है।
हमारे देश में कृषि को बहुत महत्व दिया जाता है इसलिए किसान भाइयों की मदद के लिए सरकार हमेशा आगे रहती है। जिससे उनकी आय में वृद्धि हो सके। इसी क्रम में किसान अब परंपरागत खेती की जगह नकदी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं। देश में औषधीय गुणों की लोकप्रियता दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है, क्योंकि इस खेती की लागत बहुत कम है और बाजार में इसकी मांग अधिक है। किसानों के फायदे के लिए यह खेती एक बेहतर विकल्प है।

चिया की उपयोगिता
  • चिया बीज देखने में बहुत छोटे होते है परंतु स्वास्थ्य और पौष्टिकता का पूरा खजाना इनमें समाहित है। 
  • इसके बीज में 30- 35 % उच्च गुणवत्ता वाला तेल पाया जाता है जो की ओमेगा-3 और ओमेगा-6 पेटी एसिड का बेहतरीन ( 60% से अधिक) स्त्रोत है, यह तेल सामान्य स्वास्थ्य और हृदय के लिए अति उत्तम पाया गया है। 
  • यही नहीं इसके बीज में अधिक मात्रा में प्रोटीन (20-22%), खाने योग्य रेशा (लगभग 40%) तथा एंटी ओक्सिडेंट, खनिज लवण (कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटैशियम) और विटामिन्स (नियासिन, राइबोफ्लेविन और थायमिन ) विद्यमान होते है। 
  • चिया में नियासिन विटामिन की मात्रा मक्का, सोयाबीन और चावल से अधिक होती है। 
  • चिया बीज में दूध की तुलना में छह गुना अधिक कैल्शियम, ग्यारह गुना अधिक फॉस्फोरस एंड चार गुना अधिक पोटेशियम पाया गया है। 
  • चिया बीज में अपने वजन से 12 गुना से अधिक मात्रा में पानी सोखने की क्षमता होती है, जिससे इसे खाद्य उद्योग के लिए अधिक उपयोगी माना जा रहा है। 
  • चिया बीज से बने आहार और व्यंजन शक्ति महत्वपूर्ण स्त्रोत माने जाते है। 
  • बीज का इस्तेमाल खाद्यान्न (रोटी, दलिया या हल्वा) या बीज अंकुरित कर सलाद के रूप में उपयोग किया जा सकता है। 
  • दूध या छाछ के साथ इसका पाउडर मिलाकर पौष्टिक पेय के रूप में भी इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है। 
  • चिया के हरे ताजे या सूखे पत्तों से निर्मित चाय स्वास्थ्य के लिए लाभकारी बताई जाती है।

जमीन की आवश्यकता
चिया की खेती सभी प्रकार की उपजाऊ और कम उर्वर भूमिओं में सफलता पूर्वक की जा सकती है। इस फसल से अधिकतम उपज और लाभ लेने की लिए अग्र प्रस्तुत वैज्ञानिक तरीके से खेती करना चाहिए।

जलवायु
प्रकाश सर्वेदी फसल होने के कारण ग्रीष्म ऋतू में चिया के पौधों में पुष्पन और बीज निर्माण बहुत कम होता है। पौधो को बेहतर बढ़वार और अधिक उपज के लिए चिया फसल की बुआई वर्षा ऋतु खरीफ में जून-जुलाई के पश्चात और शरद ऋतू-रबी में अक्टूबर-नवम्बर में करना श्रेष्ठतम पाया गया है।

चिया बीज बुवाई का तरीका
अच्छी प्रकार से तैयार खेत में वांक्षित आकार की उठी हुई क्यारी बना लें। चिया के बीज आकर में छोटे होते है इसलिए क्यारी की मिट्टी भरभरी और समतल कर लेना चाहिए। 
इस खेती में दो तरह की बुआई की जाती है। इसकी खेती एक छिड़काव विधि से और दूसरी नर्सरी विधि से की जा सकती है। पहली विधि में आपको एक एकड़ भूमि में लगभग डेढ़ किलो बीज की आवश्यकता होगी। वहीं दूसरी विधि में नर्सरी में बेहतर बीज तैयार करें और फिर उन्हें अपने खेत में लगाएं।
चिया के 100 ग्राम बीज को 1 किलो रेत में रेत या सुखी मिट्टी के साथ मिलाकर तैयार क्यारी में एकसार बोने के उपरांत बारीक वर्मी कम्पोस्ट या मिट्टी से ढक कर हल्की सिचाई करना चाहिए। क्यारी में नियमित रूप से झारे की मदद से हल्की सिंचाई करते रही जिससे क्यारी की मिट्टी नम बनी रहें।

मुख्य खेत की तैयारी और रोपण
पौधे लगाने के लिए खेत की अच्छी तरह सफाई करने के बाद उसे जोतकर समतल कर लेना चाहिए। खेत की अंतिम जुताई के समय निम्न उर्वरकों का प्रयोग करें जैसे-
केंचुए / वर्मीकम्पोस्ट: पौधे के लिए पोषक तत्व प्रदान करता है,
नीम की खली : जमीन में मौजूद कीड़ों को मारती है।
जिप्सम पाउडर: मिट्टी को भुरभुरा रखने में मदद करता है, और
ट्राइकोडर्मा कवकनाशी पाउडर: जो मिट्टी में मौजूद हानिकारक कवक को मारने में उपयोगी होता है।
इन सभी खादों और उर्वरकों को खेत में समान रूप से फैलाकर मिट्टी में अच्छी तरह मिला देना चाहिए। अब खेत में 30 सेमी. पौधे से पौधे को 5 सेंटीमीटर की दूरी पर पंक्तियां बनाकर लगाएं। की दूरी रखते हुए पौधे लगाने चाहिए। ठंड के मौसम-रबी में कतार से कतार में 3 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 20 सेंटीमीटर रखना उचित पाया गया है क्योंकि ठंड के मौसम में पौधों की वृद्धि कम होती है। रोपण के तुरंत बाद खेत में हल्की सिंचाई आवश्यक है ताकि पौधों को आसानी से स्थापित किया जा सके। भूमि में नमी के स्तर और मौसम के अनुसार 8-10 दिन के अन्तराल पर हल्की सिंचाई करें।

खरपतवार नियंत्रण 
फसल को खरपतवार के प्रकोप से बचाने के लिए खेत में 2-3 बार हाथ से निराई-गुड़ाई करनी चाहिए। खेत में खाली स्थानों पर पौधे रोपने का कार्य भी रोपण के 10-15 दिन के अंदर पूर्ण कर लेना चाहिए।

फसल की फसल
फसल तैयार होने में 90 से 120 दिन का समय लगता है। फसल बोने के 40-50 दिनों के भीतर फूल आने लगती है। फूल आने के 25-30 दिन में बीज पककर तैयार हो जाते हैं। फसल पकने के समय पौधे और बालियाँ पीली पड़ने लगती हैं। फसल की कटाई, थ्रेसिंग और अनाज को साफ करने के बाद, उन्हें सुखाकर बाजार में बेच दिया जाता है या उपज को बेहतर बाजार मूल्य की प्रतीक्षा में रखा जाता है।

फसल की उपज और लाभ
मौसम और प्रबंधन के आधार पर चिया की फसल से 6 से 7 क्विंटल प्रति एकड़ उपज प्राप्त होती है।