मेथी की खेती का सही समय और तरीका: किसान अपनाएं ये टिप्स, पैदावार होगी दोगुनी"

मेथी की खेती का सही समय और तरीका: किसान अपनाएं ये टिप्स, पैदावार होगी दोगुनी"
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Kisaan Helpline

Crops Aug 14, 2025

 मेथी की खेती में सही समय क्यों जरूरी है?

 

मेथी एक ऐसी फसल है जो कम समय में तैयार हो जाती है और बाज़ार में हमेशा मांग रहती है। लेकिन इसकी अच्छी पैदावार के लिए सही समय पर बुवाई करना बेहद ज़रूरी है। अगर किसान सही मौसम और सही तरीका अपनाएं तो पैदावार और मुनाफा दोनों बढ़ सकते हैं।

 

कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि सितंबर के तीसरे और चौथे हफ्ते से लेकर अक्टूबर-नवंबर तक का समय मेथी की बुवाई के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। इस समय मौसम ठंडा होने लगता है और दिन का तापमान 15 से 25 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है, जो बीजों के अच्छे अंकुरण और पौधों की तेज़ बढ़त के लिए उपयुक्त है। हल्की नमी और ठंडक मेथी की पत्तियों को हरा-भरा बनाती है।

 

मिट्टी और खेत की तैयारी

·         मेथी के लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी होती है, जिसमें पानी का जमाव न हो।

·         खेत की बुवाई से पहले मिट्टी की जांच कर लें और उसका pH 6 से 7 के बीच रखने की कोशिश करें।

·         बुवाई से पहले 1-2 बार हल चलाकर मिट्टी को भुरभुरा बना लें।

·         मिट्टी में गोबर की सड़ी हुई खाद, वर्मी कम्पोस्ट या कम्पोस्ट खाद अच्छी मात्रा में मिलाएं ताकि पौधों को भरपूर पोषण मिले।

 

बीज का चुनाव और बुवाई का तरीका

·         1 हेक्टेयर खेत के लिए लगभग 20-25 किलो मेथी के बीज की जरूरत होती है।

·         बीज बोने से 12 घंटे पहले पानी में भिगो दें ताकि अंकुरण जल्दी हो।

·         बुवाई से पहले बीजों को जैविक फफूंदनाशक से ट्रीट करें, जिससे बीमारियों से बचाव हो सके।

·         बीजों को 2-3 सेंटीमीटर की गहराई पर बोएं और पौधों के बीच उचित दूरी रखें ताकि हवा और धूप सही से मिल सके।

 

सिंचाई और खेत की देखभाल

·         बुवाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें।

·         इसके बाद हर 7-10 दिन में पानी दें, लेकिन पानी भरने से बचें वरना जड़ों में सड़न हो सकती है।

खरपतवार (घास-फूस) को समय-समय पर हटाते रहें।

·         पहली गुड़ाई: बुवाई के 20-25 दिन बाद

·         दूसरी गुड़ाई: बुवाई के 40-45 दिन बाद

 

खाद और रोग नियंत्रण

·         जैविक खाद (गोबर की खाद, कम्पोस्ट) के साथ-साथ नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश का संतुलित प्रयोग करें।

·         मेथी की फसल में एफिड (चूसक कीड़े) और जड़ गलन का खतरा रहता है।

·         बचाव के लिए नीम का तेल या अन्य जैविक कीटनाशक का छिड़काव करें।

·         यदि कोई पौधा बीमारी से प्रभावित हो जाए तो उसे तुरंत खेत से हटा दें।

 

कटाई का सही समय और तरीका

·         बुवाई के 30-35 दिन बाद मेथी की पत्तियां तोड़ने के लिए तैयार हो जाती हैं।

·         जब पत्तियां हरी, मुलायम और ताज़ी हों तभी कटाई करें।

·         पत्तियां तोड़ने के बाद पौधों से फिर नई पत्तियां निकल आती हैं, जिससे एक ही फसल से कई बार कटाई की जा सकती है।

·         समय पर और सावधानी से की गई कटाई से पैदावार और गुणवत्ता दोनों बढ़ जाती हैं।

 

मेथी की खेती कम समय में ज्यादा मुनाफा देने वाली फसल है, बशर्ते किसान सही समय पर बुवाई और वैज्ञानिक तरीका अपनाएं। समय पर सिंचाई, खरपतवार नियंत्रण, और संतुलित खाद के साथ किसान अपनी फसल से दोगुनी पैदावार पा सकते हैं।

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