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Soyabean Variety : खरीफ सीजन की शुरुआत होने जा रही है और देशभर के किसान अब अपनी खेतों में नई फसलों की तैयारी में जुट गए हैं। खासतौर पर मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और उत्तर भारत के अन्य हिस्सों में सोयाबीन की खेती बड़े पैमाने पर होती है। इस बार मौसम विभाग ने सामान्य मानसून की संभावना जताई है, जिससे सोयाबीन की फसल के लिए यह सीजन बेहद अनुकूल हो सकता है।
अगर किसान इस बार सही किस्म चुनकर समय पर बुआई करें, तो उन्हें बंपर
उत्पादन मिल सकता है। इस लेख में हम आपको देश की 5 प्रमुख सोयाबीन किस्मों – JS 2034, JS 2069, BS 6124, MACS 1407 और NRC 181 – के बारे में
विस्तृत जानकारी देंगे,
जिससे किसान अपने क्षेत्र और जरूरत के अनुसार सर्वोत्तम किस्म चुन सकें।
1. JS 2034 सोयाबीन किस्म – कम बारिश में भी बेहतर उत्पादन
किसान क्यों अपनाएं यह
किस्म?
JS 2034 किस्म
खासतौर पर मध्य प्रदेश के किसानों के लिए बेहतरीन विकल्प है। यह कम वर्षा वाले
क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है और विपरीत परिस्थितियों में भी अच्छी उपज देती है।
मुख्य विशेषताएं:
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बुवाई का समय: 15 जून से 30 जून
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फसल पकने का समय: 80-85 दिन
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उपज क्षमता: 24-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
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बीज मात्रा: 30-35 किलोग्राम प्रति एकड़
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पौधे की ऊंचाई: लगभग 75-80 सेंटीमीटर
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पहचान: सफेद फूल,
पीले दाने, चपटी
फलियाँ
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रोग प्रतिरोधकता: पीला विषाणु
रोग, चारकोल
सड़न, पत्ती
धब्बा रोग
किसानों के फायदे:
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जल्दी पकने वाली किस्म
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कम बारिश वाले क्षेत्रों में भी अच्छा उत्पादन
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रोगों से लड़ने की ताकत
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बाजार में अच्छी कीमत मिलने की संभावना
2. JS 2069 सोयाबीन किस्म – जल्दी फसल और ज्यादा सुरक्षा
किसान क्यों चुनें JS 2069?
यह किस्म जल्दी पकने वाली है और गहरी एवं मध्यम मिट्टी में
बहुत अच्छे परिणाम देती है। इसका विकास मध्य प्रदेश के वैज्ञानिकों ने किया है।
मुख्य विशेषताएं:
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फसल अवधि: 85-90 दिन
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उपज क्षमता: 22-26 क्विंटल प्रति हेक्टेयर (लगभग 12 क्विंटल प्रति
एकड़)
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बीज मात्रा: 40 किलोग्राम प्रति एकड़
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पहचान: सफेद फूल,
चमकदार दाने
रोग और कीट प्रतिरोधकता:
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येलो मोज़ेक
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चारकोल सड़ांध
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झुलसा
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बैक्टीरियल स्पॉट
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स्टेम फ्लाई
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लीफ ईटर
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व्हील बीटल
किसानों के फायदे:
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जल्दी फसल तैयार होने से दोहरी खेती का अवसर
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कई रोगों और कीटों से सुरक्षा
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उच्च अंकुरण दर
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विभिन्न मिट्टियों में उपयुक्त
3. BS 6124 – बैंगनी फूल और बेहतर उपज की पहचान
किसान क्यों अपनाएं यह
किस्म?
यह किस्म अपने बैंगनी फूल और लंबे पत्तों के कारण अलग पहचान
रखती है। यह फसल 90-95 दिनों
में पक जाती है और उपज भी अच्छी देती है।
मुख्य विशेषताएं:
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फसल अवधि: 90-95 दिन
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उपज क्षमता: 20-25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
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बीज मात्रा: 35-40 किलोग्राम प्रति एकड़
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पहचान: बैंगनी फूल,
लंबे पत्ते
किसानों के फायदे:
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मध्यम अवधि की फसल
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अच्छी उपज
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खास पहचान से बाजार में ब्रांड वैल्यू
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बीज की सुलभता
4. MACS 1407 – उत्तर और पूर्वोत्तर भारत के लिए वरदान
किसान क्यों अपनाएं MACS 1407?
यह किस्म खासकर उत्तर भारत के वर्षा वाले इलाकों के लिए
विकसित की गई है। यह कई प्रकार के कीटों के लिए प्रतिरोधी होती है और यांत्रिक
कटाई के लिए उपयुक्त है।
मुख्य विशेषताएं:
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बुवाई का समय: 20 जून से 5 जुलाई
तक
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फूल आने का समय: बुआई के 43 दिन बाद
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फसल अवधि: लगभग 104 दिन
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उपज क्षमता: 39 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
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बीज की पहचान: पीले बीज, सफेद फूल, काला हिलम
कीट प्रतिरोधकता:
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गर्डल बीटल
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लीफ माइनर
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स्टेम फ्लाई
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व्हाइट फ्लाई
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डिफोलिएटर
किसानों के फायदे:
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उच्च उपज
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मानसून की अनिश्चितताओं के प्रति सहनशील
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यांत्रिक कटाई के लिए उपयुक्त
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कीटनाशकों का कम उपयोग
5. NRC 181 – रोगों के खिलाफ मजबूत और ज्यादा उपज वाली किस्म
किसान क्यों अपनाएं यह
किस्म?
यह किस्म पीला मोज़ेक और टारगेट लीफ ऑफ स्पॉट जैसे रोगों के
प्रति प्रतिरोधी है। यह सीमित वृद्धि वाली फसल है, जो मध्यम समय में पक जाती है।
मुख्य विशेषताएं:
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फसल अवधि: 90-95 दिन
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उपज क्षमता: 16-17 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
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पहचान: सफेद फूल,
गहरी भूरी नाभिका, भूरे
रोयें
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रोग प्रतिरोधकता: पीला मोज़ेक, टारगेट लीफ ऑफ
स्पॉट
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संवेदनशीलता: रायजोक्टोनिया एरियल ब्लाइट, चारकोल सड़न, एन्थ्रेक्नोस
किसानों के फायदे:
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अधिक उपज वाली किस्म
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प्रमुख रोगों से सुरक्षा
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सीमित वृद्धि के कारण देखभाल आसान
किसानों के लिए सलाह
इस खरीफ सीजन में अगर किसान उपयुक्त समय पर सही किस्मों का
चयन करते हैं, तो
उन्हें बेहतर उत्पादन और मुनाफा मिल सकता है। भारत की जलवायु को ध्यान में रखते
हुए सरकार और कृषि वैज्ञानिक लगातार ऐसी किस्में विकसित कर रहे हैं जो मौसम और
कीटों के प्रति सहनशील हों।
बुवाई के समय ध्यान
दें:
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बुआई का समय 15 जून
से लेकर 10 जुलाई
तक का सबसे उत्तम रहता है।
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बीज का उपचार जरूर करें, जिससे अंकुरण अच्छा हो और रोगों से बचाव हो।
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मिट्टी की जांच कर उचित उर्वरक का प्रयोग करें।
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जरूरत के अनुसार सिंचाई करें, खासकर सूखे समय में।
कृषक भाइयों के लिए
सुझाव:
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स्थानीय कृषि विभाग या कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) से संपर्क कर
बीज की गुणवत्ता की जांच जरूर करवाएं।
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विश्वसनीय स्रोतों से प्रमाणित बीज ही खरीदें।
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यदि आप पहली बार कोई नई किस्म आजमा रहे हैं, तो एक छोटे
हिस्से में ही प्रयोग करें।
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फसल बीमा का लाभ जरूर लें ताकि प्राकृतिक आपदा से नुकसान
होने पर मुआवजा मिल सके।
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