आम में गुठली बनने के पूर्व से लेकर गुठली बनने तक की अवस्था में क्या करें?
आम में गुठली बनने के पूर्व से लेकर गुठली बनने तक की अवस्था में क्या करें?

प्रोफेसर (डॉ) एसके सिंह 
प्रधान अन्वेषक, अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना एवं
सह निदेशक अनुसन्धान 
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर, बिहार 

भारतवर्ष में आम उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, आन्ध्र प्रदेश एवं बिहार में प्रमुखता से इसकी खेती होती है। भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के वर्ष 2020-21 के संख्यिकी के अनुसार भारतवर्ष में 2316.81 हजार हेक्टेयर में आम की खेती होती है जिससे 20385.99 हजार टन उत्पादन प्राप्त होता है। आम की राष्ट्रीय उत्पादकता 8.80 टन प्रति हेक्टेयर है। बिहार में 160.24 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में इसकी खेती होती है जिससे 1549.97 हजार टन उत्पादन प्राप्त होता है। बिहार में आम की उत्पादकता 9.67 टन प्रति हे. है जो राष्ट्रीय उत्पादकता से थोड़ी ज्यादा है।
आम की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए आवश्यक है कि आम के बाग का वैज्ञानिक ढंग से प्रबंधन किया जाय।

इस समय आम के फल 50 ग्राम या इससे बड़े हो गए है ,अब फलों के झड़ने की प्रक्रिया में कमी आनी चाहिए। मैं पहले भी आप को बता चुका हूं की शुरू में जितने फल लगते है उसका मात्र 5 प्रतिशत या उससे भी कम फल पेड़ पर लगे रहते है और बाकी फल झड़ जाते है। पेड़ के ऊपर कितने फल लगे रहेंगे यह पेड़ की आंतरिक ताकत द्वारा निर्धारित होता है। पेड़ खुद निर्धारित करता है की वह कितने फलों का पोषण कर सकता है। जितने का पोषण करने की छमता उसमे रहतीं है उसको रखने के उपरांत बाकी फलों को पेड़ खुद झाड़ देता है। कभी कभी देखा जाता है की पेड़ बहुत पुराना हो गया है तथा उसमे बहुत ज्यादा फल लग गए है और उसके अंदर यह निर्धारित करने की छमता खत्म हो चुकी है की वह कितने का पोषण कर सकता है ,उस अवस्था में पेड़ मर जाता है। कहने का तात्पर्य यह है की पूरे साल भर का बाग का प्रबंधन ही निर्धारित करता है की पेड़ पर कितने फल टिकेंगे। फल झड़ने से बहुत घबराना नहीं चाहिए। इस मौसम में जब आंधी एवम वर्षा होती है उस दिन बागवान पेड़ के नीचे गिरे आम के फल को देख कर चिन्तित हो जाता है उस समय उसे नीचे गिरे आम देखने की बजाय पेड़ पर लगे फल को देखना चाहिए। आम के फल जब 50 ग्राम से बड़े हो जाते है तब फलों के झड़ने की प्रक्रिया में भारी कमी आनी चाहिए। इस समय भी फल झड़ रहे है तो कारण जानने का प्रयास करें। यदि इस अवस्था में भी बाग में नुकसानदायक कीट मौजूद है तो इमिडाक्लोरप्रीड (17.8 एस0एल0) @ 1मि0ली0 दवा प्रति दो लीटर पानी में और हैक्साकोनाजोल @ 1 मीली प्रति लीटर पानी या डाइनोकैप (46 ई0सी0) 1 मिली दवा प्रति 1 लीटर पानी में घोलकर छिड़कने से मधुवा, चूर्णिल आसिता एवं एंथरेक्नोज रोग की उग्रता में कमी आती है। यदि अधिकतम तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा हो गया है तो अब चूर्णिल आसिता रोग नही होगा। यदि 15 दिन पहले आपने प्लेनोफिक्स नामक दवा @ 1 मिली प्रति 3 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव किया है, इसके बावजूद फल झड़ रहे है तो एक बार पुनः छिड़काव करने से फल के गिरने में कमी आती है। इस अवस्था में हल्की सिंचाई शुरू कर देनी चाहिए जिससे बाग की मिट्टी में नमी बनी रहे लेकिन इस बात का ध्यान देना चाहिए कि पेड़ के आस पास जलजमाव न हो। यदि आप का पेड़ 10 वर्ष या 10 वर्ष से ज्यादा है तो उसमे 500-550 ग्राम डाइअमोनियम फॉस्फेट, 850 ग्राम यूरिया एवं 750 ग्राम म्यूरेट ऑफ़ पोटाश एवं 25 किग्रा खूब अच्छी तरह से सडी गोबर की खाद पौधे के चारों तरफ मुख्य तने से 2 मीटर दूर रिंग बना कर खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग अवश्य करना चाहिए।

आई0आई0एच0आर0, बैगलोर द्वारा विकसित मैंगों स्पेशल या सूक्ष्मपोषक तत्व जिसमें घुलनशील बोरान की मात्रा ज्यादा हो @ 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से फल के झड़ने में कमी आती है एवं फल गुणवत्ता युक्त होते है। यदि फल की तुड़ाई के उपरांत खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग करते समय 25 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से घुलनशील बोरान का प्रयोग कर चुके है तब अब छिड़काव करने की आवश्यकता नहीं है। यदि आपने प्रयोग नही किया है एवं पूर्व के वर्षो में आपके बाग के आम के फलों के फटने की समस्या रही हो तो तुरंत 4 ग्राम घुलनशील बोरोन को प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव अवश्य कर दे। बाग में हल्की-हल्की सिंचाई करके मिट्टी को हमेशा नम बनाये रखना चाहिए इससे फल की बढवार अच्छी होती है। बाग को साफ सुथरा रखना चाहिए। थियाक्लोप्रिड युक्त कीटनाशकों का स्प्रे करने से आम फलों के बोरर्स को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है। गुठली बनने की अवस्था में फलों पर छिड़काव किए गए कीटनाशकों से संतोषजनक परिणाम मिलते है। क्लोरिपायरीफॉस @ 2.5 मिली / लीटर पानी का स्प्रे करने से भी आम के फल छेदक कीट को प्रभावी ढंग से नष्ट किया जा सकता हैं। विगत वर्ष फल मक्खी की वजह से भारी नुकसान देखा गया ।बिहार में करोड़ों रुपए का आम का नुकसान देखा गया था। विगत दो तीन वर्षो से भारी वर्षा की वजह से वातावरण में भारी नमी होने की वजह से इस साल भी फल मक्खी से भारी नुकसान होने की संभावना है। फल मक्खी के प्रभावी नियंत्रण के लिए फल की तुड़ाई से कम से कम 2 महीने पूर्व बाग में फेरोमैन ट्रैप @15/हेक्टेयर की दर से अवश्य लगाए। कीटनाशकों द्वारा फल मक्खी का प्रभावी नियंत्रण नही होता है एवम करना भी नही चाहिए।