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मानसून के आते ही देशभर में किसान भाई मूंगफली और बाजरे की खेती में जुट गए हैं। कई जगहों पर इन फसलों की बुवाई हो चुकी है और अंकुरण भी शुरू हो गया है। ऐसे में अगर आप भी मूंगफली या बाजरे की खेती कर रहे हैं, तो कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है, वरना मेहनत पर पानी फिर सकता है।
मिट्टी का सही चुनाव
बहुत जरूरी
कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक मूंगफली के लिए ऐसी मिट्टी सबसे
अच्छी होती है जिसमें पानी का निकास ठीक से हो सके। बलुई दोमट मिट्टी मूंगफली के
लिए आदर्श मानी जाती है। वहीं दूसरी ओर,
बाजरे की खासियत यह है कि यह कम उपजाऊ और सूखी जमीन में भी अच्छी फसल देता है।
इसलिए मिट्टी का चुनाव फसल के अनुसार करें।
बीजोपचार से फसल बचेगी
बीमारियों से
बुवाई से पहले बीज का उपचार करना बेहद जरूरी होता है। इससे
फसल की रोगों से रक्षा होती है और अंकुरण अच्छा होता है। मूंगफली और बाजरा दोनों
में बीजोपचार करने से फसल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों बेहतर होते हैं।
खरपतवार और दवा का
इस्तेमाल सोच-समझकर करें
मूंगफली की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए पेंडीमेथालिन
या इमाजेथाइपर का उपयोग किया जाता है। वहीं,
बाजरे के खेतों में एट्राजीन या 2,4-डी
जैसी दवाएं कारगर होती हैं। लेकिन एक बात का खास ध्यान रखें—अगर बाजरे की दवा गलती
से मूंगफली में चली गई,
या मूंगफली की दवा बाजरे में पहुंच गई,
तो फसल को भारी नुकसान हो सकता है।
दवाओं को अलग-अलग रखें
और छिड़काव में रखें अंतर
अगर आपके खेत में दोनों फसलें हैं, तो दवाओं के
छिड़काव में कम से कम 7 से 10 दिन का अंतर
रखें। साथ ही, दोनों
के लिए अलग-अलग स्प्रे मशीन का इस्तेमाल करें, ताकि एक फसल की दवा दूसरी पर न पहुंच सके।
दवा का छिड़काव कब और
कैसे करें?
·
दवा का छिड़काव सुबह या शाम के समय करें, जब तापमान कम हो।
·
तेज धूप में छिड़काव करने से पौधों को नुकसान हो सकता है।
·
बारिश के समय या बारिश से ठीक पहले दवा का प्रयोग न करें, इससे दवा बह
सकती है।
·
अगर गलती से गलत दवा छिड़क जाए तो तुरंत साफ पानी का
छिड़काव करें, ताकि
उसका असर कम किया जा सके।
फसल पर रखें नजर
दवा के छिड़काव के बाद अपने खेतों की निगरानी करें। अगर कोई
पत्तियां जलने लगें या पौधों में कोई बदलाव दिखे, तो तुरंत कृषि विशेषज्ञ से संपर्क करें। खेती में मेहनत के
साथ जानकारी भी जरूरी है। मूंगफली और बाजरे की फसल अच्छी हो इसके लिए दवा, मिट्टी और समय
का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। थोड़ी सी लापरवाही से बड़ा नुकसान हो सकता है, इसलिए हर कदम
सोच-समझकर उठाएं और कृषि सलाह का पालन करें।
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