आम मे मई माह से लेकर फल की तुडाई तक क्या करें क्या न करें ?
आम मे मई माह से लेकर फल की तुडाई तक क्या करें क्या न करें ?

प्रोफेसर (डॉ) एसके सिंह 
प्रधान अन्वेषक, अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना एवं 
सह निदेशक अनुसन्धान 
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर, बिहार

इस समय हमारे आम के फल में वृद्धि प्रतिदिन के हिसाब से हो रही है, इस साल अभी तक का वातावरण आम के लिए उपयुक्त है। कही कही पर आंधी की वजह से बहुत फलों का बहुत झड़ना भी देखा गया है। यहा बता देना आवश्यक है की शुरुवात में जितने फल लगते है उसका मात्र 5-7% फल ही अंततः पेड़ पर लगा रहता ह। मई माह से लेकर फल की तुडाई तक किये जाने वाले प्रमुख कृषि कार्य निम्नवत है। यदि आम के फलों पर कत्थई रंग के धसे हुए धब्बे दिखाई दे तो हेक्साकोनाजोल @ 1 मीली प्रति लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करें। तब इस रोग की उग्रता में भारी कमी आती है। पेड़ पर दिखाई दे रहे गुम्मा व्याधि से ग्रस्त बौर को काट कर हटा देना चाहिए। 
आम के फलों की अच्छी बढ़वार के लिए आवश्यक है की बाग की मिट्टी हमेशा नम बनी रहे, इसके लिए आवश्यक है की हल्की हल्की सिंचाई करते रहे अन्यथा फल के झड़ने की सम्भावना बनी रहती है। जहां पर फल मक्खी के समस्या गंभीर हो वहां इसके नियंत्रण के लिए मिथाइल यूजीनाल फेरोमन ट्रैप @ 15 से 20 ट्रैप प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए। आम के बाग के आस-पास यदि ईट के गढ्ढे / बाग की मिट्टी बलुई हो तो आम के फल का निचला हिस्सा काला पड जाता है या फल फटने की समस्या पाई जाती है इसके नियंत्रण के लिए आवश्यक है कि घुलनशील बोरेक्स @ 4 ग्राम प्रति लीटर का छिड़काव अप्रैल माह के अंत में या मई महीने के प्रथम सप्ताह में करना चाहिए।
बाग में यदि तना छेदक कीट या पत्ती काटने वाले धुन की समस्या हो तो क्विनालफोस 25 ई.सी. @ 2 मीली दवा प्रति लीटर पानी मे घोलकर छिड़काव करना चाहिए। फलों की तुड़ाई से तीन सप्ताह पूर्व थायोफेनेट मिथाइल 70 डब्ल्यू0 पी0 @ 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से फल की तुड़ाई के उपरान्त होने वाले नुकसान से बचा जा सकता है।
आम की तुड़ाई हमेशा सुबह या सायंकाल  8-10 सेमी लम्बे डंठल सहित तुड़ाई करना चाहिए। यदि सम्भव हो तो तुड़ाई सिकेटियर की सहायता से करें। तुड़ाई किये फलों को सीधे मिट्टी के सम्पर्क में नही आने देना चाहिए। फलों की तुड़ाई के बाद उसमें से रस का श्राव होता है। श्राव से फल खराब हो सकते है, अतः फलों को उल्टा रख कर स्राव से फलों को बचाना चाहिए। भण्डारण पूर्व फलों को धो लेना चाहिए। धोने के उपरान्त फलों को एक समान पकाने के लिए आवश्यक है कि इसे इथरेल नामक दवा @1.5 मीली दवा प्रति लीटर पानी में घोलकर 5-7 मिनट डुबाकर भण्डारण करना चाहिए। यदि इसी घोल में थायोफेनेट मिथाइल नामक फफुदनाशक @ 1 ग्राम प्रति 2 लीटर पानी की दर से मिला देने से इसे अधिक समय पर भण्डारित किया जा सकता है।
आम को कभी भी कार्बाइड से नही पकाना चाहिए क्योकि यह स्वास्थ के लिए बहुत ही खतरनाक है। सही परिपक्वता पर तोड़े गए फल स्वयं भी पक जाते है। फलों को खाने से पूर्व खूब अच्छी तरह से धो लेना चाहिए। उपरोक्त उपायो को अमल में लाकर आम में होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है एवं गुणवक्तयुक्त फल प्राप्त किया जा सकता है।