Apricots (खुबानी)
Basic Info
आप जानते है ख़ुबानी एक गुठलीदार फल है। वनस्पति-विज्ञान के नज़रिए से ख़ुबानी, आलू बुख़ारा और आड़ू तीनों एक ही "प्रूनस" नाम के वनस्पति परिवार के फल हैं। ख़ुबानियों में कई प्रकार के विटामिन और फाइबर होते हैं। इसकी खेती विश्व में सबसे ज्यादा तुर्की में की जाती है, क्योंकि खुबानी की विश्व में आधी पैदावार यही से होती है| भारत में खुबानी की खेती या बागवानी उत्तर के पहाड़ी इलाकों में की जाती है, जैसे के कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड व अन्य। इसका पौधा सामान्य ऊंचाई का होता है, खुबानी के फल पीले, सफेद, काले, गुलाबी और भूरे के पाए जाते हैं. इसके फलों में पाया जाने वाला बीज बादाम की तरह होता है। सूखे हुए खुबानी को शुष्क मेवा के रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके ताजे फलों से जूस, जैम और जैली बनाई जाती है. इसके अलावा इससे चटनी भी बनाई जाती है।
Seed Specification
पौधरोपण का समय
खुबानी की पौधों की रोपाई जनवरी से लेकर जुलाई, अगस्त तक की जा सकती हैं।
पौधे तैयार करने का तरीका
खुबानी के पौधों की रोपाई नर्सरी में कलम तैयार कर की जाती है। इसकी कलम बीज, ग्राफ्टिंग, कलम दाब और गुटी बांधने की विधि से तैयार की जाती है।
रोपाई का तरीका
खुबानी के पौधों को खेत में गड्डे तैयार कर लगाया जाता हैं। गड्डों के तैयार हो जाने के बाद उनमें जैविक और रासायनिक उर्वरकों की उचित मात्रा को मिट्टी में मिलाकर गड्डों में भर दें। गड्डों को भरने के बाद उनकी गहरी सिंचाई कर दें। इससे गड्डों की मिट्टी अच्छे से बैठकर कठोर हो जाती है. इन गड्डों को पौध रोपाई से लगभग तीन महीने पहले तैयार कर लें। गड्डों को तैयार करने के बाद उन्हें पुलाव से ढक दें।
दुरी
पंक्तियों में गड्डों को तैयार करने के दौरान प्रत्येक गड्डों में बीच 5 से 6 मीटर के आसपास जगह होनी चाहिये। और प्रत्येक पंक्तियों के बीच भी 5 मीटर की दूरी होनी चाहिए।
Land Preparation & Soil Health
अनुकूल जलवायु
खुबानी की खेती के लिए समशीतोष्ण और शीतोष्ण जलवायु वाली जगह अच्छी होती है। इसके पौधे अधिक गर्मी के मौसम में विकास नही कर पाते हैं। जबकि सर्दी के मौसम में आसानी से विकास कर लेते हैं। इसके पौधों को अधिक बारिश की जरूरत नही होती। फूल खिलते वक्त बारिश या अधिक ठंड का होना इसके लिए उपयुक्त नही होता।
भूमि का चयन
खुबानी की खेती के लिए उचित जल निकासी वाली गहरी उपजाऊ दोमट मिट्टी की जरूरत होती हैं। इसकी खेती के लिए जलभराव वाली कठोर भूमि उपयुक्त नही होती। खुबानी की खेती के लिए भूमि का पी.एच. मान 7 के आसपास होना चाहिए।
खेत की तैयारी
खुबानी की खेती के लिए खेत की अच्छी तरह गहरी जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा और समतल करना चाहिए। मिट्टी को भुरभुरा बनाने के बाद खेत में पाटा लगा दें, ताकि भूमि समतल दिखाई दें। जिससे बारिश के मौसम में खेत में जलभराव जैसी समस्याओं का सामना नही करना पड़ता हैं। इसके बाद गड्ढो को तैयार कर देना चाहिए।
Crop Spray & fertilizer Specification
खाद एवं रासायनिक उर्वरक
खुबानी के पौधे की अच्छे विकास और उपज के लिए प्रति वर्ष उचित मात्रा में खाद एवं उर्वरक देना चाहिए। इसके लिए अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद 10 कि.ग्रा. तथा एन.पी.के. की मात्रा 90:30:90 ग्राम/पौधे की दर से देना चाहिए। तथा गोबर की खाद और फास्फोरस ,पोटाश की सम्पूर्ण मात्रा दिसम्बर-जनवरी में दे देना चाहिए और नाइट्रोजन की आधी मात्रा फूल आने से पहले तथा शेष आधी मात्रा एक महीने बाद देना चाहिए।
Weeding & Irrigation
खरपतवार नियंत्रण
खुबानी की खेती में खरपतवार की रोकथाम के लिए आवश्यकतानुसार निराई-गुड़ाई करना चाहिए।
सिंचाई
खुबानी के पौधे की अच्छी बढ़वार के लिए नियमित अंतराल तथा समय-समय पर सिंचाई की आवश्यकता होती है। पौधे लगाने के तुरंत बाद सिंचाई करें, ठंड के मौसम में आवश्यकता अनुसार सिंचाई करें, गर्मी के मौसम में 10 दिन के अंतराल में सिंचाई करना चाहिए।
Harvesting & Storage
फलों की तुड़ाई
खुबानी के पौधे खेत में पौध रोपाई के लगभग तीन से चार साल बाद पैदावार देना शुरू कर देते हैं। इसके पौधों पर फलन अप्रैल माह में शुरू होता है। जिसके बाद इसकी विभिन्न किस्मों के फल जून से लेकर अगस्त माह तक पकते हैं. इसके फल पूर्ण रूप से पकने से एक दो दिन पहले तोड़ लें। ताकि फलों को अधिक दूरी तक आसानी से भेजा जा सके।
इसके पके हुए फल अलग अलग किस्मों के आधार पर अलग अलग रंग के दिखाई देते हैं। जो पकने के बाद पहले बीच काफी नर्म हो जाते हैं. इस दौरान इसके फलों को तोड़ लेना चाहिए। उसके बाद फलों की गुणवत्ता के आधार पर उनकी छटाई कर बाज़ार में बेचने के लिए किसी बॉक्स में भरकर बाज़ार में भेज देना चाहिए।
पैदावार और लाभ
खुबानी के पौधे एक बार लगाने के बाद लगभग 50 से 60 साल तक पैदावार देते हैं। इसकी विभिन्न किस्मों के पूर्ण रूप से तैयार एक वृक्ष से एक साल में औसतन 80 किलो के आसपास फल प्राप्त किये जा सकते हैं। जिनका बाज़ार भाव 100 रूपये प्रति किलो के आसपास पाया जाता है। जबकि सुखाने पर इसका भाव और ज्यादा मिलता है. जिस हिसाब से किसान भाई एक बार में एक हेक्टेयर से 20 लाख तक की कमाई कर सकता हैं।