ग्रीष्मकालीन उड़द की खेती: गर्मी के मौसम में किसान उड़द की खेती करके कमा सकते है अच्छा खासा मुनाफा
ग्रीष्मकालीन उड़द की खेती: गर्मी के मौसम में किसान उड़द की खेती करके कमा सकते है अच्छा खासा मुनाफा
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Garmi me urad ki kheti: गर्मी का मौसम आ गया है। खेतों में नई फसल बोने का समय आ गया है। ऐसे में आज हम एक ऐसी दलहनी फसल की खेती के बारे में बताएंगे जिसकी बाजार में पूरे साल मांग रहती है। उड़द की खेती दलहनी फसलों की श्रेणी में गिनी जाती है। कम समय में अधिक मुनाफा कमाने के लिए विशेषज्ञ उड़द की खेती करने की सलाह देते हैं। यह 60 से 65 दिन में तैयार होने वाली फसल है। इसके अलावा इसके पोषक तत्वों के कारण बाजार में भी इसकी अच्छी मांग है। 

दलहनी फसलों में उड़द एक प्रमुख फसल मानी जाती है। इसकी खेती के लिए गर्मी का मौसम सही समय है क्योंकि इस समय तापमान में नमी कम होती है। उड़द की खेती के लिए गर्मी का मौसम सबसे उपयुक्त माना जाता है. इसकी बुआई अप्रैल के पहले सप्ताह में शुरू कर देनी चाहिए क्योंकि इसकी वृद्धि के लिए 30 से 40 डिग्री का तापमान उपयुक्त होता है.

उड़द की बुवाई गर्मी के मौसम में करने की सलाह दी जाती है। इसे फरवरी के अंतिम सप्ताह और मार्च के पहले सप्ताह में वसंत और गर्मियों में और खरीफ मौसम में जून और जुलाई के महीने में बोया जाना चाहिए। इसके लिए 25 से 35 डिग्री का तापमान अच्छा होता है। इसकी खेती के लिए अधिक पानी की आवश्यकता होती है, उड़द की खेती लगभग 700 से 900 मिमी वर्षा वाले क्षेत्रों में की जाती है। पौधों को कम से कम 10 सेमी की दूरी पर बोना चाहिए और बीज भी लगभग 4 से 6 सेमी की गहराई पर बोया जाना चाहिए। इन फफूंदनाशक से हम उड़द बीच का उपचार कर सकते हैं, हमें फफूंदनाशक जैसे केप्टन या थायरम आदि का प्रयोग करना चाहिए। साथ ही राइजोबियस कल्चर द्वारा इस उपचार के बाद किसान अपनी फसल का 15% उपज बढ़ा सकते हैं।

उड़द की उन्नत किस्मे
वैसे तो बाजार में कई प्रकार की उन्नत किस्म हमें मिलती है जिन्हे अलग-अलग जलवायु के हिसाब से अधिक उत्पादन के लिए पूरे भारत में उगाया जाता है, आइये जानते है उड़द की प्रमुख किस्में:
  • टी. 19
  • पंत यु 19
  • कृष्णा
  • पंत यु 19
  • जे. वाई. पी.
  • आर.बी.यू. 38
  • यु.जी. 218
  • एल बी जी- 20
  • के यू- 309
  • ए डी टी- 4
  • ए डी टी- 5
  • जवाहर उड़द 2
  • आजाद उड़द- 1
  • वांबन- 1,

कीटों और बीमारियों से बचाएं

उड़द की फसल में कीट एवं रोग लगने का खतरा रहता है। ऐसे में समय रहते इसका प्रबंधन कर किसान अपनी फसलों को नुकसान से बचा सकते हैं. फसलों में लगने वाले रोगों की पहचान करें, फिर उसके अनुसार उपरोक्त कीटनाशकों का छिड़काव करें। अलग-अलग बीमारियों के लिए अलग-अलग दवाओं का छिड़काव किया जाता है। ऐसे में इसके लिए किसी फसल डॉक्टर से संपर्क करें।

खाद एवं उर्वरक का उपयोग

ग्रीष्मकालीन खेती के लिए खेत तैयार करते समय उर्वरकों के उपयोग की बात करें तो यदि संभव हो तो गोबर की खाद का उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए आप प्रति एकड़ डेढ़ से दो ट्रॉली गोबर की खाद दे सकते हैं, जो कार्बन से भरपूर होती है। जड़ों के विकास के लिए गाय का गोबर बहुत ही महत्वपूर्ण उर्वरक है।

रासायनिक उर्वरकों की बात करें तो 100 किलोग्राम एसएसपी (सिंगल सुपर फॉस्फेट) दिया जा सकता है, जिसमें सल्फर होता है। इसके अलावा इसमें कई पोषक तत्व भी पाए जाते हैं। उड़द एक दलहनी फसल है जिसमें सल्फर की भी आवश्यकता होती है। इसके साथ ही 20 किलो पोटाश उर्वरक ले सकते हैं. इन उर्वरकों को खेत की तैयारी के समय छिड़का जा सकता है और रोटावेटर या कुदाल से खेत को समतल किया जा सकता है।

उत्पादन की बात करें तो अगर आप समय पर ध्यान दें और सही तरीके से उड़द की खेती करें तो उत्पादन 4 से 6 क्विंटल प्रति एकड़ होगा। यानी एक बीघे में आपको 2 से 3 या फिर चार क्विंटल तक की पैदावार मिल सकती है।
किसान भाइयों अगर कीमत की बात करें तो 6000 से 7000 रुपये के आसपास कीमत आसानी से मिल जाएगी। ऐसे में किसान भाइयों को उड़द की खेती से काफी मुनाफा मिल सकता है।