French Bean (फ्रेंच बीन) (राजमा)
Basic Info
फ्रेंच बीन को राजमा कहते है। फ्रेंच बीन भारत में सबसे लोकप्रिय और व्यापक रूप से उगाई जाने वाली सब्जियों में से एक है। हरी अपरिपक्व फली को सब्जी के रूप में पकाया और खाया जाता है। अपरिपक्व फली का विपणन ताजा, जमे हुए या डिब्बाबंद, पूरे, कट या फ्रेंच कट से किया जाता है। राजमा की खेती (Farming of French bean) सब्जी एवं दाना के लिए की जाती है| स्वाद और सेहत के लिहाज से राजमा की फलियां (बीन्स) सबसे महत्वपूर्ण होती है, और इसकी जायकेदार सब्जी प्रायः सभी लोग बेहद पसंद करते है| यह एक महत्वपूर्ण दलहनी फसल है, जिसमें चने और मटर की तुलना में अधिक उपज होती है। यह महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, जम्मू और कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में उगाया जाता है।
सामान्य नाम: किडनी बीन, कॉमन बीन, स्नैप बीन और फ्रेंच बीन।
Seed Specification
बुवाई का समय
फ्रेंच बीन (राजमा) की बुवाई का उचित समय पहाड़ियों पर फरवरी-मार्च और मैदानी इलाकों में अक्टूबर - नवंबर।
बुवाई का तरीका
फ्रेंच बीन (राजमा) की बुवाई बीजों द्वारा कतारों में की जाती हैं।
दुरी
लाइन से लाइन की दूरी 30 से 40 सेंटीमीटर रखते है, और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर रखते है।
गहराई
इसकी बुवाई 8 से 10 सेंटीमीटर की गहराई पर करते है।
बीज की मात्रा
बुवाई के लिए बीज की मात्रा 120 से 140 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की आवश्यकता होती है।
बीज उपचार
बीजोपचार 2 से 2.5 ग्राम थीरम या मैंकोजेब से प्रति किलोग्राम बीज की मात्रा के हिसाब से बीज उपचारित करना चाहिए।
Land Preparation & Soil Health
अनुकूल जलवायु
यह प्रमुख रूप से भारत के समशीतोष्ण और उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाया जाता है और 21° C के तापमान के आसपास उच्च उत्पादकता को दर्शाता है और लगभग 16 से 24°C का अधिकतम तापमान इसकी अधिक पैदावार के लिए बेहतर होता है।
भूमि का चयन
यह सभी प्रकार की मिट्टी पर उगाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए दोमट तथा हल्की दोमट भूमि अधिक उपयुक्त है। पानी के निकास की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए।
खेत की तैयारी
बुवाई से पहले खेत की प्रथम जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से तथा 2 से 3 जुताईयाँ देशी हल या कल्टीवेटर से करने के पश्चात् पाटा चलाकर खेत समतल कर लेना चाहिए। खेत में जल निकास की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए एवं खेत खरपतवार मुक्त होना चाहिए।
Crop Spray & fertilizer Specification
खाद एवं रासायनिक उर्वरक
फ्रेंच बीन (राजमा) की फसल का समुचित विकास और अच्छे उत्पादन के लिए सड़ी हुई गोबर की खाद (FYM) 20-50 टन/हेक्टेयर की दर से खेत तैयारी के समय मिट्टी में अच्छी तरह से मिला देना चाहिए। तथा रासायनिक उर्वरक में N:P:K::90-120:60-80:50 बेसल खुराक के रूप में देना चाहिए। खेत तैयारी के समय फास्फोरस और पोटाश की पूरी खुराक और नाइट्रोजन की आधी खुराक लागू करें। और नाइट्रोजन के शेष आधी मात्रा फूल के समय देना चाहिए।
Weeding & Irrigation
खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार की रोकथाम के लिए आवश्यकतानुसार समय-समय पर निराई-गुड़ाई करना चाहिए। तथा रासायनिक खरपतवारनाशक के रूप में बुवाई के 2-3 दिन के अंदर Pendimethalin 38.7% CS 700 मि.ली./एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें।
सिंचाई
फ्रेंच बीन की खेती में सिंचाई समय पर आवश्यकता के अनुसार करना चाहिए। फ्रेंच बीन (राजमा) को 25 दिन की अन्तराल से तीन से चार सिंचाई जैसे- बुआई के 25, 50, 75 और 100 दिन बाद सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है। सिंचाई हल्की करें, तथा खेत में पानी रूकना नहीं चाहिए। समुचित जल निकासी आवश्यक है।
Harvesting & Storage
फसल की कटाई
सब्जी के लिए फसल की किस्म और मौसम के आधार पर बुवाई के 40 से 50 दिन बाद फसल सामान्य रूप से तैयार हो जाएगी। और दलहन के लिए फसल 125 - 130 दिनों में परिपक्व हो जाती है। सब्जी के उपयोग के लिए हरी फलियों की तुड़ाई नर्म, मुलायम व हरी अवस्था में की जाती है। कुल मिलाकर 6 से 10 तुड़ाई की जाती है।
कटाई के बाद
कटाई के बाद 3 से 4 दिन तक फसल को धूप में सुखाएं, जब तक बीज की नमी 9 से 10 प्रतिशत न हो जाए। उसके बाद दानों को भूसे से अलग कर लें।
उत्पादन
हरी फली का उत्पादन 90 से 110 दिनों में 8-10 टन/हेक्टेयर तथा दालों के लिए फसल का उत्पादन 20 से 25 क्विंटल/हेक्टेयर तक मिल जाता है।