चने की उन्नत खेती: चने की बुवाई को लेकर विशेष सलाह

चने की उन्नत खेती: चने की बुवाई को लेकर विशेष सलाह
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Kisaan Helpline

Crops Nov 12, 2021
चने की खेती: रबी सीजन में चने की बुवाई शरू हो गई हैं, कई किसान भाई चने की अगेती किस्म की बुआई कर चुके हैं वहीँ कई किसान अभी चने की बुआई शुरू करने वालें हैं | किसान कम लागत में अधिक उत्पादन कर सके इसके लिए समय-समय पर कृषि वैज्ञानिकों द्वारा सलाह दी जाती है इसके आलावा कृषि विज्ञान केन्द्रों, कृषि विभाग एवं कृषि महाविद्यालय में इच्छुक किसानों को प्रशिक्षण एवं जानकारी दी जाती है जिसका लाभ लेकर किसान कम लागत में अधिक उत्पादन कर अपनी आय को बढ़ा सकते हैं।

चने की बुवाई का तरीका

कृषि वैज्ञानिक द्वारा किसान भाइयों को सलाह दी जाती है की चने में कतार में बुआई करने एवं पौध से पौध की दूरी 50×20 से.मी. रखें। छोटे दाने का 75-80 किग्रा० प्रति हेक्टर तथा बड़े दाने की प्रजाति का 90-100 किग्रा०/हेक्टर का प्रयोग कर सकते हैं। चने की निपिंग बुवाई के 30 दिन बाद करना लाभदायक रहता है तथा चने को अधिक पानी की जगह सिमित मात्रा में पानी दिए जाने से उत्पादन अधिक होता है |

बीजोपचार

चने की खेती में सबसे पहले चने के बीजों को लेकर उसका बीजोपचार करना चाहिए | बीज का उपचार करने के लिए सर्वप्रथम फफूंदनाशक,  राइजोबियम,  ट्रायकोडर्मा से उपचार करना उचित होता है। जिससे चने का उत्पादन अधिक होगा। राइजोबियम कल्चर से बीज को उपचारित करने के बाद धूप में नहीं सुखाना चाहिए ओर जहाँ तक सम्भव हो सके, बीज उपचार दोपहर के बाद करना चाहिए ताकि बीज शाम को ही अथवा दूसरे दिन प्रातः बोया जा सके। 

आवश्यक खाद एवं उर्वरक प्रबंधन

चने की सभी किस्मों के लिए 20 किग्रा० नत्रजन, 60 किग्रा० फास्फोरस, 20 किग्रा० पोटाश एवं 20 किग्रा० गन्धक का प्रयोग प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करना चाहिए। संस्तुति के आधार पर उर्वरक प्रयोग अधिक लाभकारी पाया गया है। असिंचित अथवा देर से बुआई की दशा में 2 प्रतिशत यूरिया के घोल का फूल आने के समय छिड़काव करें। लागत कम करने के लिए किसानों को स्वयं के द्वारा ही घर पर ही कम लागत में ट्रायकोडर्मा  (मित्र कवक), स्यूडोमोनास (मित्र जीवाणु) के उत्पादन करना चाहिए । 

आवश्यक सलाह

धान की खेती करने वाले किसान भाईयों को सलाह दी जाती है की पराली न जलाकर उसमें ट्रायकोडर्मा, वेस्ट डिम्पोसर से उपचारित कर खेत में ही उसका उपयोग खाद के रूप में करना चाहिए। कृषकों से अनुरोध किया कि वे जैविक पद्धति से खेती को बढ़ावा दें। जिससे मृदा एवं स्वयं का स्वास्थ्य बना रहे। घर की बाड़ी मं साग सब्जी अवश्य लगाएं जिससे परिवार के सदस्यों की पोषक तत्व अधिक मात्रा में मिल सके।

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