अप्रैल मई में आम एवं लीची के फलदार बाग में किए जाने वाले प्रमुख उपाय
अप्रैल मई में आम एवं लीची के फलदार बाग में किए जाने वाले प्रमुख उपाय

प्रोफेसर (डॉ) एसके सिंह
प्रधान अन्वेषक, अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना एवं
सह निदेशक अनुसन्धान
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा, समस्तीपुर, बिहार 

इस समय आम में फल मटर के बराबर या उससे कुछ बड़े एवम लीची में लौंग से बड़े हो गए है इस अवस्था में बागवान जानना चाह रहा है की क्या करें क्या न करें। इस समय बागवान को बाग में हल्की हल्की सिंचाई शुरू कर देनी चाहिए। इसके पहले सिंचाई करने से फल झड़ने की संभावना ज्यादा रहती हैं। यदि अभी तक प्लानोफिक्स @1मिली प्रति 3 लीटर पानी में घोल कर छिड़काव नही किए है तो तुरंत कर दे। इसी के साथ साथ लीची में प्रति पेड़ 300 ग्राम यूरिया 250 ग्राम पोटैसियम सल्फेट पेड़ के चारों तरफ रिंग बनाकर प्रयोग कर दे।

  • यदि आपका आम का पेड़ 10 वर्ष या 10 वर्ष से ज्यादा है तो उसमे 500-550 ग्राम डाइअमोनियम फॉस्फेट ,850 ग्राम यूरिया एवं 750 ग्राम म्यूरेट ऑफ़ पोटाश एवं 25 किग्रा खूब अच्छी तरह से सडी गोबर की खाद पौधे के चारों तरफ मुख्य तने से 2 मीटर दूर रिंग बना कर खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए। 
  • यदि आपका पेड़ 10 वर्ष से छोटा है तो उपरोक्त उर्वरकों की मात्रा में 10 से भाग दे दे एवम इसके बाद पेड़ की उम्र से गुणा कर दे वही उस पेड़ के लिए उपयुक्त डोज होगी। 
  • बाग को हमेशा साफ सुथरा रखना चाहिए। 
  • थियाक्लोप्रिड युक्त कीटनाशकों का छीड़काव करने से आम फलों के छेदक कीटो (बोरर्स) को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है।
  • गुठली बनने की अवस्था / मार्बल स्टेज में फलों पर छिड़काव किए गए कीटनाशकों से संतोषजनक परिणाम मिलते है। क्लोरिपायरीफॉस @ 2.5 मिली / लीटर पानी का स्प्रे करने से भी आम के फल छेदक कीट को प्रभावी ढंग से नष्ट किया जा सकता हैं। 
  • आम में फल मक्खी के प्रभावी नियंत्रण के लिए फेरोमैन ट्रैप @15/हेक्टेयर की दर से लगाए।
  • आम के बाग में इस समय मिली बग (दहिया कीट)कीट की समस्या ज्यादा विकट रूप से दिखाई दे रही है यदि आप ने पूर्व में इस कीट के प्रबंधन का उपाय नही किया है तो एवं दहिया कीट पेड पर चढ गया हो, तो ऐसी अवस्था में डाएमेथोएट 30 ई.सी. या क्विनाल्फोस 25 ई.सी.@ 2.0  मीली दवा / लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए। 
  • फल का झडना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। प्रारंभिक अवस्था में जितना फल पेड़ पर लगता है उसका मात्र 4-7% फल ही पेड़ पर टिकता है, बाकी फल झड़ जाता है। इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है।
  • अनावश्यक कृषि रसायनों का छिड़काव नहीं करना चाहिए अन्यथा फल लगने की प्रक्रिया प्रभावित होती है।