सब्जी फसलों में पोषक तत्वों की कमी को कैसे पहचानें और सुधारें – किसानों के लिए उपयोगी सलाह

सब्जी फसलों में पोषक तत्वों की कमी को कैसे पहचानें और सुधारें – किसानों के लिए उपयोगी सलाह
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Kisaan Helpline

Agriculture Jul 10, 2025

स्वस्थ जीवन के लिए पौष्टिक आहार की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है, और इसका मूल आधार सब्जियों की उपज है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन्हीं सब्जियों के पौधों को जीवन के हर चरण में विकसित होने के लिए 17 महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है? अगर इनमें से किसी एक पोषक तत्व की कमी हो जाए, तो सिर्फ रंग-रूप बिगड़ता नहीं बल्कि फसल का उत्पादन भी नीचे चला जाता है। इस लेख में हम किसानों को ऐसी सामान्य पोषक तत्वों की कमी और उन सुधार के उपाय सरल भाषा में बताएँगे, ताकि वे समय रहते कदम उठाकर बेहतर उपज पा सकें।

 

नाइट्रोजन (N) की कमी

सब्जियों में नाइट्रोजन की कमी सबसे आम होती है। यह कमी मुँली, फूलगोभी, गाजर, भिंडी और मिर्च जैसी फसलों में जल्दी दिखती है। शुरुआत में पत्तियों की नोंक पीली पड़ जाती है और समय बीतने पर पीला रंग पूरी पत्ती में फैल जाता है। इससे पौधे का विकास धीमा हो जाता है, तना पतला और कठोर दिखने लगता है तथा फूलों की संख्या में कमी आ जाती है।

 

कैसे पहचानें:

·         पत्तियों का पीला रंग फैलना

·         टपकना और पौधा कमजोर दिखना



 

उपाय:

·         समय पर गोबर की अच्छी खाद उपयोग करें।

·         जैविक और रासायनिक नाइट्रोजन उर्वरकों का संतुलित मिश्रण दें।

 

पोटेशियम (K) की कमी

आलू और भिंडी की फसलों में पोटेशियम की कमी आम है। इस कमी में पत्तियों की नोक एवं किनारे पहले भूरे-हरे, फिर पीला-भूरा हो जाते हैं। कुछ समय बाद झुरझुरीदार किनारे और पत्तियां नीचे की ओर झुकती हुई दिखती हैं। पत्तियों पर धब्बे और ऊतक भी मर जाते हैं।

 

कैसे पहचानें:

·         पत्तियों का भूरे रंग का होना, किनारों का झुकना

·         पत्तियों पर मरे हुए दाग हो जाना



 

उपाय:

·         बुआई के समय मिट्टी की जांच कर के निश्चिचित मात्रा में पोटासियम युक्त उर्वरक डालें।

·         उर्वरक संतुलन बनाए रखें।

 

मैग्नीज़ (Mn) की कमी

मैग्नीज की कमी फूलगोभी, मूली और धनिया की फसलों में देखी जाती है। यह नई पत्तियों पर शुरुआत होती है, जहां पत्तियों पर हल्के भूरे पीले से गुलाबी भूरे धब्बे दिखाई देने लगते हैं। जैसे-जैसे कमी बढ़ती है, धब्बे शिरा के बीच एक पट्टी की तरह दिखाई देते हैं और भारी कमी में पौधा मर भी सकता है।

 

कैसे पहचानें:

·         नई पत्तियों का धब्बेदार होना

·         पत्तियों की शिराओं के बीच पट्टी



 

उपाय:

·         तत्काल 0.2–0.5% मैग्नीज सल्फेट घोल बनाएं (100 लीटर पानी में 200–500 ग्राम)

·         छिड़काव करें और सूर्य के स्नान वाले दिनों में प्रत्येक सप्ताह 2–4 बार दोहराएं।

 

लोहा (Fe) की कमी

मिर्च की फसलों में लोहा की कमी आम है। कई बार मिट्टी में तांबा, जस्ता या फॉस्फोरस की अधिकता लोहे की कमी को बढ़ा देती है। लोहा कम होने पर नई पत्तियाँ सरल रूप से पीली पड़ जाती हैं, किन्तु ऊतक मरते नहीं। गंभीर स्थिति में पत्तियाँ सफेद जैसी दिखने लगती हैं।

 

कैसे पहचानें:

·         नई पत्तियों का हल्का पीला रंग

·         पूरी पत्ती का पीली पड़ जाना



 

उपाय:

·         जब कमी के लक्षण दिखें, 0.2–0.5% आयरन सल्फेट घोल का छिड़काव करें।

·         एक सप्ताह के अंतर से 2–3 बार छिड़काव दोहराएं, आवश्यकता अनुसार।

 

फॉस्फोरस (P) की कमी

ठंडे मौसम में फूलगोभी, पत्तागोभी और धनिया की फसलों में अक्सर फॉस्फोरस की कमी हो जाती है। इसकी कमी से पत्तियाँ सामान्य से अधिक गहरी हरी और निचली सतह बैंगनी-पिंक रंग की हो जाती है। फल पकने और फसल की वृद्धि धीमी पड़ जाती है।

 

कैसे पहचानें:

·         पत्तियों का गहरा हरा रंग

·         निचली सतह का बैंगनी हो जाना



 

उपाय:

·         बुआई के समय मिट्टी की रिपोर्ट के अनुसार फॉस्फोरस युक्त उर्वरक डालें।

·         सूखे मौसम में विशेष ध्यान दें।

 

सल्फर (S) की कमी

सल्फर की कमी मटर और मिर्च की फसलों में अधिक पाई जाती है। इस कमी में सबसे ऊपर की पत्तियाँ पीली और बीमार दिखने लगती हैं, जबकि निचली पत्तियाँ अपेक्षाकृत हरी रह सकती हैं—यह नाइट्रोजन की कमी से अलग पहचान होती है।

 

कैसे पहचानें:

·         ऊपरी पत्तियाँ हल्की पीली

·         निचली पत्तियाँ हरी बनी रहना



 

उपाय:

·         सिंगल सुपरफॉस्फेट दें या

·         यदि फॉस्फोरस की दर कम हो, तो बुआई से पहले एकड़ में 50–100 किलोग्राम जिप्सम डालें।

 

टाटा स्टील का धुर्वी गोल्ड भूमि-सुधारक

इन सभी पोषक तत्वों के साथ-साथ टाटा स्टील ने एक उन्नत उत्पाद पेश किया है – टाटा स्टील धुर्वी गोल्ड भूमि-सुधारक। यह उत्पाद फसल की मिट्टी में गहरा सुधार कर सकता है। इसमें ग्यारह महत्वपूर्ण पोषक तत्व उपस्थित हैं:

 

·         कैल्शियम

·         सल्फर

·         सिलिका

·         आयरन

·         फॉस्फोरस

·         मैग्नीशियम

·         जिंक

·         बोरॉन

·         तांबा

·         मैग्नीज़

·         मोलिब्डेनम

 

ये सभी तत्व पौधों को बेहतर वृद्धि, मजबूत जड़ें, फूल और फल देने में मदद करते हैं। इसके अलावा, इससे मिट्टी की संरचनात्मक मजबूती और pH संतुलन भी बेहतर होता है।

 

उपयोग विधि:

 

·         यह भूमि सुधारक DAP (डायमोनियम फॉस्फेट) या NPK (नाइट्रोजन–फॉस्फोरस–पोटेशियम) के साथ मिलाकर भी प्रयोग किया जा सकता है।

·         बुआई से पहले या साथ में इसे पौधों की आवश्यकतानुसार मिट्टी में मिलाएं।

 

प्रयोग कैसे करें – चरणवार निर्देश

मिट्टी की जाँच (Soil Testing):

किसी भी पोषक तत्व के उपयोग से पहले मिट्टी जांच आवश्यक है। इससे मिट्टी की pH, नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स का स्तर पता चलता है।

 

उपयुक्त समय पर उर्वरक डालें:

·         नाइट्रोजन: काबिलनीय अंतराल पर संतुलित मात्रा में दें।

·         फॉस्फोरस और पोटेशियम: बुआई से पहले या पौध रोपण के समय डालें।

·         माइक्रोन्यूट्रिएंट्स (लोहा, मैग्नीज़, सल्फर): पहला छिड़काव लक्षण दिखने पर करें।

 

टाटा धुर्वी गोल्ड का प्रयोग:

·         बीज बोने से पहले मिट्टी में मिलाएं या रोपाइ के समय डालें।

·         साथ ही DAP/NPK के साथ मिश्रित करें।

 

फॉलो-अप छिड़काव:

·         जड़ी-बूटी और पौधों की सतह पर नियमित रूप से छिड़काव करें।

·         सूखे मौसम एवं धूप वाले दिनों में बचकर छिड़काव करें।

 

फसल चक्र (Crop Rotation) अपनाएं:

·         हर मौसम में अलग-अलग फसल उगाने से मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है।

·         पोषक तत्वों की अधिकता या कमी को मिटाया जा सकता है।

 

सिंचाई और जल प्रबंधन:

·         नियमित और पर्याप्त जल आपूर्ति पौधों को पोषक तत्वों को अवशोषित करने में मदद करती है।

·         जलभराव से बचें, क्योंकि इससे पोषक तत्व मिट्टी से बहकर दूर हो सकते हैं।

 

सब्जी किसानों के लिए सजगता के संकेत

·         पत्तों का रंग बदलना – पौधा पीला, भूरा या बैंगनी दिखना

·         पत्तियों का झुरझुरापन – किनारे झुकते या मर जाते हैं

·         विकास में रुकावट – तना पतला, फूल कम

·         जड़ कमजोर होना – पौधे गिरते, उपज में गिरावट

 

यदि उपरोक्त लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत मिट्टी जांच कराएं और आवश्यक पोषक तत्व दिए जाने चाहिए।

 

लाभ और सुझाव

·         उत्तम उपज और गुणवत्ता: संतुलित पोषण से फूलों की संख्या और फल की गुणवत्ता दोनों में सुधार होता है।

·         मिट्टी का दीर्घकालिक स्वास्थ्य: जैविक तथा सूक्ष्म पोषक तत्व मिट्टी में संतुलन बनाए रखते हैं।

·         आर्थिक बचत: अनावश्यक उर्वरकों की खपत नहीं होती, जिससे लागत कम होती है।

·         पर्यावरण अनुकूल: संतुलित पोषण रासायनिक पदार्थों के प्रदूषण को रोकता है।

·         संक्रमण से सुरक्षा: स्वस्थ पौधों में रोगों और कीटों से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती है।

 

सब्जी फसलों में पौष्टिक संतुलन बनाए रखना किसान भाई-बहनों की प्राथमिक जिम्मेदारी है। नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम, सल्फर, मैग्नीज़ और लोहा जैसे तत्व पौधों की वृद्धि व फलन के लिए अनिवार्य हैं। इनकी कमी को पहचान कर समय से सुधार करना फसल की बेहतर पैदावार और गुणवत्ता सुनिश्चित करता है।

 

साथ ही, टाटा स्टील का धुर्वी गोल्ड भूमि-सुधारक इन तत्वों का संतुलित मिश्रण होने के कारण उपयोगी विकल्प साबित हो सकता है। इसके नियमित व सामंजस्यपूर्ण उपयोग से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और उत्पादन में वृद्धि होती है।

 

किसान साथियों, मिट्टी की जाँच कराएं, पोषक तत्वों की कमी को पहचानें, समय पर दवाइयां और खाद डालें – स्वस्थ पौधे, बेहतर फसल, और खुशहाल किसान परिवार आपकी मेहनत और जागरूकता का परिणाम होगा।

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