शाही प्रजाति के लीची के बागों की तैयारी को दे अंतिम रूप ,इसके बाद कीटनाशकों का प्रयोग ना करें
शाही प्रजाति के लीची के बागों की तैयारी को दे अंतिम रूप ,इसके बाद कीटनाशकों का प्रयोग ना करें

बिहार की मशहूर शाही लीची का बाजार में आने में 10 से 15 दिन का विलम्ब,तैयारी को दे अंतिम रूप....
एडवाइजरी
शाही प्रजाति के लीची के बागों की तैयारी को दे अंतिम रूप ,इसके बाद कीटनाशकों का प्रयोग ना करें


प्रोफेसर (डॉ) एसके सिंह 
प्रधान अन्वेषक, अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना एवं 
सह निदेशक अनुसन्धान 
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा , समस्तीपुर, बिहार 

दो दिन पहले बिहार के अधिकांश इलाके में बारिश होने की वजह से वातावरण में तापमान में भारी कमी आई है, वातावरण नम हो गया है, जिसकी वजह से बिहार में मशहूर शाही प्रजाति के  लीची के फल में लगभग सभी जगह लाल रंग विकसित हो गया है, इस समय फल छेदक कीट के आक्रमण की संभावना बढ़ जाती है यदि बाग का ठीक से नहीं प्रबंधन किया गया तो भारी नुकसान होने की संभावना बनी रहती है। लीची में फूल में फल के लौंग के बराबर होने से लेकर फल की तुड़ाई के मध्य मात्र 40 से 45 दिन का समय मिलता है। इसलिए लीची उत्पादक किसान को बहुत सोचने का समय नहीं मिलता है। तैयारी पहले से करके रखने की जरूरत है। लीची की सफल खेती के लिए आवश्यक है की लीची में लगने वाले फल छेदक कीट को कैसे प्रबंधित करते है? लीची की सफल खेती में इसकी दो अवस्थाएं अति महत्वपूर्ण होती है, पहली जब फल लौंग के बराबर के हो जाते है, जो की निकल चुकी है एवं दूसरी अवस्था जब लीची के फल लाल रंग के होने प्रारंभ होते है। इन दोनो अवस्थावो पर फल बेधक कीट के नियंत्रण हेतु उपरोक्त दवा का छिड़काव अनिवार्य है। लीची में फल छेदक कीट का प्रकोप कम हो इसके लिए आवश्यक है की साफ-सुथरी खेती को बढ़ावा दिया जाय। लीची में फल बेधक कीट से बचने के लिए थायोक्लोप्रीड (Thiacloprid) एवं लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन (Lamda cyhalothrin) की आधा मिलीलीटर दवा को प्रति  लीटर पानी या नोवल्युरान @ 1.5 मीली दवा/लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।यदि वारिश होने के ठीक पहले आपने छिड़काव किया था तो आपको सलाह दी जाती है की पुनः छिड़काव कर दे। इसके बाद किसी कीटनाशक का छिड़काव नही करना चाहिए। फल की तुड़ाई से 10 से 15 दिन पहले कीटनाशकों का छिड़काव नही करना चाहिए, अन्यथा फलों में कीटनाशकों के मौजूदगी की संभावना रहती है। अप्रैल के अंतिम सप्ताह में कही कही पर तापमान 40 डिग्री सेल्सियस के आस पास पहुंच गया था, जिसकी वजह से फल के छिलकों पर जलने जैसा लक्षण दिखाई देने लगा था, धूप से जले छिलकों की कोशिकाएं मर गई थी, अब जब की फल के गुद्दे का विकास अंदर से हो रहा है तो छिलके जले वाले हिस्से से फट जा रहे है। इस तरह से लीची के जो भी फल फट रहे है उसका समाधान ओवर हेड स्प्रिंकलर ही है। मैने अपने पहले के लेखों में बता चुका हूं की फल के फटने के बहुत से कारण है मशहूर शाही लीची के फलों की तुड़ाई 20-25 के आस पास करते है। फलों में गहरा लाल रंग विकसित हो जाने मात्र से यह नही समझना चाहिए की फल तुड़ाई योग्य हो गया है। फलों की तुड़ाई फलों में मिठास आने के बाद ही करनी चाहिए। फलों की तुड़ाई से 15 दिन पहले कीटनाशकों का प्रयोग अवश्य बंद कर देना चाहिए।अनावश्यक कृषि रसायनों का छिड़काव नहीं करना चाहिए अन्यथा फल की गुणवक्तता प्रक्रिया प्रभाववित होगी।