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यह भारतीय किसानों के लिए रोमांचक खबर है, सरकार नई बायोटेक तकनीकों से बनी एक खास सरसों की फसल को मंज़ूरी देने वाली है, इसका नाम वरुणा है, और यह बीमारियों से लड़ने और बेहतर पोषण देने के लिए CRISPR-Cas9 टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करती है, पुरानी GM फसलों के उलट, इसमें कोई बाहरी जीन नहीं है, इसलिए नियम आसान हैं।
जीन-एडिटेड सरसों क्या है?
जीन-एडिटिंग पौधों के DNA के लिए सटीक कैंची की तरह है। वैज्ञानिक सरसों के पौधे में खराब हिस्सों को काटने और ठीक करने के लिए CRISPR-Cas9 का इस्तेमाल करते हैं।
वरुणा किस्म: भारतीय विशेषज्ञों द्वारा बनाई गई, यह बीमारियों के खिलाफ ज़्यादा मज़बूत है।
सामान्य सरसों से बेहतर: तेल और खाने के लिए ज़्यादा पोषण वाले स्वस्थ बीज उगाती है।
कोई बाहरी DNA नहीं: सिर्फ़ इसके अपने जीनों में बदलाव किए गए हैं, इसलिए यह ज़्यादा सुरक्षित है और इसे मंज़ूरी मिलना भी तेज़ है। इससे राजस्थान और पंजाब जैसी जगहों के किसानों को बिना किसी अतिरिक्त चिंता के ज़्यादा फसल उगाने में मदद मिलेगी।
भारत तेल और खेती के लिए सरसों को बहुत पसंद करता है लेकिन बीमारियाँ और कम पैदावार मुनाफे को नुकसान पहुँचाती हैं।
आसान मंज़ूरी: Bt बैंगन जैसी पुरानी GM फसलों को सख्त नियमों के कारण मंज़ूरी मिलने में लंबा समय लगा। जीन-एडिटेड फसलें कुछ कदम छोड़ देती हैं क्योंकि इसमें कोई बाहरी DNA नहीं जोड़ा जाता है।
सरकारी बढ़ावा: अब रेगुलेटर से अंतिम मंज़ूरी मिलने के करीब है।
और भी फसलें आ रही हैं: ICAR (इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च) दालों, टमाटर और केले जैसे 40 से ज़्यादा जीन-एडिटेड किस्मों का परीक्षण कर रहा है। इसका मतलब है ज़्यादा पैदावार, कम कीटनाशक और आपके लिए बेहतर आय।
ICAR जैसी राज्य प्रयोगशालाओं ने इसे विकसित किया है। परीक्षणों से पता चलता है कि यह खेतों में अच्छा काम करता है।
इस्तेमाल की गई तकनीक: CRISPR-Cas9 – बिना बाहरी जीन मिलाए जीन को एडिट करने का एक आसान टूल।
पैमाना: सरसों से लेकर दालों और फलों जैसी रोज़मर्रा की फसलों तक।
समय-सीमा: जल्द ही अंतिम मंज़ूरी; अगले सीज़न में किसानों के लिए बीज।
Q1.जीन-एडिटेड और GMO फसलों में क्या अंतर है?
जीन-एडिटेड पौधे के अपने DNA को ठीक करने के लिए टूल का इस्तेमाल करता है। GMO दूसरे पौधों या जानवरों से जीन जोड़ता है।
Q2.क्या यह स्वास्थ्य और मिट्टी के लिए सुरक्षित है?
हाँ, परीक्षणों से कोई जोखिम नहीं दिखा है। कोई बाहरी DNA नहीं होने का मतलब है कि यह ब्रीडिंग से होने वाले प्राकृतिक बदलावों जैसा है।
Q3.मैं वरुणा के बीज कब खरीद सकता हूँ?
मंज़ूरी के तुरंत बाद स्थानीय कृषि केंद्रों या ICAR से संपर्क करें.क्या इसकी कीमत ज़्यादा होगी? नहीं, सरकार का लक्ष्य छोटे किसानों की मदद के लिए सस्ते बीज उपलब्ध कराना है।
Q4.क्या इसे कम पानी या खाद की ज़रूरत होती है?
यह बीमारियों से बेहतर लड़ता है, इसलिए हाँ, कम केमिकल की ज़रूरत होती है.
यह जीन-एडिटेड सरसों भारतीय किसानों के लिए गेम-चेंजर है। यह मज़बूत फसल, ज़्यादा पैदावार और बीमारियों से कम नुकसान का वादा करता है। ICAR की अगुवाई में, ऐसी और भी किस्में जल्द ही खेतों तक पहुँचेंगी, खेती की खबरों से जुड़े रहें और अपडेट के लिए अपने स्थानीय अधिकारी से बात करें – बेहतर खेती अब शुरू होती है!
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