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Sadabahar (सदाबहार)

Basic Info

सदाबहार एक महत्वपूर्ण औषधीय और बहुवर्षीय पौधा है जिसके संपूर्ण भाग का उपयोग विभिन्न प्रकार के रोगो के इलाज में किया जाता है। इसे समान्यत: बगीचों और छायादार स्थानों में लगाया जा सकता है। इसे अग्रेंजी मे अनेक नामों जैसे केप पेरिविंकल और रोज पेरिविंकल के नाम से जाना जाता है। सदाबहार एक सदाबहार शाकीय पौधा है। यह आसानी से बढ़ने वाली और फैलने वाली बारहमासी जड़ी – बूटी है। इसकी पत्तियाँ हरी, चमकीली और जोड़े में एक दूसरे के विपरीत होती है।पत्तियाँ सरल, अण्डाकार 2.5 से 3 से.मी. लंबी, 1 से 3.5 चौड़ी और एक छोटे डंठल के साथ होती है। फूल में आधारीय दलपुंज 2.5 से 3 से.मी. लंबे होते है। फल जोड़े में 2-4 से.मी. लंबे और 3 मिमी चौड़े होते है। फल परिपक्व होने पर फट जाते है। यह 3 फुट तक की ऊचाँई तक उगता है। इसका मूल स्थान मैड़ागैसकर है और इसकी फसल पूरे भारत मै उगाई जाती है।
सदाबहार का औषधीय उपयोग
मधुमेह, उच्च रक्तचाप, जुकाम, आखों की जलन और सक्रंमण जैसी बीमारियों के इलाज के लिए इसका प्रयोग किया जाता है। यह मांसपेशियों, केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र का दर्द कम करने में मदद करता है। यह नकसीर, मसूडों से खून आना, मुँह के छाले और पीड़ादायक गले के इलाज में प्रयोग होता है। आंतरिक रूप से भी इसका प्रयोग दस्त, आंतशोध और रक्त में शर्करा के उच्च स्तर में करते है।

Seed Specification

बुवाई का समय
सदाबहार की खेती के लिए अच्छा समय सितम्बर से फरवरी होता है।

दुरी
पौधों के बीच की दुरी 6-9 इंच होना चाहिए।

बुवाई का तरीका
बीजों द्वारा सदाबहार की खेती आसानी से की जा सकती हैं। बीजों को सीधे खेतों में बोया जाता हैं।

बीज की मात्रा
50 वर्ग फुट ज़मीन के लिए लगभग 2,000 बीजों की जरूरत होती है।

Land Preparation & Soil Health

अनुकूल जलवायु
सदाबहार की फसल को उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगाया जा सकता है। इसकी खेती के लिए 15-25 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है।

भूमि का चयन
सदाबहार की खेती के लिए उत्तम जल निकासी के साथ उपजाऊ भूमि सर्वोत्तम होती है। 6 से 6.5 pH मान वाली मिट्टी में इसे उगाया जा सकता है।

खेत की तैयारी
सदाबहार की बुवाई से पहले खेत की अच्छी तरह जुताई कर भुरभुरा और समतल कर देना चाहीये। इसके पश्च्यात लगभग 6 इंच की गहराई तक क्यारियों को खोदा जाता है। रोपाई के पहले 1 इंच मोटी परत की खाद को मिट्टी में मिलाया जाता है।

Crop Spray & fertilizer Specification

खाद एवं रासायनिक उर्वरक
सदाबहार के पौधे की अच्छे विकास के लिए खेत की तैयारी के समय 5-10 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद (FYM) मिट्टी में मिलाना चाहिए। फास्फोरस और पोटेशियम की मात्रा को दो भागों में देना चाहिए। रासायनिक उर्वरक आवश्यकतानुसार और मिट्टी परिक्षण के आधार पर देवें।

Weeding & Irrigation

खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार की रोकथाम के लिए आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई करना चाहिए। और सदाबहार की रोपाई के 2 महीने के बाद निराई की आवश्यकता होती है।

सिंचाई
सदाबहार की खेती में नियमित रूप से सिंचाई की आवश्यकता होती है। विशेष रुप से गर्म और शुष्क मौसम के दौरान साथ-साथ पौधे के विकास के दौरान भी सिंचाई करना चाहिए। रोपाई के 3 महीने के बाद 15-15 दिनों के अंतराल से सिंचाई करना चाहिए। ध्यान रहे खेत में जलभराव की समस्या नहीं होना चाहिए, क्योंकि यह फसल जल की सघनता सहन नहीं कर सकती है।

Harvesting & Storage

फसल की कटाई
रोपाई के एक साल के बाद पौधा तुड़ाई के लिए तैयार हो जाता है। अनुवर्ती कटाई 3-3 महीने के अंतराल के बाद की जा सकती है। फूलों, जडों, पत्तियों और बीजों को अलग-अलग एकत्रित करना चाहिए।

फसल कटाई के बाद
एकत्रित फूल, पत्तियों और बीजों को अलग- अलग सुखाया जाता है। सभी को धुप  में अच्छी तरह सुखाना चाहिए। वायुरोधी थैले इसके लिए आदर्श होते है। नमी के प्रवेश को रोकने के लिए पालीथीन या नायँलान के थैलों में पैक किया जाना चाहिए।

भडांरण
सामग्री को सूखे स्थानों में संग्रहीत किया जाना चाहिए। गोदाम भंडारण के लिए आदर्श होते है। शीत भंडारण के लिए अच्छे नहीं होते है।

Sadabahar (सदाबहार) Crop Types

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