प्रोफेसर (डॉ) एसके सिंह
प्रधान अन्वेषक, अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना एवं
सह निदेशक अनुसन्धान
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा ,समस्तीपुर, बिहार
जो केला जून-जुलाई में उत्तक संबर्धन विधि से तैयार केला के पौधे से लगाये गए होंगे, इस समय उसमे फूल आ गया होगा या आने ही वाला होगा। अतः यह जानना आवश्यक है की इस समय क्या करे की हमारे घौद (बंच) का वजन अच्छा हो एवं उसमे लगे फल स्वस्थ एवं आकर्षक हो। निश्चित तौर पर 7वें महीने में केला के मुख्य पौधे से 75 सेंटीमीटर दूर रिंग बनाकर 150 से 200 ग्राम यूरिया एवं 200 से 250 ग्राम म्यूरेट आफ पोटाश का प्रयोग किया जा चूका होगा जिससे, अधिकतम वजन के घौद (बंच) प्राप्त करने में आसानी होती है। इस समय 3-4 दिन के अंतर पर सिचाई करते रहना चाहिए। हर समय कम से कम 13 से 14 स्वस्थ पत्तियों का होना आवश्यक है। सुखी एवं रोगग्रस्त पत्तियों को समय समय पर काटते रहना चाहिए। इस समय जब पौधे में फूल आ जाय, तब इसके बगल में दूसरा पौधा को उगने के लिए छोड़ना चाहिए। घौद (बंच) में अंतिम हथ्था के निकलने के लगभग एक हफ्ते बाद, नर फूल को 20-25 सेमी लंबी डंठल के साथ छोड़कर काट देना चाहिए। इसके बाद 2% पोटेशियम सल्फेट यानि 20 ग्राम पोटेशियम सल्फेट को प्रति लीटर पानी में घोलकर, इसमे स्टीकर मिलाकर गुच्छों पर छिडकाव करने से घौद के सभी फलों में अच्छा विकास होता है, 20-25 दिनों के बाद पुनः इसी घोल से (2% पोटेशियम सल्फेट) छिडकाव करना चाहिए। ऐसा करने से फलों के आकार, गुणवत्ता को बढ़ाने और घौद(बंच) के ग्रेड में सुधार होता है।
केला के घौद (बंच) को ढकने (कवर) से कीट खासकर स्कार्रिंग बीटल के हमले या फलों की सतह को किसी भी यांत्रिक चोट से बचाव होता है। इसके लिए 100 गेज मोटी सफेद या नीले पॉलिथीन के थैले जिसमे 6 प्रतिशत छेद हो का प्रयोग प्रभावी पाया गया है। केला के घौद (बंच) को आमतौर पर आखिरी हथ्था निकलने के और गुच्छा से नर फूल को हटाने के 5-7 दिन बाद 100 गेज मोटी सफेद या नीले पॉलिथीन से ढका जाता है, जिसमे लगभग 6% छिद्र होते है। बिहार की जलवायु में, पॉलीथीन कवर केला के घौद (बंच) के वजन बढ़ाता है और गुच्छा को आकर्षक बनाता है और साथ ही 7-8 दिन पहले केला के फल परिपक्वता हो जाते है ऐसा करने से केला के घौद का वजन भी बढ़ता है एवं घौद आकर्षक होते है।