सोयाबीन की फसल में पीले पत्तों का खतरा! मोजेक वायरस फैला रहा तबाही, किसान करें ये जरूरी उपाय

सोयाबीन की फसल में पीले पत्तों का खतरा! मोजेक वायरस फैला रहा तबाही, किसान करें ये जरूरी उपाय
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Kisaan Helpline

Crops Aug 05, 2025

मध्यप्रदेश के कई इलाकों में इस समय किसान सोयाबीन की खेती में जुटे हुए हैं, लेकिन इसी बीच एक गंभीर समस्या सामने आ रही है, जिसने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। खेतों में पीले पड़ते पत्ते मोजेक वायरस के संक्रमण की ओर इशारा कर रहे हैं। यह रोग एक संक्रामक वायरस की तरह तेजी से फैलता है और यदि समय रहते रोकथाम न की जाए तो पूरी फसल को खराब कर देता है।

 

क्या है पीला मोजेक वायरस?

पीला मोजेक एक वायरस जनित रोग है जो मुख्य रूप से सफेद मक्खियों के द्वारा फैलता है। यह बीमारी सबसे पहले फसल की पत्तियों को पीला करना शुरू करती है और धीरे-धीरे पूरे पौधे को कमजोर बना देती है। संक्रमित पौधे फूल नहीं देते, फल नहीं बनते और अंत में फसल पूरी तरह से बर्बाद हो जाती है।

 

पीले मोजेक वायरस के लक्षण

·        पत्तियों का रंग हरे से पीला हो जाता है।

·        पत्तियां खुरदुरी हो जाती हैं और सिकुड़ने लगती हैं।

·        पत्तियों पर भूरे या सलेटी धब्बे दिखने लगते हैं।

·        सफेद मक्खियों की संख्या बढ़ने लगती है।

·        पौधा धीरे-धीरे मुरझाने लगता है और फलन नहीं होता।

·        शुरुआत में ही ये लक्षण दिखने लगते हैं, इसलिए समय पर पहचान जरूरी है।

 

क्यों है ये रोग खतरनाक?

अगर यह रोग फूल आने से पहले लग जाए तो पौधे में फल नहीं आते, जिससे उत्पादन शून्य हो जाता है। यह बीमारी कभी भी फसल में आ सकती है — बीज अंकुरण से लेकर फूल आने तक। इसलिए फसल पर लगातार नजर बनाए रखना बेहद जरूरी है।

 

रोकथाम और बचाव के उपाय

किसान भाइयों को चाहिए कि समय रहते नीचे दिए गए उपाय अपनाएं:

·        संक्रमित पौधों को तुरंत खेत से बाहर करें

·        जिन पौधों में बीमारी के लक्षण नजर आएं, उन्हें तुरंत उखाड़कर खेत से बाहर ले जाकर जला दें। इससे वायरस फैल नहीं पाएगा।

 

पीले चिपचिपे ट्रैप लगाएं

खेत में जगह-जगह पर येलो स्टिकी ट्रैप या सोलर इन्सेक्ट ट्रैप लगाने से सफेद मक्खियों को पकड़ा जा सकता है, जो इस बीमारी के फैलाव का मुख्य कारण हैं।

 

कीटनाशकों का समय पर छिड़काव करें

खेत में सफेद मक्खी को मारने के लिए निम्नलिखित कीटनाशकों का छिड़काव करें:

·        थायोमेथोक्सम + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन (125 मि.ली./हेक्टेयर)

·        बीटासायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मि.ली./हेक्टेयर)

 

बीज का उपचार करें

बुवाई से पहले बीजों को इमिडाक्लोप्रिड के घोल में भिगोकर उपचारित करें। इससे फसल की शुरुआत से ही रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

 

नई और रोग प्रतिरोधक किस्में अपनाएं

किसान भाइयों को चाहिए कि वे नई उन्नत किस्मों की बुवाई करें, जो इस प्रकार की बीमारियों के प्रति अधिक प्रतिरोधी होती हैं।

 

किसानों के लिए सलाह

·        पीला मोजेक वायरस हवा और पानी के माध्यम से एक खेत से दूसरे खेत में फैल सकता है, इसलिए संक्रमित खेत के पास अन्य फसलें लगाते समय सतर्क रहें।

·        एक बार फैलने के बाद इस वायरस को रोकना मुश्किल होता है, इसलिए शुरुआती लक्षण दिखते ही तुरंत दवा छिड़कें और पौधे हटाएं।

·        कृषि वैज्ञानिकों या कृषि अधिकारी की सलाह पर दवाओं का सही उपयोग करें।

 

पीले मोजेक रोग से फसल की पूरी पैदावार प्रभावित हो सकती है। इसलिए किसान भाइयों को सलाह दी जाती है कि वे अपनी फसल की नियमित जांच करें और ऊपर दिए गए उपायों को अपनाकर फसल को इस खतरनाक वायरस से बचाएं। सतर्कता ही इस समस्या का सबसे बेहतर इलाज है।

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