चौलाई के फायदे और उपयोग
चौलाई के फायदे और उपयोग

चौलाई के फायदे और उपयोग

अमित सिंह (सहायक प्राध्यापक) एवं ब्रजेश कुमार मिश्र (सह प्राध्यापक) 

कृषि विज्ञान विभाग,  महर्षि मारकंडेश्वर (सम विश्वविद्यालय )

मुल्लाना, अंबाला, हरियाणा, भारत

आपने चौलाई की सब्जी जरूर खाई होगी। चौलाई एक बहुत ही उत्तम औषधि है। चौलाई का सेवन सब्जी या साग के रूप में किया जाता है। अनेकों लोगों को यह जानकारी ही नहीं है कि चौलाई से लाभ लेकर बीमारियों का इलाज भी किया जा सकता है। आयुर्वेद के अनुसार, कई बीमारियों में चौलाई की जड़, तने, पत्ते, फल और फूल से फायदे मिलते हैं। औषधि के लिए चौलाई (मरसा) के सभी भागों का प्रयोग किया जाता है।

आप चौलाई के फायदे दांतों के रोग, कंठ की बीमारियां, दस्त, पेचिश, ल्यूकोरिया, घाव, रक्त-विकार आदि में ले सकते हैं। आइए जानते हैं कि किन-किन रोगों में चौलाई का उपयोग किया जा सकता है, और कैसे चौलाई से लाभ लिया जा सकता है।

चौलाई क्या है?

यह चौलाई के समान दिखने वाली चौलाई के वर्ग की सब्जी है। इसके पत्तों से बनी सब्जी बहुत ही स्वादिष्ट होती है। इसकी दो प्रजातियां होती हैं।

  1. रक्त-मारिष (लाल मरसा)-(Amaranthus tricolor Linn.)
  2. श्वेत-मारिष (सफेद मरसा)-(Amaranthus blitum Linn.)

चौलाई धीरे-धीरे बढ़ता है। यह सीधा, ऊँचा, गूदेदार सब्जी है। इसके तने बेलनाकार, कठोर और अनेक शाखाओं वाले होते हैं, जो लाल और हरे रंग के होते हैं। इसके पत्ते गोलाकार, आयताकार, रोमिल व लम्बे होते हैं। इसके फूल हरे रंग के, एकलिंगी और छोटे होते हैं। इसके फल गोलाकार अथवा चौड़े अण्डाकार और गोलाकार बीजयुक्त होते हैं।

 

चौलाई (मरसा) के फायदे और उपयोग

आइए जानते हैं कि आप बीमारियों में चौलाई की सब्जी से कैसे लाभ ले सकते हैंः

चौलाई एक ऐसा साग है जो गर्मियों और बरसात में उगता है.  इसके सेवन से कब्ज की समस्या में भी राहत मिल सकती है.चौलाई में भरपूर मात्रा में विटामिन ए, प्रोटीन और खनिज पाया जाता है. जो कई तरह के स्वास्थय लाभ देने में लाभदायी होता है.

दांतों के रोग में चौलाई (मरसा) के फायदे

चौलाई (मरसा) को पीसकर दांतों पर रगड़ें। इसके साथ ही पौधे का काढ़ा बनाकर कुल्ला करें। इससे मुंह के छाले और दांतों के दर्द की बीमारी में लाभ होता है।

 

कंठ के रोग में चौलाई (मरसा) के फायदे

कंठ से जुड़ी बीमारियों में भी चौलाई का इस्तेमाल लाभ पहुंचाता है। चौलाई पंचांग (chaulai plant) का काढ़ा बनाकर गरारा करें। इससे कण्ठ के दर्द और मुंह के छाले की परेशानी में लाभ होता है।

 

खांसी में खून आने की बीमारी में चौलाई (मरसा) के सेवन से लाभ

कई लोगों को खांसी के साथ खून आने लगती है। इस रोग में भी चौलाई का सेवन फायदा पहुंचाता है। चौलाई पंचांग का काढ़ा बना लें। इसे 15-30 मिली मात्रा में पिएं। इससे खांसी में बलगम के साथ खून आने के रोग में लाभ होता है।

 

दस्त और पेचिश में चौलाई (मरसा) के सेवन से लाभ

दस्त के साथ-साथ पेचिश के इलाज के लिए चौलाई का सेवन करना चाहिए। आप चौलाई के पौधे (amaranth grain) का काढ़ा बना लें। इसे 10-20 मिली मात्रा में पिएं। इससे पेचिश, दस्त पर रोक लगती है।

 

ल्यूकोरिया में चौलाई के सेवन से लाभ

जो महिलाएं ल्यूकोरिया से पीड़ित हैं। वे चौलाई (chaulai saag) का सेवन कर लाभ ले सकती हैं। लाल चौलाई की जड़ का पेस्ट बना लें। इसमें मधु तथा मण्ड मिलाकर पिएं। इससे ल्यूकोरिया में लाभ होता है।

 

नाखून में सूजन होने पर चौलाई के औषधीय गुण से फायदा

नाखून से सूजन आने पर चौलाई का उपयोग असरदार तरह से फायदा देता है। आप लाल चौलाई की जड़ (cholai ka lal saag) को पीसकर नाखून पर लगाएं। इससे नाखून में सूजन की समस्या  ठीक होती है।

 

घाव सुखाने में चौलाई का औषधीय गुण फायदेमंद

आप घाव को सुखाने के लिए भी चौलाई का उपयोग कर सकते हैं। इसके लिए चौलाई का काढ़ा बना लें। इससे घाव को धोए। घाव जल्दी भरते हैं।

 

रक्तपित्त (नाक-कान से खून आना) में चौलाई के सेवन से फायदा

रक्तपित्त मतलब नाक-कान आदि अंगों से खून आने पर चौलाई का सेवन करना चाहिए। यह रक्तपित्त में लाभ (cholai ka lal saag) देता है।

 

त्वचा विकार में चौलाई के फायदे

त्वचा संबंधी अनेक विकारों में भी चौलाई का इस्तेमाल प्रभावशाली ढंग से काम करता है। इसके लिए चौलाई पंचांग को पीसकर बीमार त्वचा पर लगाएं। इससे खुजली तथा दाद आदि त्वचा के विकार ठीक होते हैं।

 

चौलाई (मरसा) कहां पाया या उगाया जाता है

चौलाई समस्त भारत में पाया जाता है। चौलाई (chaulai plant) की खेती विश्व में भी की जाती है। आमतौर पर चौलाई की खेती गर्मी और बरसात के मौसम में की जाती है।