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Geranium (जिरेनियम)

Basic Info

सुगंधित पौधों की खेती किसानों के लिए अतिरिक्त आय का एक प्रमुख स्रोत बन सकती है। जेरेनियम भी एक ऐसा सुगंधित पौधा है जिसका तेल बहुत कीमती होता है। जेरेनियम पौधे की पत्तियों और तने से एक सुगंधित तेल निकाला जाता है। लखनऊ स्थित सीएसआईआर-सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिसिनल एंड एरोमैटिक प्लांट्स (CIMAP) के वैज्ञानिकों ने पॉलीहाउस की सुरक्षात्मक शेड तकनीक विकसित की है, जिससे जेरेनियम उगाने की लागत कम हो गई है।
पौधे आमतौर पर जेरेनियम के पौधों से तैयार किए जाते हैं। लेकिन, बारिश के दौरान पौध खराब हो जाती थी, जिसके कारण किसानों को पौध सामग्री काफी महंगी पड़ती थी। सीमैप के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित जेरेनियम की खेती की इस नई तकनीक से जिस पौधे की कीमत करीब 35 रुपये होती थी, उसे अब महज 2 रुपये में तैयार किया जा सकता है। जेरेनियम मूल रूप से दक्षिण अफ्रीका का पौधा है। इसकी खेती मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, बिहार, हिमाचल प्रदेश और उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों में की जाती है।
जेरेनियम के पौधे से प्राप्त होने वाला तेल बहुत कीमती होता है। भारत में इसकी औसत कीमत करीब 12 से 18 हजार रुपए प्रति लीटर है। महज चार महीने की फसल की लागत करीब 80 हजार रुपये है और इससे करीब 1.50 लाख रुपये का मुनाफा होता है।
कम पानी और जंगली जानवरों से परेशान पारंपरिक खेती करने वाले किसानों के लिए जेरेनियम की खेती राहत साबित हो सकती है। जेरेनियम कम पानी में आसानी से उग जाता है और जंगली जानवरों से नुकसान नहीं होता है। इसके साथ ही 'जेरेनियम' की खेती की नई विधि उन्हें पारंपरिक फसलों की तुलना में अधिक लाभ दे सकती है। खासतौर पर पहाड़ की जलवायु इसकी खेती के लिए काफी अनुकूल होती है। छोटी जोतों में भी ऐसा होता है।

साधारण नामः जिरेनियम, रोज जिरेनियम, 
वानस्पतिक नाम: पेलार्गोनियम ग्रेवियोलेंस
प्रमुख रासायनिक घटक: जिरेनियाल व एल-सिट्रोनेलाले।

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