Darek (दरेक)
Basic Info
दरेक एक ईरानी या भारतीय वृक्ष है, इसको संस्कृत में महानिम्बा, हिमरुद्रा, और हिंदी में बकेन भी कहा जाता है। यह दिखने में नीम के जैसा होता है। यह ईरान और पश्चिम हिमालय के कुछ क्षेत्रों में बहुत ज्यादा पाया जाता है। यह मिलिआसीआई प्रजाति के साथ संबंध रखता है। इस प्रजाति का मूल स्थान पश्चिम ऐशिया है। यह पत्ते झड़ने वाला वृक्ष है और 45 मीटर तक बढ़ता है। दरेक की जड़ें, छाल, फल, बीज, फूल, और गोंद को दवाइयाँ बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। इसके ताज़े और सूखे पत्तों को, तेल और राख को, खांसी बैक्टीरिया और संक्रमण, मरोड़, जले हुए पर, सिर दर्द और कैंसर आदि के इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है। दरेक फसल की खेती तेज हवाओं वाले क्षेत्रों में नहीं सकती यह केवल छोटे समय (लगभग 20 साल तक) की फसल है।
Seed Specification
बुवाई का समय
बीज की बुवाई के लिए मॉनसून (जून-जुलाई) का समय उचित होता है।
दुरी
पौधे से पौधे की दुरी 9-12 मीटर तक रखना चाहिए।
बीज की गहराई
बीज को 5-8 से.मी. की गहराई में बोयें।
बुवाई का तरीका
इसको सीधे या पनीरी वाले ढंग के साथ लगाया जा सकता है। यह तेजी से बढ़ने वाली फसल है और इसको जड़ों, बीजों, शाखाओं, और तने के द्वारा फिर से तैयार किया जा सकता है। बुवाई के लिए, संयमी जलवायु वाले क्षेत्रों में एक साल पुराने पौधे और उष्ण उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में छ: महीने पुराने पौधे लगाएं।
बीज का उपचार
अंकुरण शक्ति बढ़ाने के लिए, बीजों को बुवाई से 24 घंटे पहले पानी में भिगो दें।
Land Preparation & Soil Health
अनुकूल जलवायु
दरेक की खेती विभिन्न प्रकार की जलवायु में की जा सकती है, इसकी खेती के लिए 23-35°C तापमान उपयुक्त होता है, इसके लिए वार्षिक वर्षा 600-1000mm उचित होती हैं।
भूमि का चयन
दरेक की खेती कई प्रकार की मिट्टी में की जा सकती हैं, पर बढ़िया विकास के लिए इसको घनी, अच्छे जलनिकास और उपजाऊ रेतली दोमट मिट्टी की जरूरत होती है।
खेत की तैयारी
दरेक की खेती के लिए पौधरोपण से पहले खेत की दो बार तिरछी जोताई करें और फिर समतल करें। खेत को इस तरह तैयार करें कि उसमें पानी ना खड़ा रहे।
Crop Spray & fertilizer Specification
खाद एवं रासायनिक उर्वरक
दरेक की फसल में खाद एवं उर्वरक की आवश्यकता नहीं होती है।
Weeding & Irrigation
खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार की रोकथाम के लिए आवश्यकतानुसार समय-समय पर निराई-गुड़ाई करना चाहिए।
सिंचाई
दरेक की फसल की अच्छी बढ़वार के लिए नियमित रूप से सिंचाई करें। गर्मियों में सिंचाई 15 दिनों के फासले पर करें और सर्दियों में अक्तूबर दिसंबर के महीने में हर रोज़ चपला सिंचाई द्वारा 25-30 लीटर प्रति वृक्ष डालें। मानसून के मौसम में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती। फूल निकलने के समय सिंचाई ना करें।
Harvesting & Storage
फसल की कटाई
इस वृक्ष की छाल गहरे ग्रे रंग की होती है। इसे सजावटी वृक्ष के लिए भी उगाया जाता है। इसके फूल गर्मियो में निकलते हैं और इसके पहले सर्दियो में या ठन्डे समय में पकते हैं।
उपयोग
इसके पत्तों, निमोलियों, बीजों और फलों के अर्क को फसल के अलग-अलग किस्म के कीटों जैसे कि दीमक, घास का टिड्डा, टिड्डियां आदि की रोकथाम के लिए प्रयोग किया जाता है।