Brinjal (बैंगन)
Basic Info
भारत में विभिन्न प्रकार की सब्जियों को उगाया हैं, जिनमें एक बैंगन हैं। बैंगन भारत में ही पैदा हुआ और आज आलू के बाद दूसरी सबसे अधिक खपत वाली सब्जी है। भारत चीन के बाद दूसरा सबसे अधिक बैंगन उगाने वाला देश है। यह देश में 5.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में उगाया जाता है। हमारे देश के अलावा भी यह अन्य कई देशों की प्रमुख सब्जी की फसल है। बैंगन में विटामिन ए तथा बी के अलावा कैल्शियम, फ़ॉस्फ़रस और लोहे जैसे खनीज भी होते है। बैंगन की खेती पुरे वर्ष की जा सकती है, बैंगन की फसल बाकी फसलों से ज्यादा सख्त होती है। इसके सख्त होने के कारण इसे शुष्क या कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता हैं। भारत देश में बैंगन उगाने वाले मुख्य राज्य मध्यप्रदेश, पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा, कर्नाटक, बिहार, महांराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान हैं।
Seed Specification
बुवाई का समय
बैंगन की खेती के लिए बैंगन की बुवाई पुरे वर्ष भर में किसी भी समय की जा सकती हैं।
वर्षाकालीन समय- नर्सरी तैयार करने का समय फरवरी से मार्च और मुख्य खेत में रोपाई का समय मार्च से अप्रेल उचित है।
शरदकालीन समय- नर्सरी तैयार करने का समय जून से जुलाई और मुख्य खेत में रोपाई का समय जुलाई से अगस्त उचित है।
बसंतकालीन समय- नर्सरी तैयार करने का समय दिसम्बर और मुख्य खेत में रोपाई का समय दिसम्बर से जनवरी उचित है।
दूरी
लाईन से लाईन की दूरी 60 से 70 सेंटीमीटर और लाईन में पौधे से पौधे की दूरी 60 सेंटीमीटर रखें।
गहराई
नर्सरी में बीज की बुवाई 1 से 1.5 सेन्टीमीटर की गहराई पर करें।
बुवाई का तरीका
बैंगन की खेती के लिए पौधरोपण हेतु बीजों द्वारा नर्सरी तैयार की जाती हैं।
नर्सरी तैयार करने का तरीका
एक हैक्टेयर की पौध तैयार करने के लिये एक मीटर चौडी और तीन मीटर लम्बी करीब 15 से 20 क्यारियों की आवश्यकता होती है। बीज की 1 से 1.5 सेन्टीमीटर की गहराई पर, 3 से 5 सेन्टीमीटर के अन्तर पर कतारों में बुवाई करें और बुवाई के बाद गोबर की बारीक खाद की एक सेन्टीमीटर मोटी परत से ढक दें तथा फव्वारें से सिंचाई करें।
बीज की मात्रा
एक हैक्टेयर में पौध रोपाई के लिये 500-750 ग्राम बीज और हाइब्रिड बीज की मात्रा 250 ग्राम/हेक्टेयर की आवश्यकता होती है।
बीज का उपचार
नर्सरी में बीज बुवाई से पहले बीजों को थीरम 3 ग्राम या कार्बेनडाज़िम 3 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचार करें।
Land Preparation & Soil Health
अनुकूल जलवायु
बैगन कि खेती से अछि पैदावार लेने के लिए लम्बे तथा गर्म मौसम कि आवश्यकता होती है। इसके बीजों के अच्छे अंकुरण के 25 डिग्री सेल्सिअस तापमान उपयुक्त माना गया है और पौधों कि अच्छी बढ़वार के लिए 13 से 21 डिग्री सेल्सिअस औसत तापमान सर्वोत्तम रहता है।
भूमि का चयन
बैंगन को अच्छी जलनिकासी वाली हल्के रेतीले से लेकर भारी मिट्टी तक अलग-अलग मिट्टी के सभी प्रकार में उगाया जा सकता है । हल्की मिट्टी जल्दी उपज के लिए अच्छी होती है, जबकि मिट्टी-दोमट और गाद-दोमट अच्छी तरह से अधिक उपज के लिए अनुकूल होते हैं । सामान्य और उच्च स्थिति की दोमट और रेतीली मिट्टी बैंगन की खेती के लिए सबसे उपयुक्त हैं। मिट्टी को उपजाऊ और अच्छी तरह से सूखा होना चाहिए। फसल की वृद्धि के लिए भूमि का पी.एच. मान 5.5-6.6 के बीच में होनी चाहिए।
खेत की तैयारी
बैंगन की उन्नत खेती के लिए पौध प्रत्यारोपण से पहले 4 से 5 बार जुताई करके मिट्टी को अच्छी तरह से तैयार करना चाहिए। अंतिम जुताई के समय खेत में गोबर की खाद या वर्मीकम्पोस्ट डालकर पाटा लगाकर खेत को समतल और भुरभुरा कर लें। और रोपाई करने से पहले सिंचाई सुविधा के अनुसार क्यारियों तथा सिंचाई नालियों में विभाजित कर लेते है।
Crop Spray & fertilizer Specification
खाद एवं रासायनिक उर्वरक
बैंगन की खेती में मिट्टी की जांच के अनुसार खाद और उर्वरक डालनी चाहिए। अगर मिट्टी की जांच नहीं हो पाती है तो खेत तैयार करने समय 20-30 टन/हेक्टेयर गोबर की सड़ी खाद मिट्टी में मिला देनी चाहिए। इसके बाद प्रति हेक्टेयर में 200 किलो ग्राम यूरिया, 370 किलो ग्राम सुपर फॉस्फेट और 100 किलो ग्राम पोटेशियम सल्फेट का इस्तेमाल करना चाहिए।
Weeding & Irrigation
खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार की रोकथाम के लिए आवश्यकतानुसार समय-समय पर निराई-गुड़ाई करना चाहिए।
सिंचाई
बैंगन के पौधों की अच्छी बढ़वार लिए सिंचाई की अधिक आवश्यकता होती हैं, पौधरोपण के तुरंत बाद सिंचाई करना चाहिए। गर्मी के मौसम में हर 3-4 दिन बाद पानी देना चाहिए और सर्दियों में 12 से 15 के अंतराल में पानी देना चाहिए। कोहरे वाले दिनों में फसल को बचाने के लिए मिट्टी में नमी बनाए रखें और लगातार पानी लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि बैंगन की फसल में पानी खड़ा न हो, क्योंकि बैंगन की फसल खड़े पानी को सहन नहीं कर सकती है। उत्तम सिंचाई के लिए ड्रीप सिंचाई पद्धति का प्रयोग करें।
Harvesting & Storage
फसल की कटाई
खेत में बैंगन की पैदावार होने पर फलों की तुड़ाई पकने से पहले करनी चाहिए। तुड़ाई के समय रंग और आकार का विशेष ध्यान रखना चाहिए। बैंगन का मंडी में अच्छा रेट मिले इसके लिए फल का चिकना और आकर्षक रंग का होना चाहिए।
भंडारण
बैंगन को लंबे समय के लिए भंडारण नहीं किया जा सकता है। बैंगन को आम कमरे के सामान्य तापमान में भी ज्यादा देर नहीं रख सकते हैं क्योंकि ऐसा करने से इसकी नमी खत्म हो जाती है। हालांकि बैंगन को 2 से 3 सप्ताह के लिए 10-11 डिग्री सेल्सियस तापमान और 92 प्रतिशत नमी में रखा जा सकता है। किसान भाई बैंगन को कटाई के बाद इसे सुपर, फैंसी और व्यापारिक आकार के हिसाब से छांट लें और पैकिंग के लिए, बोरियों या टोकरियों का प्रयोग करें।
उत्पादन
बैंगन की खेती में उत्पादन मौसम, विविधता से विविधता और स्थान से स्थान तक भिन्न होती है। तथापि, सामान्य तौर पर बैंगन के स्वस्थ फलों की 250 से 500 क्विंटल/हेक्टेयर प्राप्त की जा सकती हैं।