आम में गमोसिस विकार को कैसे करें प्रबंधित ?
आम में गमोसिस विकार को कैसे करें प्रबंधित ?

आम में गमोसिस विकार को कैसे करें प्रबंधित ?

प्रोफेसर (डॉ) एसके सिंह
सह निदेशक अनुसंधान
विभागाध्यक्ष,पोस्ट ग्रेजुएट डिपार्टमेंट ऑफ प्लांट पैथोलॉजी एवं प्रधान अन्वेषक, अखिल भारतीय समन्वित फल अनुसंधान परियोजना, डॉ राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर बिहार

आम के पेड़ों में गमोसिस एक सामान्य शारीरिक विकार है जो रोग नही है एक लक्षण है जो यह बताता है कि आपका पेड़ किसी मुसीबत में है,तत्काल आपके हस्तक्षेप की आवश्यकता है। गमोसिस की वजह से पेड़ों के स्वास्थ्य और उत्पादकता दोनों  प्रभावित होती है। गमोसिस की वजह से  छाल से गोंद जैसा स्राव निकलता है, जिससे घाव, नासूर और पेड़ की समग्र शक्ति में गिरावट आती है। यह समस्या पर्यावरणीय तनाव, रोगजनकों और खराब कृषि कार्यों सहित विभिन्न अन्य कारकों के कारण होती है। गमोसिस के प्रभावी प्रबंधन के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है जो इन कारकों को संबोधित करता हो।

गमोसिस के कारण और इसे बढ़ने में योगदान देने वाले विभिन्न कारक
गमोसिस अक्सर प्रतिकूल पर्यावरणीय परिस्थितियों जैसे अत्यधिक वर्षा, उच्च आर्द्रता और खराब जल निकासी के कारण उत्पन्न होता है। ये स्थितियाँ पेड़ की रक्षा तंत्र को कमजोर कर देती हैं, जिससे यह रोगजनकों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है। फाइटोफ्थोरा जैसे कवक की विभिन्न प्रजातियां भी इस रोग के जिम्मेदार है। वैसे तो कटाई छटाई बहुत जरूरी है लेकिन अनुचित छंटाई और अत्यधिक उर्वरकों के प्रयोग जैसी खराब कृषि कार्य भी पेड़ के स्वास्थ्य को कमजोर करती हैं और गमोसिस के विकास में योगदान करती हैं।

गमोसिस के लक्षण
गमोसिस के लक्षणों में छाल से गोंद का निकलना शामिल है, जो गहरे रंग के मलिनकिरण के साथ हो सकता है। तने और शाखाओं पर नासूर और घाव बनते हैं, जिससे पोषक तत्वों और पानी का प्रवाह बाधित होता है। पोषक तत्वों की कमी के कारण पत्तियाँ पीली होती हैं या मुरझाने के लक्षण दिखाई देती हैं। अंततः, पेड़ की समग्र वृद्धि और फल उत्पादन में भारी कमी आती है।

 आम में गमोसिस रोग को कैसे करें प्रबंधित 

1. कृषि कार्य
आम के पेड़ों को अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में लगाएं और रोपण से पहले मिट्टी की उचित तैयारी सुनिश्चित करें। वायु परिसंचरण और सूर्य के प्रकाश के प्रवेश को बेहतर बनाने के लिए नियमित रूप से पेड़ की कटाई छंटाई करें। मृत या संक्रमित शाखाओं को तुरंत हटा दें। बाग में पेड़ की उम्र के अनुसार संतुलित  खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग करें, अत्यधिक नाइट्रोजन के प्रयोग से बचें जो पेड़ को रोग के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकता है।

2. सिंचाई
कवक विकास को बढ़ावा देने वाली जलभराव की स्थिति को रोकने के लिए उचित सिंचाई विधियों को अपनाएं बनाए। अत्यधिक पानी भरे बिना लगातार नमी सुनिश्चित करने के लिए ड्रिप सिंचाई प्रणाली का उपयोग करें।

3. रोग नियंत्रण
उच्च आर्द्रता की अवधि के दौरान या लक्षण दिखाई देने पर कवकनाशी का प्रयोग करें। अनुशंसित कवकनाशी और प्रयोग समय के लिए स्थानीय कृषि विस्तार सेवाओं से संबंधित वैज्ञानिको  से भी परामर्श लें। कॉपर-आधारित कवकनाशी फंगल संक्रमण को प्रबंधित करने में मदद करते हैं। उन्हें निर्माता दिशानिर्देशों के अनुसार प्रयोग करें

आम में गामोसिस से बचाव के लिए आवश्यक है कि पेड़ के चारो तरफ, जमीन की सतह से 5-5.30 फीट की ऊंचाई तक बोर्डों पेस्ट से पुताई करनी चाहिए। प्रश्न यह उठता है कि बोर्डों पेस्ट बनाते कैसे है।यदि बोर्डों पेस्ट से साल में दो बार प्रथम जुलाई- अगस्त एवम् दुबारा फरवरी- मार्च में पुताई कर दी जाय तो अधिकांश फफूंद जनित बीमारियों से बाग को बचा लेते है।इस रोग के साथ साथ शीर्ष मरण, आम के छिल्को का फटना इत्यादि विभिन्न फफूंद जनित बीमारियों से आम को बचाया जा सकता है। इसका प्रयोग सभी फल के पेड़ो पर किया जाना चाहिए ।

आम में गमोसिस, इन्टरनल नेक्रोसिस ,और फलों का फटना रोकने के लिए 5 साल के आम के पेड़ में तने से 1.5 फ़ीट गोलाई छोड़कर अक्टूबर के महीने में 125 ग्राम कापर सलफेट,125 ग्राम जिंक सल्फेट,125 ग्राम बोरेक्स बिखेर कर मिट्टी में फावड़े से मिला दे। छठे साल में 25 ग्राम अतिरिक्त मात्रा तीनों माइक्रो न्यूट्रिएंट में बढ़ाते जाये, यानी 150 ,150,150 ग्राम ,सातवे साल 175 175,175 ग्राम,आठवे साल 200,200,200 ग्राम,नवे साल 225,225,225 ग्राम,दसवे साल 250,250,250 ग्राम तीनों माइक्रो न्यूट्रिएंट मिलाए। दस साल के बाद कितने भी साल का आम का पेड़ हो, प्रत्येक वर्ष मात्रा 250,250,250 ग्राम तीनों माइक्रो न्यूट्रिएंट मिलाये, इससे आम का पेड़ स्वस्थ व ओज पूर्ण होगा फलत भी अच्छी होगी और फटना,गमोसिस तथा इंटरनल नेक्रोसिस भी नही होगी ।

बोर्डों पेस्ट बनाने के लिए आवश्यक सामान
कॉपर सल्फेट, बिना बुझा चुना (कैल्शियम ऑक्साइड ), जूट बैग, मलमल कपड़े की छलनी या बारीक छलनी, मिट्टी/ प्लास्टिक / लकड़ी की टंकी एवं लकड़ी की छड़ी।
1. कॉपर सल्फेट 1 किलो ग्राम
2. बिना बुझा चूना -1 किलो
3. पानी 10 लीटर

बनाने की विधि 
पानी की आधी मात्रा में कॉपर सल्फेट, चूने को बूझावे, शेष आधे पानी में मिलावे इस दौरान लकड़ी की छड़ी से लगातार हिलाते रहे।

किसान के ध्यान रखने योग्य बातें
किसानो को बोर्डो पेस्ट  का घोल तैयार करने के तुरंत बाद ही इसका उपयोग बगीचे में कर लेना चाहिए|
कॉपर सलफेट का घोल तैयार करते समय किसानो लोहें / गैल्वेनाइज्ड बर्तन को काम में नहीं लेना चाहिए|
किसानो को यह ध्यान रखना हो की वे बोर्डो पेस्ट  को किसी अन्य रसायन या पेस्टिसाइड के साथ में इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

4. जड़ स्वास्थ्य
पेड़ के आसपास खेती या निर्माण गतिविधियों के दौरान क्षति से बचाकर स्वस्थ जड़ प्रणाली को बनाए रखें। नमी को संरक्षित करने, तापमान को नियंत्रित करने और यांत्रिक चोटों को रोकने के लिए पेड़ के आधार के चारों ओर जैविक गीली घास की एक परत लगाएं।

5. पर्यावरण प्रबंधन
जलभराव को रोकने के लिए उचित जल निकासी सुनिश्चित करें, जो पेड़ को कमजोर करता है और गमोसिस को बढ़ावा देता है।
पेड़ों के बीच उचित दूरी बेहतर वायु परिसंचरण, आर्द्रता के स्तर को कम करने और बीमारी के प्रसार को कम करने में मदद करता है।

6. रोग प्रतिरोधी किस्में
नए आम के पेड़ लगाते समय, रोग प्रतिरोधी किस्मों का चयन करें जिनमें गमोसिस और अन्य फंगल संक्रमण का खतरा कम हो।

अंत में कह सकते है की आम के पेड़ों में गमोसिस एक जटिल विकार है जिसके लिए समग्र प्रबंधन दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। पर्यावरणीय परिस्थितियों, विभिन्न कृषि कार्य, रोग नियंत्रण और जड़ स्वास्थ्य जैसे कारकों  पर ध्यान देकर आम के पेड़ों पर गमोसिस के प्रभाव को प्रभावी ढंग से कम कर सकते हैं। नियमित निगरानी, ​​त्वरित कार्रवाई और स्थानीय कृषि विशेषज्ञों के साथ परामर्श आपके आम के बगीचे के दीर्घकालिक स्वास्थ्य और उत्पादकता में योगदान देगा।