White Musli (सफेद मूसली)
Basic Info
सफेद मूसली एक बहुत ही उपयोगी पौधा है, जो कुदरती तौर पर बरसात के मौसम में जंगल में उगता है। सफेद मूसली की जड़ों का इस्तेमाल आयुर्वेदिक और यूनानी दवाएं बनाने में किया जाता है। खासतौर पर इस का इस्तेमाल सेक्स कूवत बढ़ाने वाली दवा के तौर पर किया जाता है। सफेद मूसली की सूखी जड़ों का इस्तेमाल यौवनवर्धक, शक्तिवर्धक और वीर्यवर्धक दवाएं बनाने में करते हैं। इस की इसी खासीयत के चलते इस की मांग पूरे साल खूब बनी रहती है, जिस का अच्छा दाम भी मिलता है।
इस की उपयोगिता को देखते हुए इस की कारोबारी खेती भी की जाती है। सफेद मूसली की कारोबारी खेती करने वाले राज्य हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु, केरल व वेस्ट बंगाल (ज्यादा ठंडे क्षेत्रों को छोडकर) में सफलता पूर्वक की जा सकती है। सफेद मूसली को सफेदी या धोली मूसली के नाम से जाना जाता है जो लिलिएसी कुल का पौधा है। यह एक ऐसी “दिव्य औषधि“ है, जिसमें किसी भी कारण से मानव मात्र में आई कमजोरी को दूर करने की क्षमता होती है। सफेद मूसली फसल लाभदायक खेती है।
रासायनिक संगठन
सूखी जड़ों में पानी की मात्रा 5 % से कम होती है, इसमें कार्बोहइड्रेट 42 % प्रोटीन 8 - 9 %, रुट फाइबर 3 %, ग्लोकोसाइडल सेपोनिन 2 - 17 % के साथ साथ सोडियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, जिंक एवं कॉपर जैसे खनिज लवण भी पाए जाते है।
भारत में सफ़ेद मुसली के स्थानीय नाम
सफ़ेद मुसली (हिंदी), मुसली (संस्कृत) तिरवइतनम, तन्निर विट्टंग (तमिल), द्रवंती (कन्नड़), सफ़ेद मुसली (मराठी), ढोली मुसली (गुजराती), साललगड्डा (तेलुगु), शिदेवेल्ली (मलयालम), द्रवंती (कन्नड़)।