आइए जानते है की आम एवं लीची में फूल खिल जाने के बाद क्या क्या नही करना चाहिए, अन्यथा होगा भारी नुकसान
आइए जानते है की आम एवं लीची में फूल खिल जाने के बाद क्या क्या नही करना चाहिए, अन्यथा होगा भारी नुकसान

प्रोफेसर (डॉ) एस.के.सिंह 
सह मुख्य वैज्ञानिक (पौधा रोग)
प्रधान अन्वेषक, अखिल भारतीय फल अनुसंधान परियोजना एवम्
सह निदेशक अनुसंधान
डा. राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय
पूसा, समस्तीपुर - 848 125

बिहार एवम् उत्तर प्रदेश में आम में मंजर, फरवरी के द्वितीय सप्ताह में आना प्रारम्भ कर देता है यह आम की विभिन्न प्रजातियों तथा उस समय के तापक्रम द्वारा निर्धारित होता है। लेकिन इस साल बिहार में फरवरी के अंत तक तापक्रम 10 डिग्री सेंटीग्रेट के आस पास होने की वजह से आम एवं लीची में मंजर कुछ देर से आए है। इस वर्ष बिहार में आम के लिए ऑन ईयर है, इसका तात्पर्य है इस वर्ष आम में अच्छी फलन का वर्ष है। जैसा हम सब जानते है की आम में एक वर्ष अच्छी फलन होती जबकि दूसरे वर्ष कम फलन होती है जिसे ऑफ ईयर कहते है। यह एडवाइजरी आम एवं लीची दोनों के लिए है। विगत कई वर्ष के अनुभव के आधार पर मैं आम उत्पादक किसानों को लगातार मिली बग कीट के बारे में आजकल चेताते आ रहा हू की यदि आप ने इसके प्रबंधन के उपाय समय से नही किए होंगे तो नुकसान हो सकता है। बिहार में मीली बग (गुजिया) की समस्या साल दर साल बढ़ते जा रही है। इस कीट के प्रबंधन के लिए आवश्यक था कि दिसम्बर-जनवरी में बाग के आस पास सफाई करके मिट्टी में क्लोरपायरीफास 1.5 डी. धूल @ 250 ग्राम /पेड का बुरकाव कर देना चाहिए तथा गुजिया कीट पेड़ पर न चढ सकें इसके लिए एल्काथीन की 45 सेमी की पट्टी आम के मुख्य तने के चारों तरफ सुतली से बांध  देना चाहिए था। ऐसा करने से यह कीट पेड़ पर नही चढ़ सकेगा। यदि आप ने पूर्व में ऐसा नही किया है एवं गुजिया कीट पेड पर चढ गया हो तो ऐसी अवस्था में डाएमेथोएट 30 ई.सी. या क्विनाल्फोस 25 ई.सी.@ 1.5 मीली दवा / लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए, लेकिन इस समय अधिकांश बागों में मंजर आ गए है ,कही कही पर लेट प्रजाति में अभी मंजर नही आए है। जहा कही भी मंजर आ गए है एवं फूल खिल गए है तब आपको सलाह दी जाती है की आप किसी भी प्रकार की कोई भी रसायनिक दवा खासकर कीटनाशक का छिड़काव नही करें,क्यों की आपके बाग में इस समय भारी संख्या में मधु मक्खी एवं सिरफिड मक्खी आई हुई है, जब आप बाग के पास से गुजरेंगे तो मधुमक्खियों द्वारा उत्पन्न मधुर संगीत सुनने को मिलेगा जो बहुत ही अच्छा लगता है। जब तक यह संगीत आपको सुनाई दे तब तक उन मधु मक्खियों को हमे डिस्टर्ब नहीं करना चाहिए क्योंकि वे बाग में परागण का कार्य कर रही है। यदि संभव हो तो 20 से 25 मधुमक्खी के बॉक्स /हेक्टेयर की दर से रखने से भारी लाभ मिलता है। लेकिन यहाँ पर यह बता देना आवश्यक है की आम के बाग में मधु मक्खी के बॉक्स शहद हेतु नही रखते है, इससे परागण अच्छा होता है, जबकि लीची के बाग में बॉक्स रखने से लीची के बाग में बहुच अच्छा परागण होने के साथ साथ बहुत ही उच्च कोटि की शहद भी प्राप्त होती है, जिससे किसान को अतरिक्त आमदनी प्राप्त होती है। बॉक्स रखने से आम एवं लीची दोनों में पेड़ पर अधिक फल लगते है तथा झड़ते कम है जिससे उपज में भारी वृद्धि होती है। यदि आप किसी भी प्रकार की कोई भी दवा छिड़कते है तो इससे मधुमक्खियों को नुकसान पहुंचेगा और वे आपके बाग से बाहर चली जायेगी तथा फूल के कोमल हिस्सों को भी नुकसान पहुंचने की संभावना रहती है। यदि किसी वजह से फूल काले पड़ रहे हो तो हेक्साकोनाजोल नामक फफुंदनाशक @1 ग्राम मात्रा को प्रति लीटर पानी की दर से घोलकर छिड़काव कर सकते है इससे ब्लॉसम ब्लाइट नामक बीमारी छुटकारा मिलता है। जिन आम के बागों का प्रबंधन ठीक से नही होता है वहां पर हापर या भुनगा कीट बहुत सख्या में हो जाते है अतः आवश्यक है कि सूर्य का प्रकाश बाग में जमीन तक पहुचे जहां पर बाग घना होता है वहां भी इन कीटों की सख्या ज्यादा होती है।


पेड़ पर जब मंजर आते है तो ये मंजर इन कीटों के लिए बहुत ही अच्छे खाद्य पदार्थ होते है जिनकी वजह से इन कीटों की संख्या में भारी वृद्धि हो जाती है। इन कीटों की उपस्थिति का दूसरी पहचान यह है कि जब हम बाग के पास जाते है तो झुंड के झुंड कीड़े पास आते है। यदि इन कीटों को प्रबंन्धित न किया जाय तो ये मंजर से रस चूस लेते है तथा मंजर झड़ जाता है। जब प्रति बौर 10-12 भुनगा दिखाई दे तब हमें इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एस.एल. @1 मीली दवा / 2 लीटर पानी में घोल कर छिडकाव करना चाहिए। यह छिड़काव फूल खिलने से पूर्व करना चाहिए या फल लगने की प्रक्रिया ( फ्रूट सेटिंग) समाप्त होने के बाद करनी चाहिए अन्यथा बाग में आने वाले मधुमक्खी प्रभावित होते है जिससे परागण कम होता है तथा उपज प्रभावित होती है। पाउडरी मिल्डयू/ खर्रा रोग के प्रबंधन के लिए आवश्यक है कि मंजर आने के पूर्व घुलनशील गंधक @2 ग्राम / लीटर पानी मे घोलकर छिड़काव करना चाहिए यदि आपने अब तक छिड़काव नही किया है तो बेहतर होगा की फ्रूट सेटिंग (फल लगने की प्रक्रिया) पूरी होने तक रुक जाय, जब पूरी तरह से फल लग जाय तब इस रोग के प्रबंधन के लिए हेक्साकोनाजोल @1 मीली0/लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करना  चाहिए। जब तापक्रम 35०C से ज्यादा हो जाता है तब इस रोग की उग्रता में अपने आप भारी कमी आने लगती है। इस समय सिंचाई कत्तई नही करना चाहिए अन्यथा भारी नुकसान होगा।टिकोलो (आम के छोटे फल) को गिरने से रोकने के लिए आवश्यक है कि प्लेनोफिक्स @ 1 मी.ली. दवा/ 3  लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए। फल लगने की प्रक्रिया के समाप्त होने के बाद जब टिकोले लग जाय तब सिंचाई प्रारंभ करना चाहिए एवं इसके बाद बाग की मिट्टी को भाभी भी सूखने नही देना चाहिए अन्यथा टिकोलो के झड़ने की संभावना बढ़ जाती है।


गुम्मा व्याधि से ग्रस्त  बौर को काट कर हटा देना चाहिए। आम के फल जब मटर के दाने के बराबर हो जाये तो सिंचाई प्रारम्भ कर देना चाहिए,उसके पहले बग मै सिंचाई नहीं करना चाहिए अन्यथा फूल झड़ सकते है। फल के मटर के दाने  के बराबर है जाने के बाद बाग की  मिट्टी को हमेशा नम रहना आवश्यक है अन्यथा फल के झड़ने की सम्भावना बनी रहती है।

शेष अगले अंक में......