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लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल — किसानों के सच्चे नेता, एकता और श्रम के प्रतीक
भारत के इतिहास में सरदार वल्लभभाई पटेल का नाम एकता, दृढ़ता और जनसेवा के प्रतीक के रूप में लिया जाता है। उन्हें हम “भारत के लौह पुरुष” के नाम से जानते हैं। लेकिन वे केवल एक महान राजनेता या स्वतंत्रता सेनानी नहीं थे — वे किसानों के सच्चे नेता और देश की मिट्टी से जुड़े हुए इंसान थे। उनका पूरा जीवन इस बात का उदाहरण था कि भारत की असली ताकत खेतों में काम करने वाले किसान और मजदूर हैं।
कृषि और किसान पर सरदार पटेल के विचार
सरदार पटेल का मानना था कि भारत तभी सशक्त हो सकता है जब उसका किसान खुशहाल हो।
वे हमेशा कहते थे —
“मेरा एक ही सपना है — भारत एक अच्छा उत्पादक देश बने, और कोई भी व्यक्ति भूखा न रहे।”
उनके विचारों में कृषि केवल पेशा नहीं, बल्कि एक संस्कृति थी।
उन्होंने कहा था —
“मैं केवल एक संस्कृति को जानता हूँ — और वह है कृषि।”
यह वाक्य उनके कृषि प्रेम और किसान समाज के प्रति गहरे सम्मान को दर्शाता है।
उनका कहना था कि —
“पूरी दुनिया किसानों पर निर्भर है। विश्व का पोषण किसान और मजदूरों के श्रम पर ही टिका है।”
सरदार पटेल के लिए किसान केवल अन्नदाता नहीं, बल्कि राष्ट्र की आत्मा थे।
वे हमेशा कहते थे —
“किसान देश की रीढ़ हैं। जब तक किसान मजबूत रहेगा, भारत मजबूत रहेगा।”
सरदार पटेल जयंती — एकता और श्रम का उत्सव
प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने सरदार पटेल की जयंती, 31 अक्टूबर, को “राष्ट्रीय एकता दिवस (National Unity Day)” के रूप में मनाने की शुरुआत की।
यह दिन हमें याद दिलाता है कि सरदार पटेल ने किस तरह देश के 562 रियासतों को एक सूत्र में बांधकर अखंड भारत का निर्माण किया।
मोदी जी ने कहा था —
“सरदार पटेल ने जिस भारत को एक सूत्र में पिरोया, हमें उसी भावना से खेत से खलिहान तक, गांव से शहर तक, सबको जोड़ना है।”
आज जब भारत आत्मनिर्भर भारत के मार्ग पर आगे बढ़ रहा है, तो सरदार पटेल की कृषि दर्शन और किसान नीति पहले से भी अधिक प्रासंगिक हो गई है।
उनका संदेश स्पष्ट था —
“जब तक किसान समृद्ध नहीं होगा, तब तक भारत सशक्त नहीं बन सकता।”
सरदार वल्लभभाई पटेल जी के विचार आज भी हर भारतीय किसान के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।
वे हमें यह सिखाते हैं कि —
इसलिए आज, जब हम सरदार पटेल जयंती मना रहे हैं, तो यह केवल एक श्रद्धांजलि नहीं —
बल्कि उनके “किसान-केंद्रित भारत” के सपने को साकार करने का संकल्प भी है। सरदार वल्लभभाई पटेल जी को शत-शत नमन
“एकता, श्रम और कृषि — यही है भारत की सच्ची पहचान।”
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