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राज्य के कृषि महाविद्यालय ने त्रिपुरा की मिट्टी और जलवायु के अनुसार आठ नई अरहर दाल की किस्में विकसित की हैं।
अगरतला, 12 नवंबर 2025: त्रिपुरा के कृषि महाविद्यालय ने राज्य की मिट्टी और जलवायु के अनुसार अरहर दाल की 8 नई किस्में विकसित की हैं। इन किस्मों को जल्द ही किसानों में वितरित किया जाएगा ताकि राज्य दाल उत्पादन में आत्मनिर्भर बन सके।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री रतन लाल नाथ ने बताया कि भारत कई कृषि क्षेत्रों में आत्मनिर्भर है, लेकिन दालों के मामले में अभी भी आयात पर निर्भरता है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय दाल मिशन शुरू किया है।
2009-10 से चल रहे इस लंबे शोध में कृषि वैज्ञानिक
डॉ. बिमन डे, डॉ. डी.पी. अवस्थी और डॉ. बी.सी. थांगजाम ने 10 वर्षों तक काम किया और नई उच्च उत्पादक किस्में विकसित कीं।
पुरानी किस्मों से जहां 705 किग्रा/हेक्टेयर उपज मिलती थी, वहीं नई किस्मों से लगभग 2000 किग्रा/हेक्टेयर उपज संभव है। इससे किसानों की आय में बड़ी बढ़ोतरी होगी।
मंत्री ने बताया कि त्रिपुरा में पहले प्याज की खेती मुश्किल मानी जाती थी। लेकिन अब लाल और सफेद दोनों किस्मों की खेती बढ़ रही है।
2017-18 में 163 हेक्टेयर में प्याज उगाया जाता था, जो 2025-26 तक बढ़कर 225 हेक्टेयर होने की उम्मीद है।
राज्य ARC आलू और प्याज उत्पादन में आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से कदम बढ़ा रहा है, जिससे किसानों की आय और रोजगार दोनों बढ़ने की संभावना है।
नई अरहर दाल की इन किस्मों से किसानों की पैदावार और आमदनी में बड़ा बदलाव आ सकता है।
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