चिया सीड्स की खेती: किसानों के लिए एक शानदार कमाई वाली फसल
चिया सीड्स की खेती: किसानों के लिए एक शानदार कमाई वाली फसल
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Chiya Ki Kheti: चिया (साल्विया हिस्पैनिका) लैमियासी (मिंट परिवार) परिवार का एक वार्षिक पौधा है। इसका उद्गम स्थान मेक्सिको एवं ग्वाटेमाला क्षेत्र है। वर्तमान में इसकी खेती ऑस्ट्रेलिया, बोलीविया, कोलंबिया, ग्वाटेमाला, मैक्सिको, पेरू और अर्जेंटीना जैसे देशों में की जाती है। भारत में चिया की खेती मुख्य रूप से कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, केरल, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा आदि राज्यों में की जा रही है।

चिया के पौधे की ऊंचाई 1-1.5 मीटर होती है। इसके फूलों का रंग बैंगनी और सफेद होता है। इसके बीज एक समूह बनाते हैं, जिसे स्पाइक कहते हैं। चिया की खेती के लिए 15-20 डिग्री सेल्सियस तापमान उपयुक्त होता है चिया एक सूखा प्रतिरोधी फसल है, जिसकी खेती अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में भी आसानी से की जा सकती है।

चिया की फसल 120-140 दिनों में पक जाती है। इसे मुख्यतः बीज के लिए उगाया जाता है। चिया बीज अंडाकार, 1 मिमी. व्यास, भूरे, काले और सफेद रंग के होते हैं। इसके बीज दिखने में बहुत छोटे होते हैं चिया सीड्स में ओमेगा 3 और 6 फैटी एसिड प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। इसके बीज प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, आहार फाइबर, पोषक तत्व और विटामिन का अच्छा स्रोत हैं। इसमें फाइबर की मात्रा बहुत अधिक होती है, जो शरीर को अंदर से मजबूत बनाता है। इसी कारण इसे 'सुपर सीड' की श्रेणी में रखा गया है। जब बीजों को पानी में डालकर कुछ देर के लिए रखा जाता है तो वे आकार में काफी बड़े दिखने लगते हैं। चिया बीज से तेल भी निकाला जाता है। बीजों को भोजन, चोकर, आटे और तेल के रूप में खाया जा सकता है। इसका उपयोग सौंदर्य प्रसाधनों, त्वचा की देखभाल में एक आवश्यक तेल के रूप में, प्राकृतिक कीटनाशक के रूप में और ऊर्जा क्षेत्र (चिया बायोमास इथेनॉल) में किया जा सकता है।

चिया की खेती
  • चिया की खेती के लिए सफेद और काली किस्में लोकप्रिय हैं। काले चिया बीज में सफेद बीज की तुलना में थोड़ा अधिक प्रोटीन होता है। यह किस्म अधिक उपज देने वाली है। सफेद बीजों में काले बीजों की तुलना में अधिक फैटी एसिड होते हैं।
  • इसके लिए हल्की से मध्यम भुरभुरी, कम उर्वरता वाली तथा अच्छे जल निकास वाली मिट्टी, जिसका पीएच मान 6-8.5 हो, उपयुक्त होती है।
  • चिया की फसल को कतारों में बोने के लिए 5 से 6 कि.ग्रा. बीज दर प्रति हेक्टेयर आवश्यक है।
  • इसकी खेती के लिए 10-12 टन गोबर की खाद और 50-60 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 40-45 किग्रा. फास्फोरस एवं 30-40 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर पोटैशियम की आवश्यकता होती है।
  • चिया मुख्यतः रबी की फसल है। इसकी बुआई के लिए अक्टूबर के पहले सप्ताह से नवंबर के पहले सप्ताह के बीच का समय उपयुक्त है। चिया की फसल कतारों में बोई जाती है। इसमें पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30-45 सेमी. रखा गया है।
  • यह फसल कम पानी में भी अच्छी पैदावार देती है। इसलिए इसकी खेती के लिए 3 से 5 सिंचाई (जलवायु और मौसम के आधार पर) की आवश्यकता होती है।
  • खेत को खरपतवार मुक्त रखने से पैदावार अच्छी होती है। अत: बुआई के 45 दिन बाद एक से दो निराई-गुड़ाई करनी चाहिए।
  • चिया मुख्य रूप से वायरल बीमारियों से प्रभावित होती है, जो सफेद मक्खियों द्वारा फैलती हैं। इसके नियंत्रण के लिए निमिसिडिन, गोमूत्र एवं अन्य जैविक कीटनाशकों का छिड़काव करें।
  • चिया की फसल 120-140 दिनों में पक जाती है। फसल की बालियाँ सूखने पर हँसिये से कटाई की जाती है। चिया की उपज 6-10 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है।