गेहूं की DBW 327 किस्म ने बनाया बंपर पैदावार का रिकॉर्ड, प्रति एकड़ 33.70 क्विंटल का उत्पादन
गेहूं की DBW 327 किस्म ने बनाया बंपर पैदावार का रिकॉर्ड, प्रति एकड़ 33.70 क्विंटल का उत्पादन
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भारत में मुख्य रूप से गेहूं की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है। खाद्य सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ये फसल बहुत महत्वपूर्ण हैं। यही कारण है कि यहां के किसान भी हर साल अधिक से अधिक गेहूं की खेती करना पसंद करते हैं। इस बार पंजाब और हरियाणा में गेहूं की बंपर पैदावार हुई है। खासकर पंजाब के फतेहगढ़ साहिब जिले और हरियाणा के पानीपत जिले में गेहूं का अधिक उत्पादन देखने को मिल रहा है। बताया जा रहा है कि इन दोनों जिलों में किसानों ने गेहूं की सबसे अच्छी किस्म डीबीडब्ल्यू 327 की बुआई की थी। इस किस्म को करण शिवानी के नाम से भी जाना जाता है। यह किस्म बंपर पैदावार के लिए जानी जाती है। इसकी औसत उपज 87.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। डीबीडब्ल्यू 327 किस्म आईसीएआर-भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल द्वारा विकसित की गई है।

आईसीएआर, करनाल के भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान (आईआईडब्ल्यूबीआर) द्वारा विकसित गेहूं की डीबीडब्ल्यू 327 (करण शिवानी) किस्म ने हरियाणा और पंजाब में उत्पादन के नए रिकॉर्ड बनाए हैं। पंजाब के फतेहगढ़ साहिब जिले और हरियाणा के पानीपत जिले के किसानों ने डीबीडब्ल्यू 327 किस्म से रिकॉर्ड तोड़ पैदावार की सूचना दी है।

IIWBR से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पंजाब के फतेहगढ़ साहिब जिले के चियारथल खुर्द गांव के किसान दविंदर सिंह उर्फ हरजीत सिंह ने DBW 327 किस्म की 08 नवंबर 2023 तारीख को बुआई के साथ प्रति एकड़ 33.70 क्विंटल (84.0 क्विंटल/हेक्टेयर) उपज प्राप्त की है। 

इसी प्रकार, हरियाणा के पानीपत जिले के बरौली गांव के किसान सुरेश कुमार ने डीबीडब्ल्यू 327 किस्म की 7 नवंबर 2023 की बुआई पर 32.40 क्विंटल/एकड़ (81.0 क्विंटल/हेक्टेयर) गेहूं की उपज प्राप्त की है।

डीबीडब्ल्यू 327 (करण शिवानी) किस्म ने असाधारण प्रदर्शन किया है और दो प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों, हरियाणा और पंजाब में बंपर पैदावार दी है। उत्तर पश्चिमी मैदानी इलाकों के सिंचित क्षेत्र में जल्दी बुआई के लिए जलवायु अनुकूल और बायोफोर्टिफाइड (Zn- 40.6 पीपीएम) किस्म 2021 में जारी की गई थी। वर्ष 2023 में मध्य क्षेत्र के लिए DBW 327 भी अधिसूचित किया गया। आईसीएआर ने 2023 में इस किस्म को सर्वश्रेष्ठ फसल विज्ञान प्रौद्योगिकी के रूप में मान्यता दी थी। इस किस्म की उपज क्षमता 87.7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर और औसत उपज 79.4 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है जो गेहूं उत्पादन में एक नया मानक है।


आईआईडब्ल्यूबीआर के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि ऐसे किसान हैं जिन्होंने डीबीडब्ल्यू 327 गेहूं से 30 एकड़ में 30 क्विंटल प्रति एकड़ की औसत उपज हासिल की है। आईसीएआर-आईआईडब्ल्यूबीआर, करनाल के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने किसानों की बढ़ती जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्नत फसल किस्मों को विकसित करने पर जोर दिया। उन्होंने आगे कहा कि डीबीडब्ल्यू 327 किस्म की सफलता अनुसंधान और विकास, किसानों को सशक्त बनाने और देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

रोहतक के सांघी गांव के कई किसानों ने प्रति एकड़ 32 क्विंटल की बंपर उपज और 27 क्विंटल प्रति एकड़ से अधिक की औसत उपज प्राप्त करने की सूचना दी है। संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने अधिक पैदावार करने वाले किसानों को सम्मानित किया। डीबीडब्ल्यू 327 किस्म का उत्कृष्ट प्रदर्शन किसानों को उच्च स्तरीय गेहूं उत्पादन प्रदान करने में अनुसंधान के महत्व को रेखांकित करता है। खास बात यह है कि किसानों ने आईसीएआर-आईआईडब्ल्यूबीआर बीज पोर्टल से गुणवत्तापूर्ण बीज प्राप्त किए, फीडबैक दिया और इस किस्म में कृषि अनुसंधान और नवाचार की सफलता को उजागर करते हुए उच्चतम उपज की सूचना दी।