तोरई की खेती से पाएं बेहतर मुनाफा – जानिए उन्नत किस्में और जरूरी तरीके

तोरई की खेती से पाएं बेहतर मुनाफा – जानिए उन्नत किस्में और जरूरी तरीके
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Kisaan Helpline

Crops Jul 02, 2025

भारत में सब्जियों की खेती करने वाले किसानों के लिए तोरई एक बढ़िया विकल्प बनकर उभरी है। गर्मी और बरसात के मौसम में इसकी मांग लगातार बनी रहती है। इसकी खेती ना केवल आसान है, बल्कि कम समय में अच्छी पैदावार देकर किसानों को बढ़िया आय भी देती है।

 

कब और कैसे करें तोरई की खेती?

तोरई की खेती मुख्य रूप से मार्च से अप्रैल के बीच शुरू की जाती है, लेकिन यदि बरसात में भी किसान इसकी बुवाई करना चाहें, तो उपयुक्त देखभाल से अच्छी उपज ली जा सकती है। बुवाई के करीब 60 से 70 दिनों में फल तैयार हो जाते हैं।

 

खेत तैयार करते समय सबसे पहले मिट्टी को पलटने वाले हल से जुताई करें, इसके बाद 2-3 बार हैरो या कल्टीवेटर से खेत को भुरभुरा बनाएं। मिट्टी में सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाना फायदेमंद होता है। तोरई की अच्छी फसल के लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है जिसमें पानी का बहाव अच्छा हो।

 

कौन-कौन सी किस्में देंगी अच्छी पैदावार?

किसानों को चाहिए कि वे बेहतर किस्मों का चुनाव करें ताकि बाजार में अच्छी कीमत मिल सके। कुछ प्रसिद्ध किस्में इस प्रकार हैं:

·         पूसा चिकनी

·         पूसा स्नेहा

·         काशी दिव्या

·         पूसा सुप्रिया

ये किस्में जल्दी तैयार होती हैं और बाजार में इनकी मांग भी अधिक होती है।

 

बुवाई की विधि और देखभाल

तोरई की बुवाई के लिए नाली विधि (ridge method) अपनाएं। साथ ही बेलों को फैलने के लिए मचान या जाल विधि का उपयोग करें। इससे फल जमीन से ऊपर रहते हैं और सड़न से बचते हैं। बुवाई के लिए 3 से 5 किलो बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त होता है।

 

तोड़ाई और फसल सुरक्षा

फल बनने के 6-7 दिन बाद ही तुड़ाई कर लेनी चाहिए जब तोरई नरम अवस्था में हो। इससे सब्जी की गुणवत्ता बनी रहती है और ग्राहक भी पसंद करते हैं। कीटों से फसल को बचाने के लिए जैविक या अनुमोदित कीटनाशकों का प्रयोग करें।

 

पैदावार और तापमान की भूमिका

अच्छी देखरेख के साथ प्रति हेक्टेयर 150 क्विंटल या उससे अधिक उत्पादन लिया जा सकता है। तापमान यदि 32 से 38 डिग्री सेल्सियस के बीच हो, तो यह फसल के लिए आदर्श माना जाता है।

 

तोरई की खेती उन किसानों के लिए एक बढ़िया अवसर है, जो कम समय में अधिक उत्पादन और मुनाफा पाना चाहते हैं। सही किस्म, विधि और देखभाल से यह फसल हर मौसम में अच्छा मुनाफा दे सकती है।

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