फसलों में लगने वाले हानिकारक किट और रोगों की रोकथाम के लिए आवश्यक सुझाव
फसलों में लगने वाले हानिकारक किट और रोगों की रोकथाम के लिए आवश्यक सुझाव

प्याज - पीलापन व सूखने की समस्या दिखने पर 18 ग्राम मैन्कोजेब 63 फीदी + कार्बेंडाजिम 12 फीसदी (साफ, सिक्सर) एकड़ प्रति 10 लीटर पानी में छिड़के।

टमाटर - माहू या चेंपा की रोकथाम के लिए 8 ग्राम थाओमेथाक्जम 25 डब्ल्यूजी (अरेवा, मेक्सिमा) प्रति 15 लीटर पानी में छिड़के।

भिंडी - चूर्णिल आसिता रोग के प्रकोप से बचाव के लिए इंसफ/सल्फेट (सल्फर 80 फीसदी डब्ल्यूपी) 20 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी में घोल बनाकर स्प्रे करें।

मक्का- मक्का में पोध बढ़वार के लिए यूरिया खाद 4ग्राम पर पोधा दिया जाए,ओर इल्ली नियंत्रण के लिए इमामैक्टिन बेंजोएट का स्प्रे करें,

मिर्च - थ्रिप्स के नियंत्रण के लिए फिफरोनिल 2 मिली प्रति लीटर का छिड़काव करें। नीम का तेल (10 हजार पीपीएम) एक मिली प्रति लीटर घुलनशील गंधक 2.50 ग्राम प्रति लीटर का छिड़काव करें।

सोयाबीन - गर्डलबीटल (तना छेदक) एवं पत्ती खाने वाली इल्लियों का प्रकोप रहता है। इसके नियंत्रण के लिए  लेंबडा 4.9% और क्विनल्फोस  या  थैमेथॉक्सोम ओर लेंबड़ा की 30-40 मिली मात्रा प्रति पंप के हिसाब से छिड़काव करें।

मूंग-उड़द - पत्ती धब्बा रोग तथा भभूतिया रोग देखने को मिल रहा है। इसके नियंत्रण के लिए 200 ग्राम कार्बेंडाजिम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।

पशु - गलघोंटू व एकटंगिया रोग से बचाव के लिए टीकाकरण कराएं। बकरियों में पीपीआर का टीक लगाएं। यह टीका निकटतम पशु चिकित्सालय में लगाए जा रहे है। इसका शुल्क रोगी कल्याण समिति द्वारा निर्धारित है।