आइए जानते है जामुन की उन्नत किस्मों के बारे में
आइए जानते है जामुन की उन्नत किस्मों के बारे में

प्रोफेसर (डॉ) एसके सिंह
प्रधान अन्वेषक, अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना (फल) एवं 
सह निदेशक अनुसंधान
डॉ राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय
पूसा 848 125, समस्तीपुर बिहार

भारत, विश्व की मधुमेह की राजधानी है और अधिकांश घरों में मधुमेह, जिसे 'शर्करा रोग' के रूप में जाना जाता है। मधुमेह मुख्य रूप से एक जीवन शैली की स्थिति है जो भारत में सभी आयु समूहों में खतरनाक रूप से बढ़ी है, और युवा आबादी में इसका प्रसार भी 10% से अधिक हो गया है। शहरी क्षेत्रों की स्थिति ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में बदतर है, जहां सभी सामाजिक-आर्थिक समूहों में बीमारी का प्रसार लगभग दोगुना है। विशेष रूप से युवा आबादी में मधुमेह की वर्तमान वृद्धि सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए बड़ी चिंता का कारण है।

भारत में जिस गति से डायबटीज रोग बढ़ रहा है, हमारा ध्यान इस रोग के प्रबंधन के लिए सबसे पहले जिस फल की तरफ सबसे पहले जाता है, वह जामुन है। जामुन के फल के साथ साथ इसकी गुठली से बने पाउडर का उपयोग डायबिटीज रोग के प्रबंधन में किया जाता है। इससे इस रोग के प्रबंधन के लिए होम्योपैथिक दवा भी बनाई जाती है। आइए जानते है जामुन की प्रमुख किस्मों के बारे में।

जामुन की उन्नत किस्में
जामुन की कई उन्नत किस्में विकसित की गई हैं एवं कई किस्में जनता की पसंद की वजह से लोकप्रिय है जो निम्नवत है

राजा जामुन
जामुन की इस प्रजाति को भारत में अधिक पसंद किया जाता है। इस किस्म के फल आकर में बड़े, आयताकार और गहरे बैंगनी रंग के होते हैं। इसके फलों में पाई जाने वाली गुठली का आकार छोटा होते हैं। इसके फल पकने के बाद मीठे और रसदार बन जाते हैं।

सी.आई.एस.एच. जे – 45
इस किस्म का विकास सेंट्रल फॉर सब-ट्रॉपिकल हॉर्टिकल्चर ,लखनऊ, उत्तर प्रदेश द्वारा किया गया है। इस किस्म के फल के अंदर बीज नहीं होते। इस किस्म के फल सामान्य मोटाई वाले अंडाकार दिखाई देते हैं। जिनका रंग पकने के बाद काला और गहरा नीला दिखाई देते है। इस किस्म के फल रसदार और स्वाद में मीठे होते हैं। इस किस्म के पौधे गुजरात और उत्तर प्रदेश में अधिक उगाये जाते हैं।

सी.आई.एस.एच. जे – 37
इस किस्म का निर्माण सेंट्रल फॉर सब-ट्रॉपिकल हॉर्टिकल्चर ऑफ़ लखनऊ, उत्तर प्रदेश के द्वारा किया गया है। इस किस्म के फल गहरे काले रंग के होते हैं। जो बारिश के मौसम में पककर तैयार हो जाते हैं। इसके फलों में गुठली का आकार छोटा होता है। इसका गुदा मीठा और रसदार होता है।

जामवंत
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद - केंद्रीय उपोष्ण बागवानी लखनऊ के वैज्ञानिकों के दो दशकों के अनुसंधान के परिणामस्वरूप जामवंत नामक जामुन की प्रजाति विकसित किया गया। जामवंत में कसैलापन बिलकुल नहीं होता है। इसमें 90 प्रतिशत से ज्यादा गुद्दा होता है। इसकी गुठली  काफी ज्यादा छोटी होती है। इस प्रजाति के जामुन का पेड़ बौना और सघन शाखाओं वाला होता है। फल गुच्छों में एवं फल पकने पर हल्के बैगनी रंग के हो जाते है। जामवंत जामुन की किस्म पूरी तरह से एंटीडायबिटिक और बायोएक्टिव तत्वों से भरपूर होती है। यह जामुन मई से लेकर जुलाई के दौरान दैनिक उपयोग का फल बन जाता है। फल आकर्षक गहरे बैंगनी रंग के साथ बड़े आकार के फलों के गुच्छे इस किस्म की विशेषता है। जामवंत प्रजाति के जामुन का फल औसतन वजन 24 ग्राम होता  है। इसके गूदे में अपेक्षाकृत हाई एस्कॉर्बिक एसिड के कारण इसको पोषक तत्वों में धनी बनाता है। जून के तीसरे सप्ताह के बाद इसमें से फल तुड़ाई योग्य हो जाते है।

काथा 
इस किस्म के फल आकार में छोटे होते हैं। जिनका रंग गहरा जामुनी होता है। इस किस्म के फलों में गुदे की मात्रा कम पाई जाती है। जो स्वाद में खट्टा होता है। इसके फलों का आकार बेर की तरह गोल होता है।

गोमा प्रियंका
इस किस्म का विकास केन्द्रीय बागवानी प्रयोग केन्द्र गोधरा, गुजरात के द्वारा किया गया है। इस किस्म के फल स्वाद में मीठे होते है। जो खाने के बाद कसेला स्वाद देते है। इसके फलों में गुदे की मात्रा ज्यादा पाई जाती है। इस किस्म के फल बारिश के मौसम में पककर तैयार हो जाते हैं।

भादो
इस किस्म के फल सामान्य आकार के होते हैं। जिनका रंग गहरा बेंगानी होता है। इस क़िस्म के पौधे पछेती पैदावार के लिए जाने जाते हैं। जिन पर फल बारिश के मौसम के बाद अगस्त महीने में पककर तैयार होते हैं। इस किस्म के फलों का स्वाद खटाई लिए हुए हल्का मीठा होता है।


उपरोक्त प्रजातियों के अलावा और भी कई किस्में हैं जिनकी अलग अलग प्रदेशों में उगाकर अच्छी पैदावार ली जाती हैं। जिनमें नरेंद्र 6, कोंकण भादोली, बादाम, जत्थी और राजेन्द्र 1 जैसी कई किस्में शामिल हैं।