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Akarkara (अकरकरा)

Basic Info

अकरकरा की खेती मुख्य रूप से औषधीय पौधे के रूप में की जाती है। इसके पौधे की जड़ों का इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाइयों को बनाने में किये जाता है। अकरकरा के इस्तेमाल से कई तरह की बिमारियों से छुटकारा मिलता है। आयुर्वेद में अकरकरा का प्रयोग लगभग 400 वर्षों से किया जा रहा है। अकरकरा की खेती 6 से 8 महीने की होती है। इसके पौधों को बढ़ने के लिए समशीतोष्ण जलवायु की आवश्यकता होती है। भारत में इसकी खेती मुख्य रूप से मध्य भारत के राज्यों में की जाती है। जिसमें उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे राज्य शामिल हैं। इसके पौधे अत्यधिक गर्मी या अत्यधिक ठंड से प्रभावित नहीं होते हैं। इसका पौधा जमीन की सतह पर ही गोलाकार रूप में फैल जाता है। जिस पर पत्तियाँ छोटी-छोटी आती हैं। इसकी खेती के लिए मिट्टी का पीएच. मान सामान्य होना चाहिए।

अकरकरा का वानास्पतिक नाम Anacyclus pyrethrum (L.) Lag. (ऐनासाइक्लस पाइरेथम) Syn-Anacyclus officinarum Hayne होता है। अकरकरा Asteraceae (ऐस्टरेसी) कुल का होता है। अकरकरा को अंग्रेजी में Pellitory Root (पेल्लीटोरी रूट) कहते हैं।

अकरकरा को भारत के भिन्न भिन्न प्रांतों में अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है, जैसे- संस्कृत - (आकारकरभ, आकल्लक), हिंदी - (अकरकरा), गुजराती - अकोरकरो (Akorkaro), तेलगु - अकरकरमु (Akarakaramu), अंग्रेजी - स्पैनिश पेल्लीटोरी (Spanish pellitory) आदि।

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