पपीता में थ्रिप्स के संक्रमण को पहचान कर ससमय करे प्रबंधन अन्यथा होगा भारी नुकसान
पपीता में थ्रिप्स के संक्रमण को पहचान कर ससमय करे प्रबंधन अन्यथा होगा भारी नुकसान

प्रोफेसर (डॉ) एस.के. सिंह 
प्रधान अन्वेषक, अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना एवं 
सह निदेशक अनुसन्धान 
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय , पूसा , समस्तीपुर, बिहार 

पपीता में लगने वाले थ्रीप्स का वैज्ञानिक नाम थ्रिप्स तबसी लिंडमैन है। यह कीट पपीता का कम महत्व का कीट माना जाता था। लेकिन हाल के वर्षों में देखा जा रहा है की इस कीट से पपीता के पौधे नर्सरी एवं रोपाई के कुछ दिन बाद बीमार से दिखने लगते है, इनकी बढ़वार रुक जाती है। थ्रिप्स लगभग 10 मिमी लंबे छोटे पतले कीड़े होते हैं। थ्रिप्स के वयस्क पीले रंग के होते हैं। इस कीट के अंडे सफेद होते हैं और सेम के आकार के पौधे के ऊतक के अंदर होते हैं ।इसका पूरा जीवन चक्र लगभग 3 सप्ताह का होता है। प्याज का थ्रिप्स (थ्रिप्स तबसी लिंडमैन) पपीते का एक मामूली (माइनर) कीट है। पपीते के पौधे को थ्रिप्स द्वारा क्षति पत्ती की सतह को झुलसाने और मुक्त रस को चूसने के कारण होती है। थ्रिप्स युवा होने पर पत्तियों को प्रभावित करते हैं, पत्तियां विकृत हो जाती हैं और उनकी सतह पर सिल्वर, सफेद धंसे हुए क्षेत्र दिखाई देते हैं।

कैसे करें पपीता में थ्रीप्स कीट का प्रबंधन?
व्यावसायिक रूप से उपलब्ध नीला या पीला चिपचिपा जनसंख्या पर नजर रखने के लिए जाल का इस्तेमाल किया जा सकता है। इस कीट के सफल प्रबंधन के लिए आवश्यक है की साफ सुथरी खेती की जाय। सुबह के समय कीटनाशकों का प्रयोग करें या देर दोपहर, जब थ्रिप्स की उड़ान गतिविधि अपने चरम पर हो। नीला रंग रखकर थ्रिप्स संक्रमण की निगरानी करें या पीले चिपचिपा जाल नियमित अंतराल पर प्रयोग करे।नीम आधारित कीटनाशक का प्रयोग करने से इस कीट की युवावस्था को नियंत्रित करते हैं। नीम के बीज की गुठली के सत्त (5%) या नीम का तेल (2%) का छिड़काव करने से इस कीट के व्यस्क प्रबंधित होते है। पपीता के बाग में इस कीट के प्राकृतिक शत्रुओं को बढ़ावा देना चाहिए जैसे परभक्षी थ्रिप्स, परभक्षी कुटकी (एंबलीसियस एसपीपी।) एंथोकोरिड बग या समुद्री डाकू कीड़े (ओरियस एसपीपी), जमीन बीटल,लेसविंग्स, होवरफ्लाइज़, लेडी बर्ड बीटल और बाग में मकड़ियों को संरक्षित करके बाग में कीट के हमले को कम किया जा सकता है। यदि इस कीट का संक्रमण अधिक हो तो कीटनाशक जैसे थियामेथोक्सम 25% WG (एक ग्राम प्रति 2 लीटर) या इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एसएल (1मिली प्रति लीटर) या स्पिनोसैड 45% एससी (1 ग्राम प्रति दो लीटर) का छिड़काव करके इस कीट को प्रबंधित किया जा सकता है।