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Sunflower (सूरजमुखी)

Basic Info

सूरजमुखी, "हेलियनथस" नाम 'हेलियस' अर्थ 'सूर्य' और 'एन्थस' अर्थ 'फूल' से लिया गया है। इसे सूरजमुखी कहा जाता है क्योंकि यह सूर्य का अनुसरण करता है, हमेशा अपनी सीधी किरणों की ओर। यह देश की महत्वपूर्ण तिलहनी फसल है। सूरजमुखी का तेल अपने हल्के रंग, ब्लैंड फ्लेवर, हाई स्मोक पॉइंट और उच्च स्तर के लिनोलेइक एसिड के कारण सबसे लोकप्रिय है जो हृदय रोगी के लिए अच्छा है। सूरजमुखी के बीज में लगभग 48- 53 प्रतिशत खाद्य तेल होता है। यह भारत में 1969-70 में हुई खाद्य तेल की कमी के बाद उगाई जाने लगी है। सूरजमुखी का तिलहनी फसलों में खास स्थान है। हमारे देश में मूंगफली, सरसों, तोरिया व सोयाबीन के बाद यह भी एक खास तिलहनी फसल है।

Frequently Asked Questions

Q1: भारत में सूरजमुखी के प्रमुख उत्पादक राज्य कौन कौन से है ?

Ans:

कर्नाटक के साथ छह राज्य देश में सूरजमुखी के प्रमुख उत्पादक हैं। कर्नाटक 7.94 लाख हेक्टेयर क्षेत्र से 3.04 लाख टन उत्पादन के साथ आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, उड़ीसा और तमिलनाडु भारत के प्रमुख सूरजमुखी उत्पादक राज्य हैं।

Q3: क्या भारत में सूरजमुखी की खेती लाभदायक है?

Ans:

एक एकड़ सूरजमुखी के खेत से लगभग किसान 8-9 क्विंटल उपज प्राप्त कर सकते हैं। सूरजमुखी का औसत बाजार मूल्य रु. 3000- 4000 प्रति क्विंटल। सूरजमुखी की फसल की अवधि लगभग 3-4 महीने की होती है जो कि किस्म के आधार पर भिन्न हो सकती है।

Q5: सूरजमुखी का तेल कब और कहां लोकप्रिय हुआ ?

Ans:

18 वीं शताब्दी के दौरान, यूरोप में सूरजमुखी तेल का प्रयोग बहुत लोकप्रिय हो गया।

Q2: भारत में सूरजमुखी की खेती किस मौसम में की जाती है?

Ans:

गर्मियों और बरसात के मौसम में फूल आने के लिए जनवरी से जून तक बीजों को सफलतापूर्वक बोया जा सकता है। तथा खरीफ के मौसम में इस फसल की बुवाई 15-25 जुलाई तक, रबी के मौसम में 20 अक्टूबर से 10 नवम्बर तक तथा जायद की फसल की बुवाई 20 फरवरी से 10 मार्च तक की जाती है।

Q4: विश्व में किन-किन देशों में सूरजमुखी को उगाया जाता है ?

Ans:

सूरजमुखी फूल अमरीका का देशज है पर रूस, अमरीका, ब्रिटेन, मिस्र, डेनमार्क, स्वीडन और भारत आदि अनेक देशों में आज उगाया जाता है।

Q6: सूरजमुखी की फसल समयावधि और पैदावार कितनी होती है ?

Ans:

सूरजमुखी की फसल 90-105 दिन में पककर तैयार हो जाती है व उन्नत विधि से उत्पादन करने पर 18-20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज प्राप्त की जा सकती है।