अमरुद की खेती से हो सकती है अच्छी कमाई, जानिए उन्नत खेती के तरीको के बारे में
अमरुद की खेती से हो सकती है अच्छी कमाई, जानिए उन्नत खेती के तरीको के बारे में
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Guava Farming: अमरूद के अच्छे उत्पादन के लिए उपजाऊ बलुई दोमट मृदा अच्छी है। इसके उत्पादन के लिए 6-7.5 पी-एच मान की मृदा उपयुक्त होती है, किन्तु 7.5 से अधिक पी-एच मान की मृदा में उकठा रोग के प्रकोप की आशंका होती है। अमरूद को उष्ण तथा उपोष्ण जलवायु में सफलतापूर्वक पैदा किया जा सकता है। इसकी खेती के लिए 15-30 डिग्री सेल्सियस तापमान अनुकूल होता है। यह सूखे को भलीभांति सहन कर लेता है। तापमान के अधिक उतार-चढ़ाव, गर्म हवा. कम वर्षा, जलाक्रान्ति का फलोत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव कम पड़ता है।
  • अमरूद की उगाई जाने वाली उन्नत किस्में जैसे-हिसार सफेदा, हिसार सुरखा सुरखा, बनारसी इलाहाबाद सफेदा, पंजाब सफेदा, पंजाब किरन, पंत प्रभात, लखनऊ सफेदा, सेब रंग, लाल मांस, मिर्जापुरी सीडलेस, सीआईएसएच-जी-1, सीआईएस-जी-2, सीआईएस-जी-3, अर्का किरण, अर्का पूर्णना, श्वेता, इलाहाबाद सुरखा, लखनऊ-49 (सरदार), चित्तीदार, ग्वालियर-27, एपिल-गुवावा एवं धारीदार प्रमुख हैं। इसके अतिरिक्त अर्का मृदुला, श्वेता, ललित एवं पंत-प्रभात किस्में व्यावसायिक उत्पादन के लिए उपयोग में लाई जा सकती हैं। कोहीर, सफेदा एवं सफेद जाम नामक संकर प्रजातियां भी उपयोग में लाई जा सकती हैं। अमरूद के नये बागों के रोपण के लिए रेखांकन करने के उपरान्त गड्ढों की खुदाई करें।
  • अमरूद 5X5 मीटर की दूरी पर 75 सें.मी. लम्बे, चौड़े व गहरे गड्ढे बनाएं। 
  • प्रत्येक गड्ढे में 30-40 कि.ग्रा. सड़ी गोबर की खाद, 1 कि.ग्रा. नीम की फली गड्ढे से निकाली गयी ऊपर की मिट्टी में मिलाकर गड्ढे को जमीन से 20 सें.मी. की ऊंचाई तक भर दें। 
  • प्रारंभिक दो-तीन वर्षों में बगीचों के रिक्त स्थानों में खरीफ में लोबिया, ज्वार, उड़द, मूंग एवं सोयाबीन फसलें उगायें।