तरबूज और खरबूज की उन्नत खेती: गर्मियों के मौसम में करें तरबूज और खरबूज की खेती और कमाएं अच्छा मुनाफा
तरबूज और खरबूज की उन्नत खेती: गर्मियों के मौसम में करें तरबूज और खरबूज की खेती और कमाएं अच्छा मुनाफा
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भारत में गर्मियों के मौसम की शुरुआत में किसानों द्वारा तरबूज (watermelon farming) और खरबूजे की खेती (melon farming) बड़े पैमाने पर की जाती है। इस दौरान बाजार में तरबूज और खरबूज फल की काफी मांग रहती है। ऐसे में किसान इसकी खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकता है। हमारे क्षेत्र में गर्मियों में तरबूज और खरबूज की फसल से प्राप्त ताजे फलों का सेवन हर घर में किया जाता है। पाचन की दृष्टि से दोनों ही पोषक तत्वों से भरपूर हैं। इन फलों का उपयोग पके फल के रूप में ही किया जाता है। गर्मी के मौसम में गर्मी से राहत पाने के लिए इन फलों का ठंडा करके सेवन किया जाता है। खरबूजे के बीजों का उपयोग सूखे मेवे के रूप में किया जाता है। फल और बीज दोनों ही स्वादिष्ट और पौष्टिक होते हैं। इनकी बढ़ती मांग को देखते हुए इस बात की जरूरत है कि किसान भाई इसे वैज्ञानिक तरीके से करें ताकि खर्च कम हो और आय बढ़ सके।

प्रगतिशील प्रजातियाँ: आजकल निम्नलिखित प्रजातियाँ काफी लोकप्रिय हैं।

तरबूज की सामान्य किस्में:- अर्का मानिक, शुगर बेबी, दुर्गापुर मीठा और अर्का ज्योति आदि।

संकर किस्में:- माधुरी पामीषा, मधुशाला पी. एस.एस.-742, पी.एस.एस.-723 (बीजो शीतल सीड्स) संतुलित, अर्मित एम.एच.डब्लू 6 एवं फाचूना (महिको सीड्स) लाल पसन्द (धाना सीड्स)।
  • शुगर बेबी:- बहुत मीठे फल जिनका वजन 3-4 किलोग्राम होता है, जिनका गूदा लाल, छिलका गहरा हरा, भण्डारण क्षमता सामान्य से अधिक होती है। उपज 250-300 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर।
  • अर्का ज्योति:- फल का औसत वजन 6-8 किलोग्राम होता है। गूदे का रंग चमकीला लाल होता है तथा भण्डारण क्षमता भी अधिक होती है।
तरबूज की संकर किस्में:- संकर तरबूज की उपज 300-400 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक होती है, जो किस्में लोकप्रिय हैं।
  • राजरस:- सनग्रो सीड्स कंपनी द्वारा विकसित। फल गोल, हल्के हरे, 8-10 किलो के होते हैं। यह 85-90 दिन में तैयार हो जाता है।
  • पी.एस.एस. 742: इस किस्म का विकास बीजोसीड्स द्वारा किया गया है। फल गोल, हल्के हरे, वजन 8-10 किलोग्राम तक होते हैं और 85-90 दिन में तैयार हो जाते हैं।
  • लाल पसन्द :- धान्य सीड्स कंपनी द्वारा विकसित, गहरे रंग की धारियों वाले हल्के रंग के फल का गूदा गहरे लाल रंग का और बेहद मीठा होता है। यह किस्म 80-85 दिन में तैयार हो जाती है.
खरबूजे की महत्वपूर्ण सामान्य किस्में :-
  • पूसा सरवती:- यह एक अगेती किस्म है, इसके फल गोल होते हैं और ऊपर हरी धारियां होती हैं, गूदा गाढ़े नारंगी रंग का होता है और इसमें थोड़ा रस होता है। इसकी मिठास 8-10 प्रतिशत होती है।
  • पंजाब सुनहरी:-  इस किस्म के फलों का औसत वजन 700-800 ग्राम होता है और फलों की मिठास 10-12 प्रतिशत होती है।  गूदा मध्यम नारंगी रंग का, रसदार और सुगंधित होता है।
  • हरा मधु:- यह थोड़ी देर से पकने वाली किस्म है। इसके फलों का आकार गोल होता है और फल का वजन 1 किलोग्राम होता है। मिठास 14-15 प्रतिशत तक होती है। फल रसदार, गूदा गाढ़ा, छिलका हरा पीला और हरी धारियाँ वाला होता है।
  • पताशा:- इस प्रजाति के फल गोल और मीठे तथा अच्छी सुगंध वाले होते हैं। फलों का वजन 1.25-1.50 होता है। फसल बुआई के 70-75 दिन में तैयार हो जाती है।
भूमि और उसकी तैयारी
कार्बनिक पदार्थों से भरपूर दोमट मिट्टी तरबूज और खरबूज दोनों की खेती के लिए सर्वोत्तम होती है। पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें और फिर 2-3 जुताई कल्टीवेटर से करें।

खाद एवं उर्वरक
उर्वरकों का प्रयोग मिट्टी परीक्षण के आधार पर करें। सामान्य स्थिति में इन दोनों फसलों के लिए 150 क्विंटल से 250 क्विंटल सड़ी हुई गोबर की खाद, 75-80 किग्रा० नाइट्रोजन 50-60 किग्रा. फासफोरस तथा 60-70 किग्रा० तत्व रूप में संस्तुति है। बुआई से पहले मिट्टी में गोबर की पूरी मात्रा, फास्फोरस या पोटाश की पूरी मात्रा और नाइट्रोजन की आधी मात्रा मिला दें। नाइट्रोजन की शेष मात्रा बुआई के 1 माह बाद फल आने से पहले डालनी चाहिए।

बीज की मात्रा एवं बुआई का समय
तरबूज में प्रति हैक्टर सामान्य किस्मों का 4-5 किग्रा० व सकर किस्मों का 2-2.5 किग्रा० बीज पर्याप्त होते है जबकि खरबूजा में सामान्य किस्मों का 2.0-2. 5 किग्रा. तथा संकर किस्मों को 1-1.5 किग्रा. बीज पर्यापत है। दोनों की बुवाई का उपयुक्त समय मार्च का अन्तिम सप्ताह है।

बुआई विधि
खेत में पूर्व से पश्चिम तक 4-4 मीटर की दूरी पर 50 सेमी चौड़ी नाली बनाएं। नाली के दोनों ओर मेड़ों के ढलान पर 60-60 सेमी की दूरी पर 2-3 सेमी की गहराई पर 2-3 बीज बोयें। जमाव हो जाने पर एक या दो पौधों को ही रखें। शेष को उखाड़ दें।

सिंचाई
यदि खेत में पर्याप्त नमी का अभाव हो तो पहली सिंचाई बुआई के तुरंत बाद करें। दूसरी एवं तीसरी सिंचाई 4-5 दिन बाद करें ताकि सभी बीजों में अंकुरण प्रारम्भ हो जाये। सिंचाई करते समय इस बात का ध्यान रखें कि पानी नाली के ऊपर न जाए। इसके बाद आवश्यकतानुसार समय-समय पर सिंचाई करते रहना चाहिए। पकने की अवस्था में सिंचाई कम करें क्योंकि अधिक पानी देने से फल फटने लगते हैं।

कटाई-छंटाई
तरबूज की मुख्य शाखाओं को 3-4 गांठों के बाद काटना चाहिए यानी दूसरी शाखा (उप शाखा) को 3-4 गांठों तक काटना चाहिए और फल मुख्य तने पर ही तोड़ना चाहिए।

फलों की तुड़ाई
जब खरबूजा पक जाता है तो हाथ से थपथपाने पर थपथपाहट की आवाज आती है। जमीन की सतह पर रखा फल का भाग पीला पड़ जाता है, तब तोड़े। खरबूजे के रंग में परिवर्तन आ जाता है तथा फल को थोड़ा सा हिलाने पर वह डंठल से टूट जाता है।

उपज या पैदावार
तरबूज़ की उपज 250-300 किलोग्राम/हेक्टेयर तथा खरबूजे की उपज 180-200 किलोग्राम/हेक्टेयर होती है।