आम एवं लीची में फल झड़ने एवं फटने की समस्या को कम करने के लिए क्या करें?
आम एवं लीची में फल झड़ने एवं फटने की समस्या को कम करने के लिए क्या करें?

Professor (Dr) S.K. Singh 
प्रधान अन्वेषक, अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना
एवं सह निदेशक अनुसन्धान 
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय , पूसा , समस्तीपुर, बिहार 

आम को फलों का राजा एवं लीची को फलों की रानी कहते है। इनके फलों में फल के फटने की समस्या बहुतायत से देखी जाती है। आम एवं लीची में फल फटने के वैसे तो बहुत सारे कारण है यथा फल फटने की समस्या पानी की कमी या कैल्शियम या बोरॉन की कमी के कारण हो सकता है। तापमान, आर्द्रता और वर्षा में अत्यधिक कमी या अधिकता भी समस्या में योगदान कर सकते हैं। आम की कुछ किस्में जैसे "दशहरी",  में फल के फटने (दरारें) की समस्या ज्यादा देखने को मिलता हैं। मौसम में अचानक बदलाव उदाहरण के लिए तापमान या वर्षा में अचानक वृद्धि में भी फल के फटने की समस्या देखी जाती है। अत्यधिक नमी वाले  मौसम के बाद तेज धूप निकलने के बाद फल फटते हैं। मौसम में अचानक आए परिवर्तन की वजह से फल के छिलके एवं गुद्दे के मध्य उच्च आंतरिक दबाव के कारण होता है। सही समय पर फलों की तुड़ाई भी नही करने की वजह से भी फल के फटने की समस्या को देखा जा सकता है।

अभी तत्काल इस बात की आवश्यकता है की फल के फटने की समस्या को कैसे कम किया जाय। पूर्व वर्षों के अनुभव के अनुसार ,जहाँ पर आम एवं लीची के फटने की समस्या ज्यादा हो वहाँ के किसान हरहाल में 15 अप्रैल से पहले  या उसके आस पास 4 ग्राम घुलनशील बोरेक्स/लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें या सूक्ष्मपोषक तत्व जिसमें घुलनशील बोरान की मात्रा ज्यादा हो उसकी 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से फल के फटने की समस्या में भारी कमी आती है एवं फल गुणवत्ता युक्त होते है। बिहार जहा कुल लीची का लगभग 80 प्रतिशत खेती होती है विगत वर्षो में लीची के फटने की समस्या कुछ ज्यादा देखने को मिल रहा है, जिसका मुख्य कारण वातावरण में भारी परिवर्तन है। लीची के पकने के समय तापमान लगभग 40 डिग्री या उससे भी ऊपर पहुंच जा रहा है, जिसकी वजह से फल में गुद्दे कम बन रहे है एवं गुठली बड़ी हो जाती है। इसे कम करने का एकमात्र उपाय है की किसान लीची के दो लाइनो के बीच में ओवर हेड स्प्रिंकर लगाए। इसे लगाने से लीची की ऊंचाई तक लगातार दिन में पानी की बूंदों का छिड़काव करने से गुणवक्तयुक्त लीची के फल प्राप्त होते है तथा उसमे फल के फटने की बहुत ही कम संभावना होती है। इस प्रकार से बाग में तापमान बाहर की तुलना में लगभग 5 डिग्री सेल्सियस कम रक्खा जा सकता है।

जिन किसानों ने पिछले साल फल की तुड़ाई के उपरांत बाग का प्रबंधन करते समय बाग में पेड़ की उम्र के अनुसार खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग करते समय यदि 5 किग्रा बोरोन प्रति हेक्टेयर की दर से किया है तो उन्हें अब बोरोन का छिड़काव करने की आवश्यकता नही है।

फल को झड़ने से रोकने के लिए प्लेनोफिक्स नामक दवा @ 1 मिली प्रति 3 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करने से फल के गिरने में कमी आती है। लेकिन यहां यह बताना आवश्यक है की फल का झड़ना एक स्वाभाविक प्रक्रिया है।पेड़ की आंतरिक ताकत यह निर्धारित करता है की पेड़ के ऊपर कितने फल लगे रहेंगे। शुरू में जितने फल लगते है उसका मात्रा 3 से 5 प्रतिशत फल ही पेड़ पर लगा रहता है।

फल का विकास ठीक से होता रहे एवं फल कम झड़े एवं फटे इसके लिए आवश्यक है की इस अवस्था में हल्की सिंचाई करते रहे  जिससे बाग की मिट्टी में नमी बनी रहे लेकिन इस बात का ध्यान देना चाहिए कि पेड़ के आस पास जलजमाव न हो।