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सर्दी और कोहरे से क्यों बढ़ी किसानों की परेशानी
इस समय कई कृषि क्षेत्रों में कड़ाके की ठंड, घना कोहरा और पाला किसानों के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। लगातार गिरते तापमान और नमी के कारण सरसों, गेहूं और आलू की फसलों पर कीट व रोग तेजी से फैल रहे हैं। यदि समय रहते सावधानी न बरती जाए, तो फसल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों प्रभावित हो सकते हैं।
मौसम बदलते ही बढ़ा रोग और कीटों का खतरा
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, सर्दी और कोहरे के मौसम में खेतों में नमी बनी रहती है, जो फफूंद और कीटों के पनपने के लिए अनुकूल होती है। इस दौरान सरसों की फसल में माहू (एफिड), आलू में झुलसा रोग और गेहूं में पाले का असर अधिक देखने को मिलता है। शुरुआत में ही इन रोगों की पहचान कर ली जाए, तो नुकसान को काफी हद तक रोका जा सकता है।
फसलों में दिखने वाले शुरुआती लक्षण
किसानों को खेतों में नियमित निरीक्षण करते रहना चाहिए। पत्तियों पर पीले या भूरे धब्बे, पौधों का मुरझाना, सरसों में पत्तियों पर चिपचिपापन और आलू की पत्तियों का सूखना जैसे लक्षण खतरे का संकेत हो सकते हैं। ऐसे में देरी करना नुकसानदायक साबित हो सकता है।
आलू की फसल को झुलसा रोग से कैसे बचाएं
घने कोहरे के कारण आलू की फसल में झुलसा रोग तेजी से फैलता है। इससे बचाव के लिए कृषि विशेषज्ञ मैंकोजेव दवा के 0.2 प्रतिशत घोल का छिड़काव करने की सलाह देते हैं। छिड़काव करते समय इस बात का ध्यान रखें कि पत्तियों के ऊपर और नीचे दोनों तरफ दवा पहुंचे।
सरसों की फसल में माहू से सुरक्षा के उपाय
सरसों की फसल में माहू (एफिड) का प्रकोप होने पर पौधों की बढ़वार रुक जाती है। इससे बचाव के लिए डाईमिथोएट 30 ईसी का छिड़काव प्रभावी माना जाता है। बेहतर परिणाम के लिए सुबह देर से या शाम के समय दवा का छिड़काव करें।
पाले से गेहूं और सरसों को होने वाला नुकसान
पाले की स्थिति में गेहूं और सरसों की फसल को भारी नुकसान हो सकता है। पाले से पत्तियां झुलस जाती हैं और दाने भरने की प्रक्रिया प्रभावित होती है। कृषि अधिकारी बताते हैं कि समय पर उचित दवा का छिड़काव और खेत में हल्की नमी बनाए रखने से पाले का असर कम किया जा सकता है।
सरकार दे रही है दवाओं पर 50 प्रतिशत अनुदान
किसानों के लिए राहत की बात यह है कि सरकार द्वारा कीटनाशक और रोगनाशक दवाएं 50 प्रतिशत तक अनुदान पर उपलब्ध कराई जा रही हैं। किसान कृषि विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं या अपने नजदीकी कृषि विभाग कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं।
समय पर सही फैसला ही बचाव का सबसे बड़ा तरीका
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि अगर किसान मौसम की जानकारी पर नजर रखें, खेतों की नियमित निगरानी करें और समय पर सही दवा का उपयोग करें, तो सर्दी, कोहरा और पाले के बावजूद फसलों को सुरक्षित रखा जा सकता है। थोड़ी सी सतर्कता से किसान अपनी मेहनत की फसल को बचाकर अच्छी पैदावार हासिल कर सकते हैं।
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