Farming Tips: कम समय में चाहिए बंपर मुनाफा? शुरू करें स्वीटकॉर्न की खेती

Farming Tips: कम समय में चाहिए बंपर मुनाफा? शुरू करें स्वीटकॉर्न की खेती
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Kisaan Helpline

Crops May 08, 2025

देश के लाखों किसान इस समय खेती में नयी संभावनाओं की तलाश कर रहे हैं। अगर आप भी कम समय में ज्यादा मुनाफा कमाने की सोच रहे हैं, तो स्वीटकॉर्न यानी मीठे मक्के की खेती आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प बन सकती है। यह फसल ना केवल स्वादिष्ट होती है बल्कि बाजार में इसकी भारी मांग भी है, जिससे किसान अच्छी कीमत प्राप्त कर सकते हैं।

 

स्वीटकॉर्न क्या है और क्यों है फायदेमंद?

स्वीटकॉर्न मक्का की एक खास किस्म है, जिसे इसके दूधिया और मुलायम अवस्था में तोड़ा जाता है। जब दाने पूरी तरह से पकने से पहले नरम और दूध जैसे हो जाते हैं, तब इसकी कटाई की जाती है। यही कारण है कि इसे 'स्वीटकॉर्न' कहा जाता है।

 

इसकी मांग सिर्फ घरेलू बाजारों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि विदेशों में भी स्वीटकॉर्न की डिमांड लगातार बढ़ रही है। यह फाइबर, मिनरल्स और पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जो इसे स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी बनाता है। इसलिए इसकी लोकप्रियता आम लोगों से लेकर बड़े फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री तक फैली हुई है।

 

कम समय में तैयार, कम लागत में ज्यादा लाभ

स्वीटकॉर्न की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह मात्र 50 से 55 दिनों में तैयार हो जाती है। वहीं, सामान्य मक्का की फसल में 65 से 70 दिन लगते हैं। इस फसल को कम लागत में तैयार किया जा सकता है, और बाजार में अच्छे दाम मिलने से मुनाफा भी अधिक होता है।

 

बुवाई का सही समय और जरूरी तैयारी

·         रबी मौसम: अक्टूबर से नवंबर तक

·         खरीफ मौसम (उत्तर भारत): जून से जुलाई

·         पहाड़ी क्षेत्रों के लिए: मार्च से अप्रैल के अंत तक

 

बुवाई से पहले खेत की गहरी जुताई करें, और एक बार मिट्टी को भुरभुरी अवस्था में ले आएं। इसके बाद अच्छी तरह से खाद मिला कर बीजों की बुवाई करें। सही सिंचाई प्रबंधन के साथ की गई खेती फसल को बेहतर गुणवत्ता देती है।

 

स्वीटकॉर्न की उन्नत किस्में

विशेषज्ञों के अनुसार, प्रामाणिक और उन्नत किस्मों का चयन करने से उत्पादन और गुणवत्ता दोनों में सुधार होता है। नीचे कुछ प्रमुख किस्में दी गई हैं:

·         पूसा सुपर स्वीटकार्न-2 – उत्तर भारत के लिए उपयुक्त

·         वीएल स्वीटकार्न संकर-2 – पहाड़ी क्षेत्रों के लिए

·         न्यूजी-260 – हाई यील्ड किस्म

·         अल्मोड़ा स्वीट कॉर्न – उत्तराखंड व हिमाचल क्षेत्र के लिए

·         माधुरी – उत्तर भारत में सफल किस्म

 

इन किस्मों के बीज स्थानीय कृषि केंद्रों या सरकारी मान्यता प्राप्त बीज वितरण केंद्रों से लिए जा सकते हैं।

 

बाजार में बढ़ रही मांग और बिक्री की आसान राह

आज स्वीटकॉर्न से कई उत्पाद तैयार हो रहे हैं – जैसे कॉर्नफ्लेक्स, पॉपकॉर्न, बेबीकॉर्न और रेडी-टू-ईट स्वीटकॉर्न। इन सभी की मांग रेस्तरां, होटलों, प्रोसेसिंग यूनिट्स और घरेलू उपभोक्ताओं में लगातार बनी हुई है। इस वजह से किसान अपनी उपज को स्थानीय मंडी से लेकर कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग और थोक विक्रेताओं तक आसानी से बेच सकते हैं।

 

किसानों के लिए सुझाव

अगर आप आने वाले रबी मौसम में कोई फसल प्लान कर रहे हैं, तो स्वीटकॉर्न को प्राथमिकता दें। यह फसल तेजी से तैयार होती है, लागत कम लगती है, और बाजार में आसानी से बिकती है। एक बार खेत की सही तैयारी, सही किस्म का चयन और सिंचाई प्रबंधन के साथ आप भी इस फसल से बंपर मुनाफा कमा सकते हैं।

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