Gudmar (गुड़मार/मधुनाशिनी)
Basic Info
आप जानते है विश्व में पाये जाने वाले अनेकों बहुमूल्य औषधीय पौधों में गुड़मार एक बहुउपयोगी औषधीय पौधा है। गुड़मार के पत्ते तथा जड़ औषधीय रूप में उपयोग किये जाते हैं। गुड़मार बहुवर्षीय लता है। गुड़मार की शाखाओं पर सूक्ष्म रोयें पाये जाते हैं। पत्ते अभिमुखी मृदुरोमेश अग्रभाग की तरफ नोकदार होते हैं। इस पर पीले रंग के गुच्छेनुमा फूल अगस्त-सितम्बर माह में खिलते हैं। गुड़मार के फल लगभग 2 इंच लम्बे कठोर होते हैं। इसके अंदर बीजों के साथ रूई लगी होती है तथा बीज छोटे एवं काले-भूरे रंग के होते हैं।इसके पौधे की पत्तियों के खाने के बाद कोई भी मीठी चीज खाने पर फीकी लगती है, उसमें मिठास की मात्रा का अनुभव नही होता है, इस कारण इसके पौधे को मधुनाशिनी और शुगर डिस्ट्रॉयर के नाम से जाना जाता है। यह भारतवर्ष के विभिन्न भागों जैसे- मध्यभारत, पश्चिमी घाट, कोकण, त्रवणकोर क्षेत्र के वनों में पाये जाते हैं। गुड़मार म.प्र. के विभिन्न वनों में प्राकृतिक रूप से काष्ठयुक्त रोयेंदार लता के रूप में पाये जाने वाली वनस्पति है।
औषधीय उपयोग
गुड़मार की पत्तियों का उपयोग मुख्यत: मधुमेह-नियंत्रण औषधियों के निर्माण में किया जाता है। इसके सेवन से रक्तगत शर्करा की मात्रा कम हो जाती है। साथ ही पेशाब में शर्करा का आना स्वत: बन्द हो जाता है। सर्पविष में गुड़मार की जड़ को पीसकर या काढ़ा पिलाने से लाभ होता है। पत्ती या छाल का रस पेट के कीड़े मारने में उपयोग करते हैं। गुड़मार यकृत को उत्तेजित करता है और अप्रत्यक्ष रूप से अग्नाशय की इन्सूलिन स्त्राव करने वाली ग्रंथियों की सहायता करता है। जड़ों का उपयोग खांसी, हृदय रोग, पुराने ज्वर, वात रोग तथा सफेद दाग में उपचार हेतु किया जाता है।