ऊटी लहसुन बीज की कीमत आसमान पर, मंडी में लहसुन के दाम ज़मीन पर – ऊटी लहसुन ने बिगाड़ा गणित

ऊटी लहसुन बीज की कीमत आसमान पर, मंडी में लहसुन के दाम ज़मीन पर – ऊटी लहसुन ने बिगाड़ा गणित
News Banner Image

Kisaan Helpline

Crops Jul 29, 2025

ऊटी लहसुन (Ooty Garlic) को 1991 में तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय (TNAU) ने विकसित किया था। यह लहसुन उच्च उत्पादन और आकर्षक रूप से सफेद, बड़े कंदों के कारण किसानों में लोकप्रिय हो रहा है। मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात समेत कई राज्यों में इसकी खेती तेजी से हो रही है।

 

उच्च उत्पादन और गुणवत्ता

 

उत्पादन क्षमता:

पारंपरिक देसी लहसुन की तुलना में ऊटी लहसुन की पैदावार लगभग दोगुनी होती है – 4060 क्विंटल प्रति एकड़, जबकि देसी लहसुन में यह 2025 क्विंटल प्रति एकड़ होती है .

 

कंद आकार और रंग:

ऊटी लहसुन के कंदों का वजन 3050 ग्राम तक होता है, रंग सफेद और चमकीला होता है, जो बाजार में अधिक बिकता है।

 

जलवायु और फ़सल अवधि:

यह लगभग 120130 दिनों में तैयार हो जाती है, मार्च–अप्रैल में कटाई होती है जो बेहतर बाजार भाव लाती है।

 

मध्य प्रदेश में गिरती कीमतें

नीमच मंडी और मंदसौर-रतलाम क्षेत्रों में पिछले साल के मुकाबले लगभग 10 गुना गिरावट देखि गई है: जहाँ पहले ₹20,000 - ₹50,000 प्रति क्विंटल तक भाव था, अब केवल ₹5,0007,000 प्रति क्विंटल मिल रहा है।

 

कुछ मंडियों में न्यूनतम दर ₹3,000–₹4,000 और सर्वोच्च ₹9,000 तक रही, लेकिन औसत अभी ₹6,000–₹7,000/क्विंटल है।

 

किसानों की लागत और मुनाफा का संतुलन बिगड़ा

 

किसानों ने बड़े ढ़ंग से महंगा बीज खरीदा — ₹45,000₹50,000 प्रति क्विंटल तक — और प्रति बीघा ₹80,000₹1,00,000 तक खर्चा आए। लेकिन अब उन्हें केवल ₹10,000 प्रति क्विंटल से भी कम दर मिल रही है, जिससे लागत निकालना मुश्किल हो रहा है।

 

ऊपर से चीन से आयातित लहसुन भी बाजार में आ गया है, जिससे घरेलू उत्पादन के भाव और गिर गए हैं।

 

बिचौलियों और सरकारी नीतियाँ

किसानों का आरोप है कि बिचौलिया मंडियों में आवक बढ़ने पर खेतों से न्यूनतम मूल्य पर खरीद करते हैं और भाव बढ़ने पर मुनाफा खुद पाते हैं – किसानों को लाभ नहीं मिलता।

 

किसानों की मांग है कि सरकार चीनी लहसुन पर आयात नियंत्रण लगाए और MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) तय करे।

 

शुरुआत में लाभ, अब संकट

·         गत वर्ष (2023) लहसुन किसानों को 126% अधिक लाभ हुआ था, क्योंकि दिसंबर 2023 में दाम ₹18,800/क्विंटल तक पहुंचे थे, जो 2022 की तुलना में काफी बढ़ोतरी थी ।

·         उस समय उन्नत किस्मों और निर्यात मांग के चलते भाव ऊँचे गए थे। लेकिन अब 2025 में उस स्थिति से बिल्कुल विपरीत परिदृश्य है।

 

इसके पीछे मुख्य कारक हैं:

·         अति उत्पादन: पिछले वर्ष की अच्छे भाव से प्रभावित होकर कई किसानों ने ऊटी और आसपास क्षेत्रों में फ़सल बढ़ा ली, जिससे बाजार में अधिक आवक हुई और कीमतें गिर गईं।

·         दूसरे प्रदेशों से आपूर्ति: हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात से भी ऊटी जैसी लहसुन की आपूर्ति बढ़ी, जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ी और स्थानीय ऊटी लहसुन का भाव गिरा।

·         चीन से आयात: कुछ किसानों का कहना है कि चीन से आयातित लहसुन बाजार में आ गया जिससे स्थानीय व्यापारियों और किसानों को भरोसा नहीं रहा।

·         किसानों ने बताया कि कुछ जगहों पर ₹22.5 लाख प्रति एकड़ तक नुकसान हो गया।

 

खेती और उत्पादन संबंधी विस्तृत जानकारी

ऊटी लहसुन की विशेषताएँ

 

·         ऊटी 1 विभिन्ता (released 1991): उत्पादन ~10-17ton/ha (लगभग 4060 क्विंटल/एकड़), फसल अवधि 120130 दिन, औसत कंद वजन 3040ग्राम, थ्रिप्स और टिप ड्राइंग रोगों से प्रतिरोधी।

·         ऊटी 2 विभिन्ता (2019): 115125 दिन अवधि, हल्के गुलाबी रंग का कंद, 1518 मोटे कलियाँ, उच्च एलिसिन सामग्री, मूल्य के लिहाज से आकर्षक।

 

जो किसान उम्मीद से अधिक उत्पादन कर रहे थे

मध्य प्रदेश और राजस्थान में अधिक किसानों ने ऊटी लहसुन की खेती अपनाई, जो पहले देसी लहसुन से लगभग दोगुना उपज देती है। परन्तु इस साल बेमौसम उत्पादन से आवक इतनी तेज हुई कि भाव तेज़ी से गिर गए।

 

किस तरह खेती करें:

·         मृदा और जलवायु: 1525°C ठंडा मौसम उपयुक्त है, मिट्टी का pH6.57.5 और अच्छी नमी-संचरण वाली होनी चाहिए।

·         बुवाई समय: अक्टूबर–नवंबर में रोपाई करें, कटाई मार्च–अप्रैल में दें ताकि उच्च भाव मिल सके।

 

उर्वरक व्यवस्था:

·         FYM – 50टन/हेक्टेयर,

·         N5060, P3040, K3040kg/acre, साथ में नीमकेक और टाटा स्टील का धुर्वी गोल्ड का प्रयोग करें।

 

कीट एवं रोग नियंत्रण:

प्रमुख रोग हैं – पर्पल ब्लॉट, व्हाइट रॉट, डाउनमी मिल्ड्यू; कीट – thrips, whitefly आदि। उचित रोगनाशक और जैविक नियंत्रण अपनाएं।

 

खेती की विधि और सुझाव

·         बीज चयन: विश्वसनीय स्रोत से ऊटी1 या ऊटी2 बीज लें, ताकि अच्छी उपज और गुणवत्ता मिले।

·         खाद और पोषक तत्व: पोटाश (K), फॉस्फोरस (P), कैल्शियम जैसे संतुलित पोषक तत्व दें, जिससे मोटे कलियों वाले लहसुन उगें।

·         सिचाई और निंदाई: नियमित सिंचाई (1012 बार), निंदाई और कीटरोग नियंत्रण से बेहतर उत्पादन मिलता है।

·         सफाई और सुखाना: जड़मिट्टी हटाकर, अच्छी तरह से 23 दिन धूप में सुखाएं। इससे मंडी में उच्च दाम मिलते हैं।

·         ग्रेडिंग: सफेद चमकदार रंग, 23 परत छिलके और मोटी कलियों वाला लहसुन अधिक मूल्यवान माना जाता है।

 

ऊटी लहसुन किसानों के लिए एक आकर्षक विकल्प है—इसकी उच्च पैदावार, अच्छी गुणवत्ता और तेज़ कटाई समय इसे लाभदायक बनाते हैं। हालाँकि, यदि उत्पादन अधिक हो जाए या अन्य स्रोतों से प्रतिस्पर्धा बढ़े, तो कीमतों में गिरावट का जोखिम रहता है।

 

किसान भाइयों को सलाह है कि:

·         फ़सल नियोजन करें, एक ही साल बहुत ज़्यादा प्रति क्षेत्र न लगाएं,

·         शुष्क समय में सही ग्रेडिंग और पैकिंग करें,

·         स्थानीय मंडियों के साथ सीधे संपर्क करके बेहतर मूल्य सुनिश्चित करें।

 

इस तरह खेती की रणनीति और विपणन में सावधानी पूर्वक कार्य करने से किसान ऊटी लहसुन से अधिक लाभ और सतत आय प्राप्त कर सकते हैं।

Smart farming and agriculture app for farmers is an innovative platform that connects farmers and rural communities across the country.

© All Copyright 2024 by Kisaan Helpline