ड्रैगन फ्रूट की खेती करके किसान कमा सकता है अच्छा खासा मुनाफा, ऐसे करें ड्रैगन फ्रूट की खेती
ड्रैगन फ्रूट की खेती करके किसान कमा सकता है अच्छा खासा मुनाफा, ऐसे करें ड्रैगन फ्रूट की खेती
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Dragun Fruit Farming: ड्रैगन फल को आमतौर पर पिताया के नाम से जाना जाता है। यह कैकट्स परिवार का बेलनुमा पौधा होता है। इसका उत्पादन विभिन्न प्रकार की मिट्टी में किया जा सकता है। इसके पौधों में जल्द ही फल लग जाता है। इसके ऊपर कीड़ें -मकोड़ों और बिमारियों का हमला बहुत ही कम होता है। ड्रैगन फल में पोषक तत्व भरपूर होने के कारण इसे एक सुपर फल के रूप में पहचाना जाने लगा है। इस कारण इस फल की बाजार में भी कीमत अच्छी प्राप्त हो रही है। इसके फलों में  एंटीऑक्सीडेंट  तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। खासतौर पर लाल गूदे वाले फलों में बीटा-कैरोटीन, फिनौल, फ्लेवानाॅल आदि प्राकृतिक पौष्टिक तत्व प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होते हैं। ड्रैगन फल में कैल्शियम, जिंक और मैग्नेशियम जैसे खनिज एवं विभिन्न विटामिन तथा फाइबर की भी काफी मात्रा होती है।

किस्में

इसके फलों को गूदे के रंग के आधार पर दो मुख्य किस्माों में बांटा जा सकता है। जिसमें एक किस्म सफेद गूदे वाली तथा दूसरी लाल गूदे वाली होती है।

1. वाइट ड्रैगन-1

इस किस्म के फल भी जुलाई से नवम्बर मास के दौरान लगते हैं। इसके फल लंबे-गोल, हरी-लाल पत्तियां (bract) वाले एवं बाहर से गुलाबी-लाल रंग के होते हैं। इसके फलों का औसतन भार 285 ग्राम होता है और चार साल के पौधों से औसतन 8.75 किलोग्राम प्रति खंभा उपज प्राप्त हो जाती है। इस किस्म के फलों का गूदा सफेद रंग का होता है जिसमें छोटे-छोटे काले रंग के बीज बिखरे होते हैं। इसके फलों में मिठास (TSS) 9.24 प्रतिशत एवं 0.62 प्रतिशत एसीडीटी होती है।

2. रैड ड्रैगन-1

इस किस्म के फल जुलाई से नवम्बर मास के दौरान लगते हैं। इसके फल लंबे-गोल, हरी-लाल पत्तियों (bract) वाले एवं चमकदार लाल रंग के होते हैं। इसके फलों का औसतन भार 325 ग्राम होता है और चार साल के पौधों से औसतन 8.35 किलोग्राम प्रति खंभा उपज प्राप्त हो जाती है।

इस किस्म के फलों का गूदा गाढ़े जामुनी-लाल रंग का होता है, जिसमें छोटे-छोटे काले रंग के बीज बिखरे होते हैं। इसके फलों में 9.48 प्रतिशत मिठास (TSS) एवं 0.41 प्रतिशत एसीडीटी होती है।

मृदा एवं वातावरण

यद्यपि ड्रैगन फल कई प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है, परन्तु दोमट, अच्छे जल निकास वाली एवं पोषक तत्वों से भरपूर मिट्टी इस फल की खेती के लिए उपयुक्त होती है। बहुत ज्यादा रेतीली एवं खराब जल निकास वाली मिट्टी में ड्रैगन फल की खेती से परहेज करें।

ड्रैगन फल एक उष्णकटिबंधीय (Tropical) क्षेत्रों में उगाया जाने वाला फल है, परन्तु इसे उपोष्ण कटिबंधीय (sub-tropical) क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है। यह फल कठोर मौसमी परिस्थितियों के प्रति काफी सहनषील होता है। इस फसल को भरपूर प्रकाश की आवश्यकता होती है किन्तु मई-जून के अधिक गर्मी वाले महीनों तथा सर्दियों में कोहरे से भी कुछ शाखाओं को नुकसान हो सकता है।

नर्सरी उत्पादन

ड्रैगन फल की नर्सरी आमतौर पर कलमों से तैयार की जाती है। कलमों की लंबाई 20-25 सैंटीमीटर होनी चाहिए तथा कलमों को बुआई से 1-2 दिन पहले तैयार किया जाना चाहिए तथा काटे गए स्थान से निकलने वाले लेसदार पदार्थ को सूखने  देना चाहिए। कलमें फल की तुड़ाई के बाद बनानी चाहिए तथा नये अंकुरित पौधों से कलमें नहीं निकालनी चाहिए। इन कलमों को 10 X 15 सैंटीमीटर आकार के पाॅलीथीन के लिफाफों में मिट्टी, गोबर की गली-सड़ी खाद तथा रेत के 1ः1ः1 अनुपात वाले मिश्रण में लगाया जाता है। पौधे लगभग 2-3 महीनों में तैयार हो जाते हैं।

पौधे लगाने की विधि

ड्रैगन फल के पौधे फरवरी-मार्च एवं जुलाई-सितम्बर के महीनों में लगाए जा सकते हैं। इसके पौधों को सीमेंट के मज़बूत खंभे गाड़ के उसके चारों और 15-20 सैंटीमीटर ऊंची क्यारी बनाकर लगाया जाना चाहिए। इस विधि से बरसात के मौसम में पौधे ज्यादा नमी या खडे़ पानी से सुरक्षित रहते हैं। आमतौर पर इसके पौधे सिंगल पोल प्रणाली में 10 X 10 फुट या 10 X 8 फुट की दूरी पर लगाए जाते हैं। पौधों को खम्भों के बिलकुल पास लगाया जाता है ताकि वो आसानी से उस पर चढ़ सकें। खम्भों के चारों तरफ पौधे लगाने चाहिए। नये पौधे लगाने से 15 दिन पहले हर एक खंभे के चारों ओर 15-20 किलो गली-सड़ी गोबर की खाद मिट्टी में डालकर अच्छी तरह मिला दें।

सिधाई और काट-छांट

ड्रैगन फल एक बेलनुमा कैकट्स पौधा है, इसलिए इसके पौधों को लगाने के लिए मजबूत खम्भों की आवश्यकता होती है। अतः इसके पौधों को लगाने के लिए सीमेंट के खम्भों का प्रयोग किया जाता है। खंभे की कुल लंबाई कम से कम 7 फुट होनी चाहिए क्योंकि खम्भों को मजबूती के लिए कम से कम 2 फुट गहराई तक लगाया जाना चाहिए। सीमेंट के खम्भों के निचले  भाग की मोटाई 4.5-5 इंच तथा ऊपरी भाग की मोटाई 3.5-4.5 इंच होनी चाहिए। खम्भों के ऊपरी भाग पर सीमेंट से बना एक गोल चक्र लगाने के लिए खांचा बनाया जाता है जिसके ऊपर 2 फुट के व्यास वाला 2 इंच मोटा चक्र लगाया जाता है ताकि ड्रैगन फल इसके ऊपर फैल सके और छतरी नुमा आकार में बढ़े। आमतौर पर इसके उत्पादन के लिए सिंगल पोल प्रणाली या ट्रैलिस प्रणाली का प्रयोग किया जाता है। ट्रैलिस प्रणाली में पौधों को तारों तक पहुंचाने के लिए बांस की डंडियों की सहायता लें। पौधों को खम्भों के साथ-साथ चढ़ाने के लिए इनको लगातार प्लास्टिक की रस्सियों से बांधते रहें और  जब पौधे बढ़कर ऊपर लगे चक्र से बाहर आने लग जाएं तब इनकी कटाई करें ताकि अधिक शाखाएं निकले। ज़मीन से लेकर ऊपरी गोल चक्र तक पौधों से निकल रही नवांकुरित टहनियों को काटते रहें। 

खाद एवं उर्वरकों का प्रयोग

ड्रैगन फल की अच्छी बढ़वार हेतु देसी तथा रासायनिक खादों का एकीकृत उपयोग महत्वपूर्ण है। रासायनिक खादों का प्रयोग ड्रैगन फल के पौधेलगाने के कम से कम 6 महीने बाद करना चाहिए।

पौधे की उम्र (वर्ष)  - 1
गोबर खाद (किलो प्रति खंभा) -
यूरिया (ग्राम प्रति खंभा) - 15
सिंगल सुपर फास्फेट(ग्राम प्रति खंभा) - 40
म्यूरेट ऑफ पोटाश (ग्राम प्रति खंभा) - 15

पौधे की उम्र (वर्ष)  - 2
गोबर खाद (किलो प्रति खंभा) - 10
यूरिया (ग्राम प्रति खंभा) - 25
सिंगल सुपर फास्फेट(ग्राम प्रति खंभा) - 80
म्यूरेट ऑफ पोटाश (ग्राम प्रति खंभा) - 25

पौधे की उम्र (वर्ष)  - 3
गोबर खाद (किलो प्रति खंभा) - 15
यूरिया (ग्राम प्रति खंभा) - 50 
सिंगल सुपर फास्फेट(ग्राम प्रति खंभा) - 120
म्यूरेट ऑफ पोटाश (ग्राम प्रति खंभा) - 50

पौधे की उम्र (वर्ष)  -
गोबर खाद (किलो प्रति खंभा) - 20 
यूरिया (ग्राम प्रति खंभा) - 75  
सिंगल सुपर फास्फेट(ग्राम प्रति खंभा) - 160
म्यूरेट ऑफ पोटाश (ग्राम प्रति खंभा) - 75

पौधे की उम्र (वर्ष)  - 5 और उपर 
गोबर खाद (किलो प्रति खंभा) - 25
यूरिया (ग्राम प्रति खंभा) - 100
सिंगल सुपर फास्फेट(ग्राम प्रति खंभा) - 200
म्यूरेट ऑफ पोटाश (ग्राम प्रति खंभा) - 100

गोबर की खाद जनवरी-फरवरी के महीनें में डालें। यूरिया, सिंगल सुपर फाॅस्फेट और  म्यूरेट ऑफ पोटाश का प्रयोग तीन बराबर हिस्सों में (फरवरी, मई और अगस्त के अंत में ) किया जाना चाहिए।

सिंचाई

चूकिं ड्रैगन फल कैकट्स परिवार से संबन्धित है, इसलिए इसे केवल शुष्क महीनों में (अप्रैल से जून) में सिंचित किया जाना चाहिए। इस फसल में जून महीने से फूल आना शुरू हो जाते है और सितम्बर के अंत तक जारी रहता है। फलों के विकास के दौरान मिट्टी की नमी बनाए रखने के लिए उचित सिंचाई की जानी चाहिए जिसके लिए टपक सिंचाई प्रणाली उपयुक्त है।क्योंकि इसके फूल और फल बरसात की मौसम में आते हैं इसलिए ज़मीन में ज्यादा नमी तथा पानी खड़ान होने दें। गर्मियों के शुष्क तथा अधिक तापमान वाले महीनों में दोपहर को पानी न दें।

फलाें की तुड़ाई एवं देख-रेख

ड्रैगन फल के फलों की तुड़ाई जुलाई से नवम्बर के मध्य में की जानी चाहिए। इस फसल में 3-4 बार फलों की तुड़ाई की जा सकती है। ड्रैगन फल के फूल आने के 30-35 दिन बाद फल पक जाता है। घरेलू बाजार में बेचने के लिए छिलके का रंग हरे से लाल या गुलाबी में बदलने के 3-4 दिन बाद फलों का तुड़ान किया जा सकता है। सुदूर मंडियों में भेजने के लिए रंग बदलने के एक दिन बाद ही तुड़ान किया जाना चाहिए। फलों का तुड़ान फलों को घड़ी की दिशा में घुमाकर किया जा सकता है या तुड़ान के लिए चाकू का इस्तेमाल अधिक उपयुक्त है। तुड़ान के समय फल की डंडी वाले भाग काे नुकसान न पहुंचे। तुड़ान के बाद फलों को छाया में रखें तथा डिब्बों में पैक करके मंडी में भेजें।

ड्रैगन फल के रोपण एवं प्रबंधन हेतु ध्यान रखने योग्य बातें

1. अधिक प्रारम्भिक निवेश तथा विशिष्ट उत्पादन तकनीक के कारण इस फसल कोएक साथ बहुत बड़े क्षेत्र में न लगाएं। अपितु इसकी खेती को चरणबद्ध तरीके से बढ़ायें।
2. ड्रैगन फल के व्यावसायिक उत्पादन के लिए उचित किस्म का चयन महत्वपूर्ण है।
3. ड्रैगन फल के सफल उत्पादन के लिए गुणवत्तापूर्ण  रोपण सामग्री का उपयोग महत्वपूर्ण है। कभी भी अन्य स्थानाें से पाॅली बैग में तैयार की गई कटिंग या पौधे की खरीद न करें क्योंकि इसमें नेमाटोड का संक्रमण हो सकता है, जिसका उत्पादक के नये बगीचे में फैलने का खतरा रहता है। अतः हमेशा ड्रैगन फल की पहले से पकी हुई कटिंग लें क्योंकि यह सस्ती होने के साथ-साथ नेमाटोड से भी मुक्त होती है।