फलों एवं सब्जियों में लगने वाले लीफ माइनर कीट का प्रबंधन को कैसे करे प्रबंधित?
फलों एवं सब्जियों में लगने वाले लीफ माइनर कीट का प्रबंधन को कैसे करे प्रबंधित?

प्रोफेसर (डॉ)एसके सिंह
प्रधान अन्वेषक अखिल भारतीय समन्वित फल अनुसंधान परियोजना एवं
सह निदेशक अनुसंधान
डॉ राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय
 पूसा ,समस्तीपुर, बिहार-848 125

आइए जानते है फलों एवं सब्जियों के पत्तियों में लगने वाले एक खतरनाक कीट लीफ माइनर्स (पत्ती सुरंगक) के बारे में। यह कीट बहुत छोटा होता है। लेकिन अगर एक बार यह कीट फसल में लग गया एवं समय से इसे प्रबंधित नहीं किया गया तो फसल उत्पादन में 60% तक की कमी हो सकती है।

लीफ माइनर कीट क्या है?
लीफ माइनर बहुत ही छोटे कीट होते हैं यह टमाटर, खीरा, ककड़ी, नेनुआ, गेंदा, निम्बू इत्यादि लगभग सभी फसलों की पत्तियों के अंदर सुरंग बनाकर रहते हैं। इसे पत्ती सुरंगक कीट भी कहते हैं, जिन भी फसलों में इनका आक्रमण होता है। उस फसल की पत्तियों पर टेढ़े-मेढ़े सफेद धारीयां बनी हुई दिखाई देती हैं। जिससे पौधों की पत्तियां एवं पौधे बीमार से दिखते है। यह कीट पत्तियों के अन्दर ही रहते है और अन्दर ही अन्दर पत्तियों को हानि पहुंचाते रहते हैं। पत्तियों पर सफेद धारीयां बन जाती हैं जिससे यह पता चलता है की उस फसल में लीफ माइनर कीट का अटैक हो चूका है।
लीफ माइनर का अटैक अक्सर फसलों की नाजुक यानि कोमल पत्तियों पर देखने को मिलता है। इनके प्रकोप से पत्तियों में प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभावित होती हैं। जिससे इसका सीधा असर पौधे के विकास पर पड़ता है।

लीफ माइनर का जीवन चक्र
इन कीटों जीवन चक्र मादा मक्खियों के द्वारा चलता है। मादा मक्खी पौधों की पत्तियों की कोशिकाओं के अन्दर अंडे देती है। अंडे देने के 2 से 3 दिनों के अंदर ही ये अंडे प्रस्फुटित होना शुरू हो जाते हैं। जब अंडे पूरी तरह से फूट जाते हैं तब इनमें से निकली छोटी-छोटी इल्लियाँ पत्तियों के अंदर सुरंग बनाकर पत्तियों के अन्दर उपस्थित हरित पदार्थ को खाना शुरू कर देती हैं। ये इल्लियाँ हरित पदार्थ को अन्दर ही अंदर खाती हुई आगे बढ़ती रहती हैं जिससे लीफ माइनर कीट से ग्रस्त पत्तियों पर टेढ़ी-मेढ़ी आकार की संरचनाएं बनी हुई दिखाई देती हैं। अगर इन्हें पत्तियों को तोड़कर देखा जाय तो यह पीले काली रंग की होती हैं। इनका जीवन चक्र इतना तेज चलता है की 1 साल में इनकी कई पीढ़ियां पाई जाती हैं।

लीफ माइनर का जैविक उपचार
लीफ माइनर कीट से फसलों को बचाने के लिए इन कीटों के प्रकोप के शुरुआत में ही यदि संभव हो तो पत्ती सुरंगक पत्तियों को तोड़कर निकाल देना चाहिए। इसके बाद यदि इनका ज्यादा प्रकोप दिखाई दे तो नीम का तेल 2 मिली लीटर प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर 10 दिनों के अन्तराल पर छिड़काव करना चाहिए। नीम के तेल इमल्शन, नीम के बीज की गिरी के अर्क जैसे वनस्पति का छिड़काव करके भी इस कीट को प्रबंधित किया जा सकता है।
प्रति एकड़ 100 पीले रंग का चिपचिपा ट्रैप लगाने से वयस्क मक्खियाँ आकर्षित होती है जिन्हे एकत्र करके मार देना चाहिए । इस कीट के रासायनिक प्रबंधन के लिए डाइमेथोएट 30 ईसी या क्लोरोपायरीफॉस 20ईसी की एक मिलीलीटर दवा प्रति 2 लीटर पानी में घोलकर या फिप्रोनिल 0.3 जी (75 ग्राम/हेक्टेयर) जैसे कीटनाशकों की सिफारिश की जाती है।