Wheat Farming: जैसा की आप जानते है गेहूं रबी सीजन की सबसे ज्यादा बोई जाने वाली फसल है, खरीफ फसलों की कटाई के बाद किसान गेहूं की खेती की तैयारी शुरू कर देते हैं। गेहूं की खेती (Wheat Farming) देश के लगभग हर एक क्षेत्र में की जाती है। पूरी दुनिया में कुल 23 प्रतिशत भूमि पर गेहूं की खेती होती है, इसलिए गेहूं को एक विश्वव्यापी महत्वपूर्ण फसल माना जाता है। गेहूं मुख्यतः एक ठंडी और शुष्क जलवायु वाली फसल है। किसी भी फसल के अच्छे उत्पादन के लिए जरुरी है उसकी अच्छी और सही किस्मों की जानकारी, यदि सही किस्मों का चयन होगा, तो किसान को अपनी फसल से अच्छा उत्पादन होगा। किसान इन किस्मों का चयन समय और उत्पादन को ध्यान में रखकर कर सकते हैं।
इस खबर में हम गेहूं की 5 उन्नतशील किस्मों (5 varieties of wheat) के बारे में बात करेंगे और यह भी जानेंगे कि वे कितना उत्पादन करते हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR)-भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्थान (IIWBR) के अनुसार, गेहूं की ये पांच किस्में सबसे नई हैं और इनका उत्पादन भी बंपर है।
करण नरेन्द्र (Karan Narendra)
गेहूं की यह किस्म खास किस्मों में से एक है। इस किस्म को डीबीडब्ल्यू 222 (DBW-222) के नाम से भी जाना जाता है। गेहूं की ये किस्म बाजार में वर्ष 2019 में आई थी और 25 अक्टूबर से 25 नवंबर के बीच इसकी बोवनी कर सकते हैं। इसकी रोटी की गुणवत्ता अच्छी मानी और जाती है। दूसरी किस्मों के लिए जहां 5 से 6 बार सिंचाई की जरूरत पड़ती है, इसमें 4 सिंचाई की ही जरूरत पड़ती है। गेहूं की ये किस्म 143 दिनों के अन्दर पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म की औसत पैदावार 65.1 प्रति हेक्टेयर है। इसे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) करनाल ने विकसित किया है।
करण वंदना (Karan Vandana)
गेहूं की ये ख़ास किस्म जिसे डीबीडब्ल्यू-187 (DBW-187) भी कहा जाता है, करण वंदना बुवाई के 77 दिनों बाद फूल देती है और 120 दिनों बाद परिपक्व होती है। इसकी औसत ऊँचाई 100 सेमी है जबकि क्षमता 64-75 क्विंटल प्रति 2.5 acres है। इस किस्म की सबसे खास बात ये होती है कि इसमें पीला रतुआ और ब्लास्ट जैसी बीमारियां लगने की संभावना बहुत कम होती है। साथ ही कम सिंचाई की आवश्यकता होती है मात्र दो से तीन सिंचाई में काम हो जाता है। करण वंदना DBW-187 गेहूं की इस किस्म खेती करने की परक्रिया समान्य है जैसे अन्य गेहूं की खेती करते थे वेसे ही करना है।
पूसा यशस्वी (Pusa Yashasvi)
गेहूं की इस किस्म की खेती कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड राज्यों में की जाती है। जिसका नाम है एचडी 3226 (पूसा यशस्वी), इस किस्म की विशेषता यह है कि यह फफूंदी और सड़न रोग के लिए प्रतिरोधी है। इस प्रकार की फसल की बुवाई का सही समय 5 नवंबर से 25 नवंबर तक होता है। इस किस्म की औसत उपज 57.5 से 79.60 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
करण श्रिया (Karan Shriya)
गेहूं की इस किस्म की खेती उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्यों में की जाती है। गेहूं की ये किस्म जून 2021 में विकसित की गई थी। इस किस्म की फसल को पककर तैयार होने में 127 दिन लगते हैं. इस किस्म की औसत पैदावार 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।
डीडीडब्ल्यू 47 (DDW-47)
गेहूं की इस किस्म की खेती मध्यप्रदेश, गुजरात, राजस्थान और छत्तीसगढ़ राज्यों में की जाती है। गेहूं की इस किस्म में प्रोटीन की मात्रा सबसे ज्यादा (12.69%) होती है। दलिया और सूजी जैसी डिश इस किस्म की गेहूं से बहुत स्वादिष्ट बनती है। इस किस्म की औसत पैदावार 74 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। इस किस्म की खासियत यह है कि इसके पौधे कई प्रकार के रोगों से लड़ने में सक्षम होते हैं।